दिया तले अंधेरा:केंद्रीय कृषि मंत्री के गृह जिले में समर्थन मूल्य पर प्रदेश में सबसे कम गेहूं खरीदी, क्योंकि कमीशन के फेर में घटिया बताकर लौटाया

  • पंजीकृत 37533 किसानों से खरीदना था 1 लाख मीट्रिक टन गेहूं, लेकिन 11455 किसानों से 50 हजार मीट्रिक टन खरीदा

समर्थन मूल्य पर किसानों का गेहूं खरीदने में इस बार केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का गृह जिला मुरैना प्रदेश में सबसे पीछे है। 26 मई तक मुरैना जिले में 37533 किसानों में से महज 11455 किसानों यानी 30 फीसदी का ही गेहूं समर्थन मूल्य पर खरीदा गया है। मुरैना जिले में एक लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा गया था लेकिन करीब दो महीने चली खरीदी के बाद सिर्फ पचास हजार मीट्रिक टन गेहूं ही खरीदा जा सका है। किसानों ने समर्थन मूल्य पर गेहूं उस स्थिति में भी बेचने में रुचि नहीं दिखाई, जब बाजार में समर्थन मूल्य से करीब दो सौ रुपए क्विंटल सस्ता बिक रहा है।

ऐसा इसलिए क्योंकि खरीद केंद्र प्रभारियों के जटिल नियम और भुगतान में देरी के झंझट से बचने के लिए किसानों ने सस्ते में गेहूं बेचना ज्यादा मुनासिब समझा। किसानों का खरीदा गया गेहूं कमीशन के फेर में घटिया बताकर वापस करने से भी किसानों की रूचि समर्थन मूल्य में नहीं रही। कई किसान अभी भी गेहूं बेचने कतार में हैं लेकिन छह से आठ दिन बाद भी नंबर नहीं आ पाया है। मालूम हो कि प्रदेश सरकार ने गेहूं खरीदी की अंतिम तिथि 25 मई से बढ़ाकर 28 मई कर दी है।

  • गेहूं घटिया बताकर लौटाया तो शिकायत अफसरों तक पहुंची, समाधान न होने से मिली निराशा
  • भिंड, श्योपुर, दतिया, रायसेन, विदिशा, बड़वानी, मंदसौर में लक्ष्य से ज्यादा गेहूं खरीदी
  • बाजार में 200 रु./क्विंटल सस्ता होने के बाद भी समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने में किसानों की रुचि नहीं

कारण; समर्थन के मुकाबले सस्ता होने के बाद भी बाजार में बेचने में रुचि, न कमीशन का झंझट न भुगतान का संकट

  1. मुरैना में कोरोना का बहाना बनाकर 77 में से 30 केंद्र कई दिन से बंद हैं। इससे एसएमएस के बाद भी किसान गेहूं की तौल नहीं करा पाए।
  2. 17 मई से 23 मई के बीच बारिश के कारण किसान गेहूं की तौल कराने केंद्र पर नहीं पहुंच पाए। इससे एसएमएस का समय बीत गया।
  3. कमीशन के फेर में गेहूं रिजेक्ट करने या एफएक्यू मानक पर खरा न होने के बहाने बनाकर वापस करने की झंझट से तंग आकर समर्थन पर नहीं गया।
  4. खरीद प्रभारी किसानों का गेहूं तौलने के बाद पोर्टल पर चढ़ाने में देरी करते हैं। तारीख निकल जाने पर पोर्टल लॉक हो जाने पर ऑनलाइन दर्ज कराने के लिए चक्कर काटने पड़ते हैं। ऐसे में भुगतान अटक जाता है। इससे उसकी रूचि समर्थन में नहीं रहती।
इन किसानों का दर्द; खरीदे गेहूं को कमीशन के लिए लौटाया।
इन किसानों का दर्द; खरीदे गेहूं को कमीशन के लिए लौटाया।

1 गेहूं खरीदने के दो दिन बाद कहा- छानकर लाओ, कमीशन का खेल: तिलौंधा के किसान रामधन गुर्जर ने बताया कि 51 क्विंटल गेहूं के लिए पंजीयन कराया था। 12 मई को दीखतपुरा सोसाइटी पर गेहूं की तौल करा दी। 14 मई को सोसाइटी ने कमीशन के लिए संदेश भेजा कि गेहूं छानकर दोबारा तौल कराएं। लेकिन तौल तब तक नहीं होगी जब तक एसएमएस नहीं होगा।

2 पिता के निधन से गेहूं बेचने में देरी हुई, अब खरीदने से इंकार: अंबाह के सारसी के किसान नत्थी सिंह तोमर ने बताया कि उन्हें 11 मई तक गेहूं बेचने का एसएमएस मिला। पिता के निधन के कारण वह 14 मई को त्रयोदशी के बाद रछेड़ सोसाइटी ने 61 क्विंटल गेहूं लेकर पहुंचे तो खरीदने से मना कर दिया। सोसाइटी अब दोबारा एसएमएस मांग रही है। लेकिन एसएमएस कैसे आएगा, नहीं पता।

कमीशन की शिकायत सुनने वाले अफसर बोले-इस बार अच्छा गेहूं खरीदने के निर्देश हैं

बात केन्द्रीय कृषि मंत्री के गृह जिले में कम किसानों से गेहूं खरीदने की नहीं है। केंद्र के निर्देश हैं कि एफएक्यू मानक का गेहूं खरीदा जाए। इस बार मुरैना में अच्छा गेहूं नहीं हुआ इसलिए सोसाइटियों ने नहीं खरीदा। 20 दिन पहले सोसाइटियों ने लगभग 2000 किसानों का गेहूं नहीं खरीदा था। ऐसे किसानों की शिकायत पर उन्हें दाेबारा एसएमएस भिजवाया। खरीदी कम हुई है, यह बात सही है। लेकिन मानकों का पालन करना ही होगा।
संजीव जैन, संयुक्त कलेक्टर, मुरैना

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