माफिया का दुस्साहस:रेत माफिया के निशाने पर अफसर, अवैध उत्खनन रोकने नहीं हो रही सख्त कार्रवाई

  • तीन दिन पहले फ्लाइंग स्क्वाॅड पर हो चुका हमला, वन विभाग के रेंजर ने की थी इस्तीफे की पेशकश

सेंवढ़ा अनुभाग में अवैध रेत उत्खनन थमने का नाम नहीं ले रहा है। यहां आए दिन हो रही घटनाएं हो रही हैं। कभी हमला, तो कभी हमले की धमकी। डरे सहमे अफसर भी इस्तीफे की पेशकर कर चुके हैं। बावजूद जिम्मेदार प्रशासनिक अमले द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जाती। बता दें कि 3 दिन पहले ही खनिज ठेकेदार की फ्लाइंग स्कॉट गाड़ी पर हमला हुआ, जिसमें दो आरक्षक को गोली लग गई।

इसके पहले सेंवढ़ा रेंजर सीएस श्रोत्रीय द्वारा भी अवैध उत्खनन के मामले में अपना इस्तीफा देने की पेशकश की गई थी।खास बात यह है कि प्रशासन द्वारा इस दिशा में कोई विशेष कार्यवाही नहीं की गई आने वाले दिनों में यह अवैध उत्खनन बड़ी घटनाओं की वजह बन सकता है। साथ ही मशीनों से हो रहे उस उत्खनन से सिंध नदी को बड़ा नुकसान हो रहा है।

सेंवढ़ा के कन्दरपुरा घाट से खनिज ठेकेदार द्वारा बीते 4 माह से अवैध उत्खनन करवाया जा रहा था। इसी मामले को लेकर एक घटना हुई, जिसमें फ्लाइंग स्कॉट की गाड़ी पर हमला किया गया। हालांकि इस मामले में अभी तक पुलिस द्वारा किसी को नामजद आरोपी नहीं बनाया है। पर लोगों में इस घटना के बाद दहशत का माहौल है।

वहीं घटना के बावजूद प्रशासनिक चुप्पी भी सवालों को खड़ा कर रही है। लोग भीषण गर्मी में सूखती सिंध के अंदर से रेत उठाती मशीनें अब भविष्य के लिए संकट की आहट बन चुकी हैं। विरोध को नजर अंदाज कर प्रशासन के अधिकारी मौन साधे हुए हैं। माफिया की आड़ में राजनैतिक रसूख वाले लोग भी सक्रिय हो रहे हैं। यही हालत रहे तो आने वाले समय में जल संकट के साथ साथ जलीय जीवों को अस्तित्व भी खतरे में पड़ सकता है।

रेत के ढेर में तब्दील नदी, निकालने की जुगत में हो रही वारदातें

सेंवढ़ा अनुभाग की सीमा से सिंध नदी निकली है। कुल 30 किलोमीटर का हिस्सा नदी से जुड़ा है। यही वजह है कि बारिश के वक्त नदी की धाराओं से आकर रेत तटीय इलाकों में खनिज का भंडार बन जाती है। पिछले साल बारिश अपेक्षा कृत कम हुई और जगह जगह बने बांधों ने भी नदी का जल स्तर कम कर दिया। ऐसे में गर्मी आते ही नदी सूखने लगी।

गर्मी के कारण इन दिनों में पानी का सिमकुड़ता भाग रेत के ढेर में बदल गया है। यही रेत अब मााफिया के लिए सोना बन गई है। सेवढ़ा क्षेत्र में नदी के तल से रेत उठाने का यह कारोबार इन दिनों चरम पर है। प्रतिदिन लाखों रुपयों की रेत उठाई जा रही है। खास बात यह है कि वैध खदानों की आड़ में दर्जनों अवैध खदानों का संचालन हो रहा है। रात होते ही मशीनों से उत्खनन कर रेत भर कर बेच रहे है। पूरे धंधे में खनिज विभाग के साथ साथ स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध है।

भरसूला में लगातार हो रहा है अवैध खनन
जिले के खनिज ठेकेदार द्वारा नियम के विरुद्ध रुहेरा खदान से ऐसे सर्वे नंबरों से उत्खनन किया गया जो कि स्वीकृत नहीं थे वही बाहर से आई बड़ी-बड़ी मशीनों और पनडुब्बियों द्वारा नदी के अंदर 20 से 25 फीट गहराई तक जाकर रेत उठाई गई। नदी के तल से रेत उठाकर बाहर उसको डंप किया गया। मंगरोल चौकी के पास ही रेत के विशाल टीले बना दिए गए हैं। यहां से डंप की गई रेट लगातार बेची जा रही है। खास बात यह है कि लगभग 10 किलोमीटर के हिस्से में दिन रात उत्खनन जारी है पर ना अधिकारियों ने इसकी ली और जनप्रतिनिधियों ने छलनी होती सिंघ को लेकर कोई परवाह की। अवैध रेत उत्खनन से पुरातात्विक धार्मिक ऐतिहासिक स्थल को भी नुकसान पहुंचा रहा है

जवाब देने से बच रहे
खनिज निरीक्षक घनश्याम यादव के मोबाइल नंबर 91 98276 68354 पर संवाददाता द्वारा पांच को बार फोन लगाया। लेकिन उनके द्वारा फोन नहीं उठाया गया। जिसके बाद उनके वाट्सएप पर भी मैसेज किया, लेकिन उनके द्वारा जवाब नहीं दिया गया।

जल संकट की आहट
बरसात में जमा रेत पानी को सोखने का कार्य करती है। और यही वजह है कि नदी से सटे इलाकों में रेत के यह ढेर पानी के स्रोत हो जाते हैं। गर्मी में रेत से रिसने वाला पानी न सिर्फ नदी को सूखने से बचाता है, वहीं समीपस्थ क्षेत्र के जल स्तर को भी मेंटेन करता है। इसीलिए शासन द्वारा जब भी खदानें दी जातीं हैं, तो उनमें मशीन से उत्खनन को पूरी तरह प्रतिबंधित किया जाता है। क्योंकि मशीन अधिक गहराई तक उत्खनन कर रेत को समाप्त कर सकती है।

खदानों की लीज देते वक्त केवल मजदूर से उत्खनन कराने तथा नदी से 500 मीटर की दूरी से उत्खनन के निर्देश रहते हैं, पर वर्तमान में जैसे ही सिंध सूखी तो लोगों ने अपने फायदे के लिए नदी के तल से ही रेत उठाना शुरू कर दिया। ऐसे में जो रेत पानी का स्रोत बन कर जल संकट से बचाती है, उसके स्थान पर कई तटीय इलाकों में मिट्टी कंकड़ पत्थर ही बचे हैं। इस खनिज में पानी के स्रोत नहीं होते, वहीं आने वाले दो माह जब तक बारिश नहीं होगी। इससे क्षेत्र में सूखे की संभावना बड़ सकती है। जल स्तर गिरने का खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *