यौन उत्पीड़न मामले में पूर्व गृह राज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानंद बरी, आरोप लगाने वाली छात्रा और उसके साथियों को भी राहत

पूर्व गृहराज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद को यौन उत्पीड़न मामले से बरी कर दिया गया है। एमपीएमएलए कोर्ट के विशेष जज पवन कुमार राय ने शाहजहांपुर के एसएस लॉ कालेज से एलएलएम करने वाली छात्रा के साथ यौन संबध बनाने की खातिर उसे अपनी कस्टडी में रखने के मामले में स्वामी चिन्मयानंद को शुक्रवार को बरी कर दिया। अदालत ने इसके साथ ही रंगदारी व जानमाल की धमकी के मामले में छात्रा व पांच अन्य अभियुक्त संजय सिंह, डीपीएस राठौर, विक्रम सिंह, सचिन सिंह व अजीत सिंह को भी साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है।

27 अगस्त 2019 को चिन्मयानंद के खिलाफ छात्रा के पिता ने शाहजहांपुर कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराई थी। इसमें कहा गया था कि उनकी बेटी एलएलएम कर रही है। वह कॉलेज के हॉस्टल में रहती थी। 23 अगस्त से उसका मोबाइल बंद है। फेसबुक पर उसका वीडियो देखा, जिसमें स्वामी चिन्मयानंद व कुछ अन्य लोग उसको दुष्कर्म करने व जान से मारने की धमकी दे रहे थे। उनकी बेटी के कमरे में ताला बंद था।

उन्होंने मीडिया के सामने वीडियो व बेटी का कमरा सील किए जाने की मांग भी की थी। इस मामले में 20 सितंबर 2019 को चिन्मयानंद को न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया था। चार नवंबर 2019 को एसआईटी ने आरोप पत्र दाखिल किया था। तीन फरवरी 2020 को हाईकोर्ट की खंडपीठ से चिन्मयानंद की जमानत मंजूर हुई थी।

इस तरह से मामले में आया उतार चढ़ाव
24 अगस्त 2019: स्वामी चिन्मयानंद के मुमुक्षु आश्रम द्वारा चलाए जा रहे एसएस लॉ कॉलेज की 23 वर्षीय लॉ छात्रा ने उन पर उत्पीडऩ और यौन शोषण का आरोप लगाते हुए अपने फेसबुक वॉल पर एक वीडियो पोस्ट किया।

25 अगस्त:  लॉ छात्रा लापता हो गई, पिता ने स्वामी चिन्मयानंद व अन्य पर बेटी को अगवा करने का आरोप लगाते हुए तहरीर दी।

26 अगस्त: स्वामी चिन्मयानंद के वकील ओम सिंह ने खुलासा किया कि अज्ञात नंबर से पांच करोड़ की फिरौती मांगी, रिपोर्ट दर्ज कराई। 26 अगस्त एसपी ने छात्रा की बरामदगी के लिए तीन टीमें गठित की। आरोपों की जांच कोतवाल को सौंपी गई।

27 अगस्त:  जिला पुलिस ने स्वामी चिन्मयानंद व अन्य के खिलाफ अपहरण और आपराधिक धमकी से संबंधित धाराओं के तहत एफआइआर दर्ज की।

30 अगस्त: लॉ छात्रा को यूपी पुलिस ने दौसा (राजस्थान) में मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के पास उसके एक दोस्त के साथ पाया। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने लड़की को पेश करने के आदेश दिए। इस मामले में वीडियो वारयल हुआ। वीडियो में स्वामी चिन्मयानंद के होने का दावा किया। इसमें वह लड़की से मसाज करा रहे थे।

2 सितंबर: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया कि लॉ छात्रा द्वारा लगाए गए स्वामी चिन्मयानंद के खिलाफ आरोपों को देखने के लिए स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम (एसआईटी) टीम का गठन किया जाए। कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से मामले में दर्ज दो क्रॉस एफआइआर में जांच की निगरानी के लिए एक बेंच गठित करने का आग्रह किया।

3 सितंबर: यूपी के मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी के निर्देश मिलने के बाद यूपी डीजीपी ने आइजी नवीन अरोड़ा के अधीन एसआईटी का गठन किया।

4 सितंबर: चिन्मयानंद ने अपने शैक्षणिक संस्थानों को बदनाम करने के लिए उनके खिलाफ एक साजिश का आरोप लगाया।

10 सितंबर:  चिन्मयानंद और एक लड़की के बीच मालिश का एक कथित वीडियो वायरल हुआ।

12 सितंबर: एसआईटी ने स्वामी चिन्मयानंद से करीब सात घंटे तक पूछताछ की। स्वामी का कमरा भी सील कर दिया। चिन्मयानंद के बिना अनुमति आश्रम से बाहर निकलने पर भी रोक लगा दी गई है। साथ ही जांच पूरी होने तक उनके शाहजहांपुर से बाहर जाने पर भी रोक लगा दी गई है।

14 सितंबर: लॉ स्टूडेंट के पिता ने एक पेन ड्राइव एसआईटी को सौंपी, जिसमें चिन्मयानंद के 43 वीडियो क्लिप थे।

16 सितंबर: छात्रा को कोर्ट लाया गया। इस दौरान सुरक्षा काफी कड़ी रही। छात्रा सुबह 10 बजे जेएम प्रथम कोर्ट में पहुंची और बयान दर्ज कराने के बाद दोपहर 2:42 बजे कोर्ट से निकली। करीब पौने पांच घंटे तक कोर्ट की कार्यवाही चली, जिसके बाद कड़ी सुरक्षा के बीच छात्रा को घर भेज दिया गया। धारा 164 से तहत छात्रा के कलमबंद बयान दर्ज किए जाने के बाद देर शाम स्वामी चिन्मयानंद की हालत अचानक बिगड़ गई। रात करीब आठ बजे मेडिकल कॉलेज और प्राइवेट डॉक्टरों की टीम आश्रम में उनके आवास दिव्य धाम पहुंची और उपचार किया।

18 सितंबर: चिन्मयानंद के खिलाफ दुष्कर्म की रिपोर्ट दर्ज न होने से नाराज छात्रा अपने पिता व भाई के साथ इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंची। यहां छात्रा ने कहा कि स्वामी की गिरफ्तारी नहीं हुई तो वह आत्महत्या कर लेगी। एसआईटी भी उसे इस मामले में कुछ नहीं बता रही है। इसलिए वह और भी व्यथित है, इस बात की जानकारी छात्रा के पिता ने दी है।

20 सितंबर: एसआईटी ने चिन्मयानंद को उनके आश्रम से गिरफ्तार किया और उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। जबकि संजय, विक्रम और सचिन को चिन्मयानंद से ब्लैकमेलिंग में गिरफ्तार कर जेल भेजा था।

25 सितंबर : एसआईटी ने छात्रा को भी ब्लैकमेलिंग का आरोपित बनाते हुए जेल भेज दिया था। बीती नवंबर में एसआईटी ने मामले में कोर्ट में अपनी चार्जशीट दाखिल की थी। इसमें भाजपा के पूर्व जिला महामंत्री डीपीएस राठौर और भाजयुमो के पूर्व जिला महामंत्री अजीत सिंह को भी ब्लैकमेलिंग का आरोपित बनाया था।

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