सांसद-विधायकों के खिलाफ 230 मुकदमे लंबित

हाईकोर्ट के प्रस्ताव के बाद भी नहीं खोले गए तीन और स्पेशल कोर्ट

मध्यप्रदेश के सांसद विधायकों के खिलाफ वर्तमान में 230 आपराधिक मुकदमे लंबित हैं, जो भोपाल स्थित 21वें अपर सत्र न्यायधीश की विशेष कोर्ट में विचाराधीन हैं। इस कोर्ट का गठन मार्च 2018 में किया गया था, तब प्रदेशभर की अदालतों में सांसद और विधायकों के 130 मुकदमों को भोपाल ट्रांसफर किया गया था। तीन साल में करीब 70 से 80 केसों का निपटारा हो चुका है, बावजूद इसके केसों की संख्या घटने के बजाए बढ़ गई है।

सांसद-विधायकों के विरुद्ध केसों में सरकार का पक्ष रखने वाले विशेष लोक अभियोजक कमल वर्मा के मुताबिक एक माह पहले कुल केसों की संख्या 250 थी, जिसमें से 20 केसों में निपटारा हो चुका है। 40% केस धारा-144, 188 से जुड़े हैं, जो धरना प्रदर्शन या सरकारी कार्य में बाधा जैसे राजनीतिक घटनाक्रमों से संबंधित हैं। वर्तमान में हत्या के प्रयास के 5 केस, भ्रष्टाचार के 8 केस, बलात्कार के एक केस में रेगुलर ट्रॉयल चल रही है।

हाल ही में सरकार ने तीन केसों को वापस लेने कोर्ट में आवेदन दिए थे, जिसमें से एक केस वापस लिया गया है। एमिकस क्यूरी की रिपोर्ट के मुताबिक सितंबर 2020 की स्थिति में मप्र के सांसद-विधायकों से जुड़े 190 केस अदालत में लंबित थे, जिसमें 51 केस सेशन ट्रॉयल (7 साल से अधिक सजा वाले अपराध) और 139 केस मजिस्ट्रेट ट्रॉयल (3 साल से कम सजा वाले अपराध) से जुड़े थे। 72 केस नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट की धारा 138 से जुड़े थे। जबकि 21 केस गंभीर किस्म के भ्रष्टाचार से जुड़े थे।

जबलपुर, इंदौर, ग्वालियर में विशेष कोर्ट खोलने का प्रस्ताव लंबित
जनप्रतिनिधियों से जुड़े मुकदमों के निपटारे के लिए हाईकोर्ट ने सरकार को 3 और स्पेशल कोर्ट खोलने का प्रस्ताव भेजा था, यह कोर्ट जबलपुर, इंदौर और ग्वालियर में खोले जाने थे, लेकिन सरकार ने इस प्रस्ताव पर निर्णय नहीं लिया है।

अपराधी प्रवृत्ति के जनप्रतिनिधियों पर रोक लगाने सुप्रीम कोर्ट में लंबित जनहित याचिका में एमिकस क्यूरी विजय हंसारिया की ओर से जो रिपोर्ट दी गई है, उसमें नए कोर्ट के प्रस्ताव का जिक्र है। इस पर सरकार का पक्ष जानने हमने विधि विभाग के प्रमुख सचिव गोपाल श्रीवास्तव से संपर्क किया, लेकिन उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

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