सामना में राउत का ‘रोखठोक’ आरोप, कहा- पानी में रहकर मगरमच्छ से बैर क्यों लेगी BJP
अंबानी की निजी सुरक्षा व्यवस्था के अलावा केंद्र और राज्य सरकार की सुरक्षा व्यवस्था भी है. ऐसे में गाड़ी उनके घर तक कैसे पहुंची? कार पुलिस सुरक्षा व्यवस्था को भेद कर पहुंची, यह उस सुरक्षा व्यवस्था की असफलता है
मनसुख हिरेन (Mansukh hiren) मामले में आज सामना में शिवसेना सांसद संजय राउत (Sanjay Raut) ने अपने लेख ‘रोखठोक’ (Rokhthok) में बीजेपी पर हमला किया है. उन्होंने कहा कि मनसुख हिरेन नाम के बिजनेस मैन की मौत ने महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों हलचल मचा दी है. इस हलचल से विपक्ष को क्या मिला? इसका जवाब है ‘खोया हुआ आत्मविश्वास’. विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadanvis) को डेढ़ साल में पहली बार ही बतौर विपक्ष नेता का सुर मिला. आठ दिन के अधिवेशन में पूरा ‘फोकस’ विपक्ष के नेताओं पर रहा, यह उनकी सबसे बड़ी सफलता है.
मनसुख हिरेन की मृत्यु को विपक्ष ने हत्या कहकर पुलिस अधिकारी सचिन वाजे (Sachin Vaje) की बलि ले ली, लेकिन अन्वय नाईक और मोहन डेलकर की आत्महत्याओं के मामले में विपक्ष कुछ बोलने को तैयार नहीं है. मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) और उनके परिवार की जान देश के लिए कितनी महत्वपूर्ण है? ये देशवासियों को पिछले 15 दिनों में समझ में आ गया, यह अच्छा ही हुआ. एक दिन सुबह-सुबह एक स्कॉर्पियो कार अंबानी के आलीशान बंगले के परिसर में खड़ी होती है. इस गाड़ी पर शक होने पर पुलिस वहां पहुंचती है. इस गाड़ी से जिलेटिन मिलती हैं. उसके बाद एक आतंकवादी संगठन का धमकी भरा संदेश मिलता है. इस पर कहा गया कि यह अंबानी परिवार को मारने की साजिश है.
फडणवीस ने जासूस ‘शरलॉक होम्स’ की तरह इस मामले की जांच की
अगर यह साजिश है तो किसने की और अंबानी परिवार को मारने की साजिश ‘जैश-उल-हिंद’ क्यों रचेगा? जिलेटिन और एक स्कॉर्पियो से अंबानी जैसे हाईप्रोफाइल व्यक्ति पर हमला करने की साजिश मतलब हास्यास्पद है. इस गाड़ी का मालिक मनसुख हिरेन (Mansukh Hiren) ठाणे में रहता था. उसन अंबानी के बंगले के पास गाड़ी मिलने के 8 दिन पहले मतलब 18 फरवरी को ही अपनी गाड़ी चोरी होने का मामला पुलिस में दर्ज कराया था. विपक्ष नेता फडणवीस के मुताबिक गाड़ी मालिक मनसुख और सचिन वाजे (Sachin Vaje) चार महीने से एक-दूसरे के संपर्क में थे. जिस मनसुख की संदिग्ध हालातों में मौत हो गई, उसका शव मुंब्रा की खाड़ी में मिला ये पूरा मामला इसीलिए रहस्यमय हो गया, लेकिन रहस्य और सत्य में अंतर है. विपक्ष के नेता फडणवीस ने जासूस ‘शरलॉक होम्स’ की तरह इस मामले की जांच की और कुछ बातें सामने लाई.
किसी वकील की तरह पूरा मामला विधानसभा में रखा. उनकी वकालत देखने लायक ही थी, लेकिन वकील मुकदमे को कितना भी रोचक बना दे फिर भी न्याय तो सबूतों और गवाहों के आधार पर ही किया जाता है.फडणवीस ने मनसुख प्रकरण का नाटक अच्छे ढंग से तैयार किया, लेकिन आगे क्या?
