उद्योगों पर संक्रमण:बाजार में मांग भी नहीं, मालनपुर की फैक्टिरियों में 30-50% तक उत्पादन घटा, आधे मजदूरों काे काम

कोरोना से प्रभावित हुए उद्योग अभी भी रफ्तार नहीं पकड़ पाए हैं। बाजार में मांग न होने के कारण ज्यादातर उद्योगों में उत्पादन 20-30 प्रतिशत तक कम कर दिया गया है, तो कई जगह लॉकडाउन के दौरान घरों को लौटे मजदूर दो महीने पहले की एडवांस सेलरी और इंसेंटिव के ऑफर के बाद भी लौटने को तैयार नहीं हैं। मालनपुर की फैक्टिरियों में भी 30-50% तक उत्पादन घट गया है, इससे यहां के आधे मजदूरों काे ही काम मिल पा रहा है। मध्यप्रदेश के बड़े औद्योगिक क्षेत्रों मालनपुर, बानमोर, पीथमपुर से दैनिक भास्कर की रिपोर्ट-

मालनपुर…1800 गद्दे बनाते थे हर रोज, अब 200 भी नहीं

 भिंड मालनपुर की कर्लऑन कंपनी गद्दे बनाती है। लॉकडाउन के बाद से इस कंपनी के प्रोडक्शन में 75 प्रतिशत की गिरावट आई है। स्थिति यह है कि कंपनी प्रतिदिन 1800 गद्दे बनाती थी। लेकिन अब 200 गद्दे भी हर रोज नहीं बन रहे हैं। कंपनी के मैनेजर संजीव भटनागर बताते हैं कि अनलॉक होने के बाद मार्केट से अभी ऑर्डर आना शुरु नहीं हुए हैं। कभी 50 तो कभी 100 गद्दों के ऑर्डर आ रहे हैं।

वहीं प्रोडक्शन कम होने की वजह से कंपनी में लेबर की संख्या भी घट गई है। वर्तमान में कंपनी के अंदर करीब 250 लोग काम कर रहे हैं। इनमें 200 श्रमिक आउटसोर्स से हैं। हालांकि भटनागर का कहना है कि लेबर की कमी नहीं है। लेकिन ऑर्डर न होने की वजह से अभी काम नहीं है। कंपनी जब पूरी क्षमता से प्रोडक्शन करती है तब 500 श्रमिक की आवश्यकता होती है। वहीं मालनपुर की ही जमुना ऑटो पार्टस कामर्शियल व्हीकल की कमानी बनाती है।

कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर का असर इस कंपनी पर भी दिखाई दे रहा है। यह कंपनी प्रति महीने 8 हजार टन कमानी बनाती थी। लेकिन वर्तमान में 2 हजार टन कमानी बन रही है। करीब 75 फीसदी प्रोडक्शन घट गया है। इसके पीछे वे मार्केट से ऑर्डर न होने की बात सामने आ रही हैं। कंपनी के मैनेजर समशी बताते हैं काम कम होने की वजह से लेबर ने भी आना कम कर दिया है। उनकी कंपनी अभी करीब 300 श्रमिक काम कर रहे हैं। जबकि लॉकडाउन से पहले कंपनी में 800 श्रमिक काम करते थे।

कंपनियों पर काम नहीं, लेबर कम लग रही
हम ज्यादातर अपने श्रमिक एसआरएफ कंपनी को देते हैं। लेकिन इस समय लेबर की मांग कम है। सू्र्या कंपनी भी इस समय सिर्फ ऑक्सीजन सप्लाई का कार्य कर रही है। कंपनियों के पास वर्क ऑर्डर नही है, इसलिए लेबर भी कम लग रही है।
नीरज चौहान, ठेकेदार आउट सोर्स

बानमोर… मांग कम थी इसलिए उत्पादन 20% तक कम किया

 मुरैना बानमोर में वाटर टैंक, प्लास्टिक पाइप का निर्माण कर रही अंबिका पॉलिमर कंपनी में 70 से ज्यादा कुशल-अकुशल श्रमिक काम करते हैं। लॉकडाउन में उत्पादन कम हाेने के कारण कुछ श्रमिक अन्य प्रांतों में अपने घर चले गए। फैक्टरी संचालक शिव शर्मा का कहना है कि इस समय बारिश होेने के कारण बाजार में कृषि उत्पाद की मांग कम है। इसलिए उत्पादन भी पहले के मुकाबले बीस प्रतिशत कम हो रहा है।

कच्चे मटेरियल की कोई दिक्कत नहीं है वहीं, बानमोर में संचालित प्रकाश पैकेजिंग कंपनी में 75 श्रमिक काम करते हैं। इनमें ज्यादातर अन्य प्रांतों के हैं। लॉकडाउन में श्रमिक अपने घरों को चले गए। कंपनी के मालिक सुदीप शर्मा बताते हैं कि अच्छे श्रमिकों को काम पर वापस बुलाने के लिए उन्हें लॉकडाउन के 2 महीनों का घर बैठे का वेतन देने का ऑफर तक दिया गया है। तब भी पूरे श्रमिक काम पर नहीं लौटे हैं।इससे उत्पादन पर असर पड़ रहा है।

इधर, बानमोर औद्योगिक क्षेत्र की वैक्टस फैक्टरी में पानी की टंकियां और पीवीसी के पाइप बनते हैं। 150 मैनपावर की इस कंपनी में 80 फीसदी श्रमिक लाेकल के हैं। 20 प्रतिशत कुशल श्रमिक अन्य प्रांतों के काम करते हैं। फैक्टरी मैनेजर संजीव लवानियां का कहना है कि अनलॉक के बाद अब जब उत्पादन गति पकड़ रहा है तो अच्छे कुशल श्रमिकों की उपलब्धता के लिए कंपनी निगोसिएशन का विकल्प भी रखे हुए है। उनके कारखाना में 20 कुशल श्रमिक अन्य प्रांतों के हैं जो काम पर उपस्थित हो गए हैं।

30%श्रमिक बाहरी, इन्हें बुलाने ऑफर दे रहे

लॉकडाउन में बाहर के श्रमिक पलायन कर गए। उन्हें लॉकडाउन का वेतन से लेकर इंसेटिव के ऑफर दिए गए हैं। कुछ आ गए, कुछ अभी नहीं आए। प्रयार कर रहे हैं कि जल्द से जल्द आ जाएं।
सुदीप शर्मा, फैक्टरी एसोशिशन, बानमोर

 

पीथमपुर… फार्मा को छोड़ अन्य कंपनियों का उत्पादन 20% घटा


पीथमपुर
पीथमपुर में बड़ी संख्या में टेक्सटाइल्स फार्मा ऑटोमोबाइल, लोहा, प्लास्टिक उद्योग हैं। फार्मा सेक्टर को छोड़कर अधिकांश कारखाने 70 से 80 फीसदी क्षमता से ही चल रहे हैं। फार्मा कंपनियां लॉकडाउन में भी 100 फीसदी क्षमता चलती रहीं। मोयरा स्टील के महाप्रबंधक सत्येंद्र सिंह के मुताबिक पूरे लॉकडाउन में बाजार बंद रहने से मांग नहीं आई। निर्यात बंद होने से भी उत्पादन प्रभावित हो रहा है।

इसके चलते कई उद्योगों ने मशीनें कम कर दी हैं। उत्पादन क्षमता भी घटा दी गई। हालांकि अब धीरे-धीरे फिर से उत्पादन क्षमता फिर बढ़ाई जा रही है। पीथमपुर औद्योगिक संगठन के अध्यक्ष गौतम कोठारी बताते हैं कि प्लास्टिक सामान, रेडीमेड कपड़े, ड्रिप एरिगेशन के पाइप जैसे सामान जो सीधे दुकानों से बिकते हैं, बाजार बंद होने से नहीं बिके। जब डीलर ही सामान नहीं मंगवा रहे थे तो कंपनियां उत्पादन कर क्या करतीं।

फार्मा प्रो़डक्ट्स का निर्यात बढ़ने से उत्पादन बढ़ा है। उद्योगपतियों चिंता है कि तीसरी लहर आई तो, दीपावली का सीजन भी खराब हो सकता है। पिछले लॉकडाउन के अनुभव के कारण इस बार ज्यादातर कंपनियों ने कम उत्पादन के बावजूद मजदूरों को नहीं जाने दिया। किसी ने शिफ्ट कम की, किसी ने हफ्ते में 5 दिन फैक्टरी चलाई। इस वजह से मजदूर वहीं टिके रहे और उत्पादन पर ज्यादा असर नहीं पड़ा। इस समय फार्मा प्रोडक्ट्स की कोई कमी नहीं है।

छोटे उद्योग लगाने आवेदन ज्यादा आवेदन आए
200 से ज्यादा छोटे उद्योग के लिए आवेदन आए हैं। जब यहां उद्योग बढ़ेंगे तो रोजगार भी बढ़ेगा। लॉकडाउन में उद्योगों पर कुछ असर पड़ा था, लेकिन अब फिर से यह रफ्तार पकड़ने लगे हैं, जल्द ही पूरी क्षमता से काम होगा।
रोहन सक्सेना, एक्जीक्युटिव डायरेक्टर एमपीआरडीसी

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