यहां आज भी शादी से पहले किया जा रहा है लड़कियों का वर्जिनिटी टेस्ट, फेल होने पर की जाती है पिटाई

महाराष्ट्र के कंजरभट समुदाय की लड़कियों को आज भी शादी से पहले वर्जिनिटी टेस्ट जैसी घिनौनी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. अगर टेस्ट में फेल होती हैं तो उन्हें बेरहमी से पीटा भी जाता है.

महाराष्ट्र में कंजरभट समुदाय (Kanjarbhat community) की लड़कियों के वर्जिनिटी टेस्ट (Virginity test) कराने के लिए मजबूर करने की परंपरा को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने कड़ा ऐतराज जाहिर किया है. NHRC ने शनिवार को महाराष्ट्र के मुख्य सचिव अजोय मेहता (Ajoy Mehta) को मामले की जांच कर रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है. NHRC ने इस तरह के रिवाज का पालन करने से रोकने के लिए राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के संबंध में एक रिपोर्ट भी पेश करने के लिए कहा है.

NHRC ने यह आदेश सुप्रीम कोर्ट के वकील राधाकांत त्रिपाठी (Radhakant Tripathi) की एक शिकायत पर दिया है. त्रिपाठी की शिकायत है कि राज्य में कंजरभट समुदाय में लड़कियों को शादी से पहले वर्जिनिटी टेस्ट (Virginity test) से गुजरना पड़ता है. अगर लड़की इस टेस्ट में फेल हो जाती है तो उन्हें बेरहमी से पीटा जाता है. इसे रोकने के लिए उन्होंने एक व्हाट्सऐप ग्रुप (What’s App Group)भी बनाया गया है.

वर्जिनिटी टेस्ट में पास करने के लिए रिश्वत

ग्रुप के एक सदस्य ने एक घटना जिक्र करते हुए बताया था कि पंचायत के सदस्यों ने वर्जिनिटी टेस्ट (virginity test) में पास करने के लिए एक जोड़े से रिश्वत ली है. लड़की को पास या फेल करने का पूरा अधिकार पंचों के पास होने से रिश्वत का लेन-देन आम बात है. उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकारियों को इसकी जानकारी होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं.

उन्होंने आरोप लगाया है की 2018 में इस क्रूर प्रथा के बारे में अधिकारियों को जानकारी दी गई थी फिर भी उन्होंने कुछ नहीं किया. NHRC के नोटिस के जवाब में राज्य सरकार के अधिकारियों ने कहा है कि वर्जिनिटी टेस्ट  (virginity test) की सूचना मिलने के बाद प्रशासन ने स्वयंसेवकों और NGO के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की गई थी. हालांकि राज्य द्वारा दी गई  रिपोर्ट में वर्जिनिटी टेस्ट को रोकने और समुदाय के लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए प्रशासन द्वारा उठाए गए कदमों का उल्लेख नहीं है. रिपोर्ट में उन मीटिंग का भी उल्लेख नहीं किया गया है जो इसके खिलाफ लड़ाई लड़ रहे लोगों के साथ की गई हो.

सामाजिक बहिष्कार का सामना

NHRC ने मुख्य सचिव और पुणे के पुलिस उपायुक्त से कहा है कि बैठक के चार सप्ताह के भीतर कार्यकर्ताओं के साथ बैठक और राज्य सरकार द्वारा इस प्रथा पर अंकुश लगाने के लिए किए गए प्रयासों के बारे में बताया जाए. यह मामला पहली बार  2018 सामने आया था जब पिंपरी चिंचवाड़ (Pimpri-Chinchwad) में एक लड़की को शादी से दो महीने पहले इसलिए प्रताड़ित किया गया कि वो अपनी वर्जिनिटी साबित करे.

दूल्हा पक्ष इस बात पर अड़ गया था कि वो लड़की की वर्जिनिटी जांच कर ही मानेगा. इसके बाद दूल्हा पक्ष ने अंधविश्वास की गलत परंपरा से उसका परीक्षण किया और उसकी वर्जिनिटी पर सवाल उठाकर उसे रिजेक्ट कर दिया. इसके लिए लड़की को उस लड़के से सबंध बनाना पड़ा था जिसके बाद उस लड़की को और उसके परिवार को सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ा था.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *