आखिर कैसे नक्सलियों की कैद से 100 घंटे बाद निकले कोबरा कमांडो राकेश्वर, जानिए रिहाई की इनसाइड स्टोरी
छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में नक्सलियों ने लगभग 100 घंटे पर कोबरा कमांडो के जवान को रिहा कर दिया है। तीन अप्रैल को सुरक्षाबलों के साथ हुई मुठभेड़ के बाद नक्सलियों ने 210वीं कोबरा कमांडो बटालियन के जवान राकेश्वर सिंह मन्हास को बंधक बना लिया था। गुरुवार को छत्तीसगढ़ सरकार ने कहा कि नक्सलियों ने जवान को रिहा कर दिया है। इस जवान के रिहाई की साइड स्टोरी भी गजब है।
अधिकारियों ने कहा कि आदिवासी समुदाय के एक व्यक्ति सहित दो प्रतिष्ठित लोगों की एक टीम के द्वारा गुरुवार को सैकड़ों ग्रामीणों की उपस्थिति में जवान को रिहा किया गया। राज्य सरकार ने इस टीम के सभी लोगों का चयन किया था और रिहाई के लिए भेजा था। राज्य सरकार की ओर से जवान की रिहाई के लिए नक्सलियों के बीच जिस टीम को भेजा गया था उसमें एक 91 साल के स्वतंत्रा सेनानी भी शामिल थे और उनको पद्म श्री भी मिल चुका है।
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक टीम में शामिल उस शख्स का नाम है धरमपाल सैनी, जो कि एक एक्टिविस्ट भी हैं और उस क्षेत्र में लड़कियों की शिक्षा के लिए बड़े पैमाने पर काम किया है। इसके अलावा सरकार की ओर से भेजी गई टीम में गोंडवाना समाज के अध्यक्ष तेलम बोरैया, सात पत्रकार और छत्तीसगढ़ सरकार के दो अधिकारी भी शामिल थे, जो कि जवान को लेने के लिए गए थे। नक्सलियों ने जवान की रिहाई ग्रामीणों की भारी भीड़ के बीच किया।
पत्नी बोली जीवन का सबसे खुशी वाला दिन
अर्धसैनिक बल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा जम्मू के रहने वाले जवान को बीजापुर स्थित केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के तर्रेम शिविर में लाया जा रहा है। दूसरी ओर से जवान मन्हास की रिहाई के बाद उनकी पत्नी मीनू ने न्यूज एजेंसी एएनआई से कहा कि आज मेरे जीवन का सबसे खुशी का दिन है। मैं उनकी वापसी के लिए हमेशा आशान्वित रही। बता दें कि जवान के बंधक बनाए जाने के बाद मन्हास की पत्नी और बेटी का एक भावुक वीडियो सामने आया था जिसमें उनकी रिहाई की अपील की गई थी।
कुल 23 जवानों हुए थे शहीद
बता दें कि छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बीजापुर और सुकमा जिले की सीमा पर नक्सलियों के साथ शनिवार को मुठभेड़ हुई थी। उस दिन पांच जवानों के शव बरामद हुए थे। जबकि उसके अगले दिन रविवार को जवानों के 18 और शव बरामद हुए थे। इस तरह से नक्सली हमले में कुल 23 जवान अब तक शहीद गए थे। नक्सलियों के सात मुठभेड़ में दो दर्जन से अधिक जवान घायल भी हुए थे