बुंदेली समाज ने PM मोदी को खून से खत लिख मांगी इच्छा मृत्यु, जानिए क्यों कर रहे ऐसा

बुन्देली समाज के संयोजक तारा पाटकर का कहना है कि, ”हमने प्रधानमंत्री को खून से खत लिखकर इच्छा मृत्यु की मांग की है. क्योकि, न तो वह बुंदेलखंड राज्य दें रहे हैं और न ही, स्वास्थ्य सुविधाओं में कोई सुधार हो रहा है. तिल-तिल कर मरने से अच्छा है कि हम लोगों को मरने का अधिकार दे दिया जाए.”

महोबा:  विश्व मानवाधिकार दिवस पर बुंदेली समाज ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को खून से खत लिखकर स्वास्थ्य सेवाएं सुधारने में असफल होने पर बुंदेलों को इच्छा मृत्यु देने की मांग की. बुन्देली समाज इससे पहले 10 बार पृथक बुंदेलखंड राज्य की मांग और स्वास्थ सेवाओं की स्थिति को लेकर खून से खत लिख चुका है.

बुन्देली समाज कई वर्षों से कर रहा है संघर्ष
बुन्देली समाज पृथक बुंदेलखड राज्य की मांग को लेकर कई वर्ष से संघर्ष करता चला आ रहा है. 10 दिसंबर को विश्व मानवाधिकार दिवस के मौके पर  11 वीं बार प्रधानमंत्री को खून से खत लिखा गया, जिसमें इच्छा मृत्यु या प्रथक बुंदेलखंड राज्य की मांग की गई. वहीं, बुन्देली समाज के संयोजक तारा पाटकर का कहना है कि, ”आज मानव अधिकार दिवस है और हम यह बताना चाहते है कि बुंदेलखंड के लोगों के मानव अधिकारों का किस प्रकार उलंघन हो रहा है.

इस मौके पर हमने प्रधानमंत्री को खून से खत लिखकर इच्छा मृत्यु की मांग की है. क्योकि, न तो वह बुंदेलखंड राज्य दें रहे हैं और न ही, स्वास्थ्य सुविधाओं में कोई सुधार हो रहा है. तिल-तिल कर मरने से अच्छा है कि हम लोगों को मरने का अधिकार दे दिया जाए.”

बुंदेलखंड का गणित
बुंदेलखंड में कुल 19 विधानसभा सीटें हैं. जिनमें से 2017 में इन सभी सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी.

कौन-कौन से जिले हैं शामिल
बुंदेलखंड में झांसी, ललितपुर, जालौन, हमीरपुर, बांदा, महोबा, कर्बी (चित्रकूट) शामिल हैं.

क्या हैं बुंदेलखंड की समस्याएं
बुंदेलखंड की सबसे बड़ी समस्या सूखा है. यहां बारिश की किल्लत हमेशा बनी रहती है. इसी वजह से किसान यहां से पलायन को मजबूर रहते हैं. कर्ज के बोझ के तले दबने से किसान आत्महत्या करने को मजबूर होते हैं.

 

 

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