तावडे के फोन का क्या है रहस्य
मनसुख हिरेन को मुंबई क्राइम ब्रांच (Crime Branch) के कांदिवली यूनिट में कार्यरत तावडे नामक पुलिस अधिकारी ने बुलाया इसलिए घर से बाहर निकले और वापस लौटे ही नहीं. तावडे नामक कोई अधिकारी ही नहीं है, यह अब सामने आ गया है. फिर इस तावडे के फोन का रहस्य क्या? मनसुख की हत्या हुई, ऐसा उनकी पत्नी का दावा है. मनसुख हिरेन मामले में पुलिस ने मुंह काला किया, ऐसा आरोप विपक्ष के नेता लगाते हैं तो अन्वय नाईक मामले में किसने मुंह काला किया और यह कोयला पुलिसवालों को देनेवाला कौन था?
मुकेश अंबानी के आवास परिसर में एक स्कॉर्पियो का खड़ा रहना और एक हत्या हो जाना? यह एक रहस्य ही बन गया है. अंबानी परिवार की खुद की एक सुरक्षा व्यवस्था है और उस सुरक्षा व्यवस्था में इजराइल के सुरक्षा गार्ड तैनात हैं. अंबानी की सुरक्षा व्यवस्था दुनिया की सर्वोत्कृष्ट है. अंबानी की उंगली पर देश की अर्थव्यवस्था का गोवर्धन टिका है. लाखों लोगों को वे रोजगार देते हैं. इसलिए उनकी सुरक्षा में किसी प्रकार की कमी नहीं होनी चाहिए. लेकिन उनकी सुरक्षा में इस प्रकार सेंध लगाकर किसी को उनसे कोई आर्थिक लेन-देन करना था क्या? ऐसी शंका कुछ लोगों को है.
BJP ने ही विस्फोटक कार का मामला रचा : पटोले
कांग्रेस के वर्तमान प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले कल तक विधानसभा अध्यक्ष थे इसलिए उनका ठोस व जिम्मेदारी से बोलना अपेक्षित है. इस पूरे मामले में विधानसभा में उन्होंने क्या कहा? ‘सुरक्षा का कारण बताते हुए मुकेश अंबानी के घर पर हेलीपैड की अनुमति मिले, इसके लिए BJP ने ही विस्फोटक कार का मामला रचा’ पटोले के पास इसका सबूत है तो ATS को अब उनकी भी जांच करनी चाहिए. अंबानी के मुंबई स्थित घर की छत पर हेलीकॉप्टर उतरने की अनुमति राष्ट्रीय सुरक्षा के कारणों के चलते पहले ही नकार दी गई है और अकेले अंबानी परिवार के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा को दांव पर लगाया जाए, यह संभव नहीं. फिर अंबानी भी इसे मंजूर नहीं करेंगे.
अंबानी परिवार ने कुछ करने का निर्णय ले ही लिया तो केंद सरकार उसका विरोध नहीं करेगी, यह भी उतना ही सच है.अंबानी के घर से एक किलोमीटर दूर जिलेटिन वाली कार मिली है. अंबानी की निजी सुरक्षा व्यवस्था के अलावा केंद्र और राज्य सरकार की सुरक्षा व्यवस्था भी है. ऐसे में गाड़ी उनके घर तक कैसे पहुंची? कार पुलिस सुरक्षा व्यवस्था को भेद कर पहुंची, यह उस सुरक्षा व्यवस्था की असफलता है या गाड़ी पहुंच जाए इसलिए उस दिन वहां विशेष ‘व्यवस्था’ की गई थी, ऐसी शंका की जा सकती है.
इस मामले की जांच करने के लिए 24 घंटे के अंदर NIA को केंद्र ने इस केस में सम्मिलित कर लिया क्यों ? केंद्र में बीजेपी की सरकार है, इसलिए ये हो सकता है! महाराष्ट्र जैसे राज्य पर केंद्रीय जांच एजेंसियों का दबाव डालने का यह एक तरीका है. मुंबई पुलिस की जांच पर राज्य के विपक्ष के नेता को एतराज हैं. यह पुलिस का मनोबल ही तोड़ देते हैं. इसी दबाव के चलते ही पुलिस और प्रशासन विपक्ष के नेताओं को गुप्त जानकारी मुहैया कराते हैं. ऐसा होना सरकार के लिए शुभ संकेत नहीं है, लेकिन पानी में रहकर मगरमच्छ से बैर कोई क्यों लेगा, ऐसा सबको लगने लगे तो राज्य का क्या होगा?