10 साल की बहन चायना मेड मैटेलिक चुंबक खरीदकर लाई थी, उसे निगलने से भाई चला गया; दोनों बेसब्री से कर रहे थे रक्षाबंधन का इंतजार

इंदौर में रहने वाली 10 साल की मैत्री का रो-रोकर बुरा हाल है। वह पिछले कई दिनों से रक्षाबंधन का इंतजार कर रही थी। अपने भाई के लिए ऑनलाइन राखी भी तलाश रही थी। उसे पता नहीं था कि उसका ही एक खिलौना उसके 3 साल के भाई कबीर तिवारी की मौत का कारण बन जाएगा। कबीर ने खेल-खेल में चुंबक निगल लिया था। उसे सोमवार सुबह 8 बजे अस्पताल लाया गया था। एंडोस्कोपी के बाद बच्चे की मौत हो गई थी। परिजन ने एनेस्थीसिया (बेहोशी की दवा) के ओवरडोज और देखभाल में लापरवाही का आरोप लगाया था।

कबीर के मौसा अजय पाठक ने बताया- कबीर की बहन मैत्री पास की ही दुकान से कुछ दिन पहले चुंबक का पैकेट दिलवाया था। कुछ दिन खेलने के बाद मैत्री ने उसे कहीं रख दिया। इसके बाद यह कबीर के हाथ लग गया। इसका पता तब चला जब कबीर ने गले में कुछ चुभने की बात कही। परिवार उसे अस्पताल लेकर गया। जांच में पता चला चुंबक है। जरा भी अंदेशा नहीं था कि इतना छोटा चुंबक जानलेवा हो सकता है।

यह चाइना मेड चुंबक था। चुंबक का पैकेट 20 रुपए में स्टेशनरी और खिलौनों की दुकान पर मिलता है। एक पैकेट में स्टार, चौकोर, त्रिभुज और गोल आकार के छोटे-छोटे चुंबक होते हैं। आकार बड़ी बिंदिया के बराबर और वजन काफी हल्का होता है। मैटेलिक चुंबक चिकना होता है, इसकी वजह से स्लिप होता है।

कबीर का जन्मदिन भी नहीं मना पाए थे
कबीर की मौत के गम में उसकी मां नीतू और दादी विमला का हाल बुरा है। परिवार का हर सदस्य उसके साथ बिताए खुशियों के लम्हों को याद कर रो रहा है। 2 अप्रैल को कबीर का बर्थडे था। तब शहर में कोरोना ने जोर पकड़ लिया था। पूरे शहर में लॉकडॉउन लगा था। बर्थडे के दो दिन पहले दादा का कोरोना से निधन हो गया था। दादा कबीर का बर्थडे धूमधाम से मनाते थे। परिवार ने कबीर को समझाया था कि अब हम रक्षाबंधन बहुत धूमधाम से मनाएंगे। इस पर कबीर बार-बार पूछता था कि रक्षाबंधन कब आएगा, लेकिन राखी के पहले ही कबीर चला गया।

यह है चाइनीज छोटे-छोटे चुंबक। इसमें स्टार आकार वाले चुंबक ने ली कबीर की जान।
यह है चाइनीज छोटे-छोटे चुंबक। इसमें स्टार आकार वाले चुंबक ने ली कबीर की जान।

15 दिन पहले ही हुआ था एडमिशन
चाचा रवि ने बताया कि परिवार का हर सदस्य उसका बहुत ध्यान रखता था। 15 दिन पहले ही प्री नर्सरी स्कूल में उसका एडमिशन कराया था। ऑनलाइन क्लासेस भी शुरू हो गई थी। इसमें कबीर को काफी अच्छा लगता था और वह समझने की कोशिश करता था। बहन मैत्री तो उसके बिना एक पल नहीं रहती थी। दोनों साथ में खेला करते थे।

8 दिन से आइसक्रीम और चॉकलेट की जिद कर रहा था
ऑपरेशन से पहले कबीर को सर्दी थी। सामान्य इलाज चल रहा था। डॉक्टर ने ऐसी चीजें, जिनसे सर्दी-खांसी या गला खराब होता है, देने से मना किया था। लिक्विड और सेमी सॉलिड फूड देने को कहा था। परिजन यही डाइट दे रहे थे। कबीर ने कई बार आइसक्रीम और चॉकलेट की जिद की।

पिता सुनील तिवारी ने बताया कि डॉक्टर ने ऑपरेशन के पहले कुछ खिलाने-पिलाने से पहले मना किया था, इसलिए परिवार ने उसे पानी भी नहीं दिया था। वह उसे दिलासा देते रहे कि बस जल्द ही सब कुछ खाने को देंगे। कुछ देर बाद उसे ऑपरेशन थिएटर में ले जाया गया। फिर ऑपरेशन के बाद उसे एनआईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया। हम उसके होश में आने का इंतजार करते रहे, लेकिन वह हमेशा के लिए सो गया…।

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