किसान आंदोलन का साइड इफेक्टः और महंगे हो सकते हैं फल-सब्जी, लगातार घट रही है आवक
नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन आज सातवें दिन भी जारी है। किसानों को समर्थन देने और अन्य राज्यों के किसानों के दिल्ली आने का सिलसिला भी जारी है जिसके चलते दिल्ली के सभी बॉर्डर पूरी तरह बाधित हो चुके हैं और इसका सबसे ज्यादा असर एशिया की सबसे बडी मंडी आजादपुर पर पड़ रहा है। बीते 6 दिनों का आंकड़ा देखा जाए तो मंडी की आवक सिर्फ 50 फीसदी रह गई है। अगर यूपी और राजस्थान के बॉर्डर पर भी स्थितियां बिगडीं तो दिल्लीवासियों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।
फल-सब्जियों की बड़ी मंडी दिल्ली की आजादपुर मंडी में पंजाब, हरियाणा, हिमाचल और जम्मू-कश्मीर से फलों और सब्जियों की आपूर्ति पर किसान आंदोलन के कारण असर पड़ा है। मंडी के काराबारियों ने बताया कि किसान आंदोलन को लेकर जगह-जगह जाम होने से फलों और सब्जियों की सप्लाई बाधित हुई है। उधर, ट्रांसपोटर भी बताते हैं कि किसानों के आंदोलन से उत्तर भारत में ट्रकों की आवाजाही पर असर पड़ा है.
आपको बता दें कि किसान आंदोलन से पहले आजादपुर मंडी में रोजाना की आवक करीब 2000-2500 ट्रक की थी जोकि अब घटकर सिर्फ 935 ट्रक रह गई है। इससे कई फलों व सब्जियों के दामों में भी तेजी दर्ज की जा रही है। खासकर हरी सब्जियों के दाम आवक कम होने से बढ गए हैं। आजादपुर मंडी के चैयरमेन आदिल अहमद खान ने बताया कि सिंघु, टिकरी, गाजीपुर व यूपी बॉर्डर बंद होने के कारण पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश व जम्मू कश्मीर से सब्जियों व फलों की आपूर्ति पर असर पड़ा है।
अगर सामान्य दिनों की आवक की बात करें तो 6000 टन फल व 6000 टन के करीब सब्जी की आवक रहती थी जो घटकर अब 3000 टन फल व 3200 टन सब्जी की रह गई है। इसका घाटा किसानों व आढतियों को उठाना पड रहा है। मंडी में आवक जहां कम है वहीं अन्य प्रदेशों में फल व सब्जी भी नहीं पहुंच पा रही है। इस मौसम में पंजाब के किसानों के खेतों में आलू व मटर पूरी तरह तैयार हैं लेकिन बॉर्डर बंद होने से वो पहुंच नहीं पा रहे हैं। पहले रोजाना 40 से 50 ट्रक मटर पहुंचती थी और आलूओं की भी भरमार रहती थी। जाम के चलते मंडी तक छोटी गाडियां तो फिर भी पहुंच रही हैं लेकिन बड़ी गाडियां कई दिन होने के बाद भी अभी तक जाम में फंसी हुई हैं।