बाढ़ का दर्द:पानी उतरा लेकिन डर ऐसा कि खुले में रह रहे, गांव जाने को तैयार नहीं ग्रामीण

  • बाढ़ प्रभावित बोले- प्रशासन की तरफ से अभी तक हमारे पास कोई मदद नहीं पहुंची

अमायन क्षेत्र के कई ग्रामीण इलाकों में अब बाढ़ का पानी उतर चुका है, लेकिन बाढ़ से हुई बर्बादी को देख ग्रामीणों को आने वाली जिंदगी को फिर से बसाने की चिंता सताने लगी है, ऐसे लोग गांव में पहुंचकर बाढ़ से हुई बर्बादी को देख कर आए लेकिन अभी वे गांव में रहने के लिए जाना नहीं चाहते, वे अभी भी सड़कों के किनारे और ऊंचे टीले पर अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं। शनिवार को बाढ़ पीडित ग्रामीणों ने भास्कर प्रतिनिधि से चर्चा हुए बताया कि गांव में पीने के लिए पानी और बिजली नहीं है। ऐसे में रात के समय वहां पर रुकना मुश्किल हो रहा है। गौरतलब है कि कछपुरा, अजीता, खैरौली, बछरेटा,बरैठी, खेरिया, सांधुरी, बिरौना, इंदुर्खी गांव के 75 फीसदी घरों का पूरा सामान बाढ़ में बह चुका है। बछरेटा गांव के निवासी अहिवरन सिंह पीड़ा बताते हुए कहते हैं, कि गांव से बाढ़ का पानी पूरी तरह से उतर चुका है, पिछले दो दिन से ग्रामीण अपने टूटे हुए मकानों से जमा मलबा और कचरा साफ करने में लगे हुए हैं।

बरैठी निवासी राजवीर सिंह, कछार निवासी हरिराम सिंह, बेताल सिंह का कहना है कि बाढ़ से हुई बर्बादी के बाद अब चिंता इस बात की सता रही है कि आगे परिवार का भरण-पोषण कैसे हो सकेगा। वर्तमान में गांव के अंदर पीने का पानी नहीं होने के साथ बिजली सप्लाई भी बंद है। जिसके कारण यहां पर रुकना कठिन हो रहा है। इस कारण से दिन के समय ग्रामीण गांव में आकर अपने टूटे और जर्जर हुए मकानों की साफ-सफाई और मरम्मत करने के बाद गांव के बाहर ऊंची जगहों पर चले जाते हैं।

अकोड़ाः तीन दिन से गांव का रास्ता बंद
अटेर क्षेत्र में क्वारी नदी का जलस्तर बढ़ने के कारण मिचौली गांव के मुख्य मार्ग पानी डूबा हुआ है। जिसके चलते गांव का जिला मुख्यालय से संपर्क कट गया है। शनिवार को मोबाइल पर कॉल करते हुए ग्रामीण रविंद्र सिंह यादव, अरिवंद सिंह ने बताया कि गांव के मुख्य मार्ग पिछले तीन दिन से तीन से चार फीट तक पानी भरा हुआ है। ऐसी स्थिति में गांव का संपर्क जिला मुख्यालय के साथ अन्य गांव से भी पूरी तरह से कट चुका है। वहीं प्रशासन की तरफ से हम ग्रामीणों तक कोई मदद नहीं पहुंची है, अगर नदी का जलस्तर इसी प्रकार बढ़ता रहा तो गांव में अंदर पानी भर जाएगा।
लहारः गांवों की बंद है बिजली आपूर्ति
सिंध नदी का जलस्तर कम होने के साथ ही लहार क्षेत्र के बाढ़ प्रभावित लिलवारी, ढीमरन का पुरा,गिरवास, अजनार गांव में बाढ़ का पानी पूरी तरह उतर चुका है। लेकिन गांव में फिर से रहने के लिए पहुंचे लोग में बिजली और पानी न होने को लेकर परेशान हैं। अजनार गांव निवासी देवेंद्र सिंह और लिलवारी गांव निवासी राजेश सिंह बताते हैं कि बाढ़ का पानी उतरने के बाद अधिकांश लोग गांव वापस आ चुके हैं। लेकिन गांव का मंजूर देखकर कभी नहीं सोचा था कि अभी ऐसा दृश्य देखने को मिलेगा। यहां ग्रामीण पानी के लिए परेशान हैं। बिजली भी नहीं होने से प्रशासन के प्रति आक्रोश है।
रौनः पटरी पर आने में अब समय लगेगा
डिडोना, रैंमजा, मेहदा, बहादुर पुरा गांव के ग्रामीण जहां बाढ़ में घर-गृहस्थी के बर्बाद होने को लेकर दुखी हैं। वहीं उनका कहना है कि अब पहले की तरह गृहस्थी फिर से पटरी पर आने में समय लगेगा। शनिवार को बाढ़ में जर्जर हुए घर से मलबा निकालते हुए मेहदा निवासी प्रेम सिंह बताते हैं कि पेट भरने के लिए भोजन तो रोजाना सामाजिक संगठन देकर जा रहे हैं। लेकिन अब गांव में सबसे अधिक परेशानी पीने के पानी की हो रही है। गांव के हैंडपंपों में भी मटमैला पानी आ रहा है, वहीं कुएं बाढ़ के पानी से भरे हुए हैं। प्रशासन को गांव में बिजली और पानी की व्यवस्था करनी चाहिए।

प्रशासन से नहीं मिली कोई मदद

खैरौली निवासी विशंभर सिंह बघेल ने बताया कि प्रशासन की ओर से अभी तक कोई मदद नहीं मिली है। गांव में पीने का पानी तक नहीं है। कुएं बाढ़ के पानी से भर चुके हैं। हैंडपंपों में गंदा पानी आ रहा है। ऐसे में गांव के लोगों को ट्रैक्टर सहित अन्य लोडिंग वाहन से अमायन जाकर ड्रमों में पानी लाना पड़ रहा है। वहीं समाजसेवी संगठन द्वारा बांटे जा रहे भोजन के पैकेटों से दिन कट रहे हैं।

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