इंदौर के ये दर्द देने वाले गड्‌ढे,:अभी मानसून की सिर्फ दस्तक है, तब सड़कों का हो गया बुरा हाल, पानी भरे गड्‌ढों से निकलना मुश्किल

अभी तो मानसून ने इंदौर में सिर्फ दस्तक ही दी है। पहली बारिश में ही नगर निगम की पोल खुल गई है। थोड़ा सा पानी पड़ने से शहर की सड़कों की हालत खराब हो गई है। इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। शहर के तीन इमली चौराहे के समीप कई वर्षों से पहली बारिश में सड़कों के हालत बदतर हो गई है।

सड़कों पर हो रहे गड्ढों से लोगों को परेशानी हो रही है। यहां पैदल चलना तक दूभर है। गड्ढों में बारिश का पानी भर जाता है। इस ओर जिम्मेदार ध्यान नहीं दे रहे। शहर की सड़कों की हालत यह है कि नगर में हल्की सी भी बारिश हो जाती है, तो लोगों का पैदल चलना भी दूभर हो जाता है।

शहर के चार बस स्टैंड

सरवटे बस स्टैंड का पुनर्निर्माण कार्य शुरू हो चुका है। यहां से संचालित होने वाली करीब 700 बसें शहर के अलग-अलग 4 स्थानों से चल रही हैं जिसमें नौलखा, तीन इमली, गंगवाल बस स्टैंड और वल्लभ नगर जो कि राजकुमार सब्जी मंडी से संचालित किया जा रहा है। नगर निगम द्वारा यात्री सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए इन अस्थाई बस स्टैंड पर पेयजल, शेड आदि की सुविधा जो जुटाई है, लेकिन बारिश को लेकर पर्याप्त इंतजाम नहीं किए हैं। पहली बारिश में ही तीन इमली और नौलखा बस स्टैंड पर अव्यवस्थाएं सामने आने लगी हैं। हालांकि स्टैंड परिसर में कीचड़ नहीं हो रहा है, लेकिन प्रवेश द्वार के आसपास दिक्कतें आ रही हैं। इधर , यात्रियों को भीगने से बचाने के लिए नगर निगम द्वारा नए शेड भी लगाए जा रहे हैं।

बस स्टैंड पर बने गड्‌ढे में ऑटो के पहिए भी डूब जाते हैं।
बस स्टैंड पर बने गड्‌ढे में ऑटो के पहिए भी डूब जाते हैं।

ऑटो चालकों ने बताई अव्यव्स्था

मोहम्मद सलीम का कहना है कि यहां से रोजाना कलेक्टर ,कमिश्नर और कई अधिकारियों की गाड़ियां निकलती हैं, लेकिन इसके बावजूद यह 3 फीट गहरा गड्ढा किसी अधिकारी को नहीं दिखता है। इतना गहरा गड्ढा है, दोपहिया और तीन पहिया वाहन यहां फंसते हैँ। आसपास के खड़े लोग ही मदद करते हैं, लेकिन जिम्मेदार आंख मूंदे हैं।

शकील का कहना है कि रोजाना यहां पर ही हादसे होते हैं। दोपहिया बाइक सवार तो वह संतुलित होकर पानी में गिर जाते हैं। उनके मोबाइल और जेब में कई रखा सामान इन गड्ढों में गिर जाता है, लेकिन इसके बावजूद भी कोई सुध लेने वाला नहीं है।

प्रेम का कहना है कि कई वर्षों से बारिश के बाद सड़कों का यही हाल होता है, लेकिन कोई भी अधिकारी इस ओर रुख नहीं करता। बस स्टैंड से निकलने वाले यात्री भी कई बार इन सड़क में गिरकर हादसों का शिकार हुए हैं।

नौलखा स्थित इस अस्थाई बस स्टैंड परिसर में तो ब्लॉक लगे हैं। इसके चलते कीचड़ आदि नहीं हो रहा है, लेकिन जहां-जहां ब्लॉक निकल गए, वहां पानी जमा हो रहा है। प्रवेश द्वार के पास भी बसों के निकलने के कारण कीचड़ हो रहा है, जिससे यात्रियों को दिक्कत हो रही है।

वहीं, तीन इमली बस स्टैंड पर ब्लॉक लगे होने से पानी जमा नहीं हो रहा है, लेकिन स्टैंड के ठीक बाहर निचला हिस्सा होने से पानी भर रहा है, जिससे यात्रियों को स्टैंड तक पहुंचने में दिक्कत हो रही है। बस स्टैंड पर लगा शेड छोटा पड़ रहा है।

बारिश के दौरान दिक्कत न आए और यात्रियों को परेशानी न हो, इसलिए यहां 20 बाय 30 के दो नए शेड बनाए जा रहे हैं, ताकि बारिश के दौरान यात्री यहां रुक सकें। बसों को भी इन शेड के पास ही खड़ा किया जाएगा, ताकि यात्री सीधे बसों में सवार हो सकें। तीन इमली पर एक शेड लगा है।

तीन इमली बस स्टैंड : भोपाल मार्ग (सागर, टीकमगढ़, छतरपुर, पन्नाा, सतना, रीवा, सीधी, खजुराहो, बालाघाट, सिवनी, छिंदवाड़ा, सारणी, जबलपुर, दमोह, अजगढ़, पचमढ़ी, रेहली, बिजावर, कटनी, देवड़ी, नागपुर और पांढुर्ना आदि), शाजापुर, ब्यावरा, गुना, सिरोंज, सारंगपुर, इकलेरा, खिलचीपुर, जीरापुर, माचलपुर, तराना और नरसिंहगढ़ आदि मार्गों की बस।

वल्लभ नगर बस स्टैंड (यह अभी सरवटे से चलने वाली बसे यहाँ से चल रही है ) : उज्जैन और देवास मार्ग की बस।

नौलखा बस स्टैंड : खंडवा, ओंकारेश्वर, बुरहानपुर, खरगोन, महाराष्ट्र मार्ग (औरंगाबाद रूट की बसें)।

गंगवाल बस स्टैंड : आगरा, सुसनेर, राजस्थान और गुजरात मार्ग की बसें।

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