15 महीने में बिगड़ी शहर के विकास कार्यों की चाल:1,145 करोड़ के 3 प्रोजेक्ट अटके, अस्पताल आरओबी समेत अमृत का काम भी पिछड़ा
कोरोना संक्रमण के चलते पिछले एक साल में 1100 करोड़ के विकास के तीन बड़े प्रोजेक्ट अटक गए हैं। इनमें एक हजार बिस्तर का अस्पताल, तीन रेलवे ओवर ब्रिज और अमृत योजना के तहत पेयजल और सीवर के प्रोजेक्ट शामिल हैं। शहर में चल रहे इन कामों की चाल पूरी तरह बिगड़ चुकी है। ये सभी काम तय अवधि से डेढ़ से दो साल पिछड़ चुके हैं। इसके अलावा कई ऐसे प्रोजेक्ट हैं जिन पर पिछले साल ही काम शुरू होना था लेकिन अब तक उनकी डीपीआर, डिजाइन व टेंडर की प्रक्रिया ही पूरी नहीं हो सकी। जिसका खामियाजा न सिर्फ शहर के विकास को लेकर उठाना पड़ रहा है।
बल्कि प्रोजेक्ट की लागत में भी ये नुकसान हो रहा। अधिकारियों के अनुसार छोटे-बड़े सभी प्रोजेक्टों में 3 से 5 प्रतिशत की लागत बढ़ने की संभावना है। कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह का कहना है कि प्रोजेक्टों की टाइमलिमिट फिर से तय हो रही है। जिसमें उनका काम पूरा कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि कोविड की दूसरी लहर घातक थी। संक्रमण से निपटने में पूरा अमला लगा हुआ था, अब हम रुटीन के कामों पर फोकस कर रहे हैं। मैंने सभी विभागों के अधिकारियों की बैठक लेकर टाइमलाइन तय करने के लिए कहा है, जिसमें प्रोजेक्ट्स का काम पूरा हो सके।
जानिए… प्रोजेक्ट का हाल, मियाद निकली, काम नहीं हो पाए पूरे
अस्पताल: कंपू स्थित पॉटरीज फैक्ट्री की जमीन पर निर्माणाधीन 322.16 करोड़ (1106 बिस्तर के अस्पताल, धर्मशाला, आवास आदि का) की लागत के एक हजार बिस्तर के अस्पताल का सी ब्लॉक बनाए जाने का काम जनवरी 2019 में काम शुरू हुआ और जुलाई-अगस्त 2020 में पूरा होना था। पिछले साल लगे लॉकडाउन ने इसकी चाल बिगाड़ दी और अब तक इसका काम पूरा नहीं हो पाया। अब शासन के अल्टीमेटम के बाद इस ब्लॉक को अगले महीने तक तैयार करने की मशक्कत चल रही है। ऐसे ही डीडी में बन रहे 30 बिस्तर के अस्पताल का काम भी पिछड़ रहा है।
आरओबी: ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने के लिए शहर में 90 करोड़ की लागत से 3 प्वाइंट पर आरओबी बन रहे हैं। जिनमें से शताब्दीपुर-यादव धर्मकांटा आरओबी का काम पूरा हो चुका है। अगले महीने तक ये डामरीकरण के बाद ट्रैफिक के लिए खोल दिया जाएगा। तानसेन नगर-रेसकोर्स रोड व विवेकानंद नीड्म रोड के आरओबी के निर्माण में देरी हाे रही है। इनमें से दो पुलों का निर्माण मार्च-मई 2019 और तीसरे का मई 2020 में पूरा हाेना था।
अमृत प्रोजेक्ट: अभी तक वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से टंकियों में पानी नहीं पहुंचा। अमृत प्रोजेक्ट पर 730 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं। यह प्रोजेक्ट डेढ़ साल लेट है। पहले कंपनियों की लेटलतीफी फिर कोरोना काल के कारण काम की रफ्तार धीमी हो गई। जलालपुर में 160 एमएलडी के वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से 57 पानी की टंकियों में एक बूंद पानी नहीं पहुंचा है। तिघरा से जलालपुर तक डाली जा रही 1600 एमएम की मैन ग्रेविटी पानी की लाइन का काम अधूरा है। ललियापुरा में 4 एमएलडी का सीवर ट्रीटमेंट प्लांट नहीं बन सका है। स्वर्ण रेखा में 6 किमी सीवर की लाइन डलना थी। यह काम भी अधूरा पड़ा हुआ है।
प्लानिंग में बीत रहा समय, शुरू नहीं हो पाया काम
एलिवेटेड रोड: स्वर्ण रेखा नदी पर गिरवाई से हनुमान बांध होते हुए लक्ष्मीबाई समाधि के पास से जलालपुर तक बनने वाली 17 किमी लंबी एलिवेटेड रोड के लिए इस वर्ष फरवरी में डीपीआर फाइनल हो गई थी और प्रोजेक्ट को प्रशासकीय स्वीकृति मिलनी थी लेकिन कोरोना की दूसरी लहर के कारण इसकी प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई।
वेस्टर्न बायपास: रायरू निरावली से काउंटर मैग्नेट सिटी होते हुए गोकुलपुरा गिरवाई तक बनने वाले 22 किमी लंबे वेस्टर्न बायपास के लिए सभी विभागों से एनओसी मिल चुकी है। इसे भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत बनाया जाना है। जिसकी डीपीआर मार्च-अप्रैल तक तैयार होनी थी। लेकिन कोविड के कारण कंपनी डीपीआर पर काम ही नहीं कर पाई।
एयरपोर्ट: महाराजपुरा एयरपोर्ट का विस्तार होना है ताकि यहां रात में फ्लाइट की आवाजाही और फ्लाइट कनेक्टिविटी बढ़े। फरवरी में जिला प्रशासन, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया व एयरफाेर्स अधिकारियों की बैठक हुई। जिसमें तय हुए बिंदुओं के तहत काम कराए जाने थे और फिर अप्रैल में बैठक होनी थी। कोविड के कारण न तो काम हुए और न बैठक।