बाजार में सस्ते तेल के लिए अभी और इंतजार
केंद्र सरकार द्वारा मंगलवार शाम लिए निर्णय से खाद्य तेल में बढ़ती महंगाई से राहत की उम्मीद जागी है। दामों पर नियंत्रण के लिए केंद्र सरकार ने पाम तेल के आयात पर शुल्क घटा दिया है। बाजार में इसका असर अभी नजर नहीं आ रहा। सोया तेल की सबसे बड़ी मंडी इंदौर में खाद्य तेल के दाम बुधवार को भी मंगलवार के स्तर पर बने रहे। कारोबारियों का एक पक्ष महंगे तेल से राहत के लिए अभी इंतजार की बात कह रहा है, जबकि व्यापारियों के दूसरे वर्ग का मानना है कि सरकार ने शुल्क कटौती के दायरे से सोयाबीन तेल को बाहर रखा है। ऐसे में उपभोक्ताओं को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद फिलहाल बेमानी है।
मंगलवार शाम वित्त मंत्रालय ने कच्चे पाम तेल (सीपीओ) और प्रोसेस्ड पाम तेल (आरबीडी) पर आयात शुल्क कटौती का आदेश दिया। सीपीओ पर आयात शुल्क 15 से घटाकर 10 फीसद और आरबीडी पर 45 से घटाकर 37.5 फीसद किया गया। 30 से नए शुल्क लागू भी हो गए। माना जा रहा था कि सरकार के फैसले से तेल सस्ता होगा। हालांकि सोया तेल की प्रमुख मंडी इंदौर के बाजार में बुधवार को सरकार के शुल्क कटौती के फैसले का असर नहीं दिखा। थोक से खेरची बाजार तक दाम कम नहीं हुए। मंगलवार को खेरची बाजार में सोया तेल (खुला) के दाम 138 से 140 रुपये किलो थे, जो बुधवार को भी बरकरार रहे। थोक में तो दामों में गिरावट के बजाय थोड़ा सुधार हो गया।
सोया तेल के प्रमुख उत्पादक और कारोबारी राजेंद्र दम्मानी के मुताबिक देश में सबसे ज्यादा सोया रिफाइंड तेल उपभोग होता है। उपभोक्ताओं का राहत देनी थी, तो सोया तेल से आयात शुल्क कम करना था। मगर पाम तेल से ड्यूटी घटा दी। सोया तेल के आयात पर अब भी 38.50 फीसद ड्यूटी लागू है। ऐसे में उपभोक्ताओं को राहत मिलने की उम्मीद करना बेमानी है।
जल्द नजर आएगा असर
इंदौर के अन्य तेल कारोबारी कह रहे हैं कि ड्यूटी घटने का असर नजर तो जरूर आएगा। पाम तेल को सोया तेल का प्रतिस्पर्धी माना जाता है। खाद्य उद्योगों में पाम तेल का उपयोग होता है। ड्यूटी घटने से देश में पाम तेल का आयात बढ़ेगा। बीते दिनों सबसे बड़ा पाम तेल उत्पादक देश इंडोनेशिया भी अपने यहां निर्यात लेवी (कर) में कमी कर चुका है। ऐसे में देश में सस्ती कीमतों पर पाम तेल आयात होगा तो इसका असर सीधे तौर पर सोया रिफाइंड की कीमतों पर भी पड़ेगा।
150 रुपये लीटर का स्तर भी पार
देश के सबसे बड़े सोयाबीन उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश में बीते वर्षों में सोयाबीन तेल महंगाई के दिनों में भी अधिकतम 90 रुपये किलो तक बिका था। इसकी कीमत में अप्रैल 2020 से आग लगना शुरू हुई। मई 2021 तक आते-आते 150 रुपये प्रति किलो के स्तर को भी पार कर गया।
नेपाल और बांग्लादेश से सस्ता आयात
सोयाबीन तेल के उत्पादक और प्रोसेसर्स सरकार से मांग कर रहे हैं कि सोयाबीन तेल पर भी ड्यूटी कम करें। शांति ओवरसीज के मुकेश कचोलिया के अनुसार सार्क देशों के आपसी समझौते के पालन में फिलहाल देश में नेपाल और बांग्लादेश से बड़े पैमाने पर ड्यूटी फ्री सोया तेल आयात हो रहा है। इससे स्थानीय रिफाइनरियों को नुकसान हो रहा है, जबकि नेपाल-बांग्लादेश में सोयाबीन तेल का उत्पादन ही नहीं होता।