ग्वालियर केआरजी कॉलेज:कंडम घोषित इमारत में 25 लाख की फॉल्स सीलिंग, प्रदेश के सबसे बड़े कॉलेज में इमारत की मरम्मत, सफाई और खरीदी में गड़बड़ी

प्रदेश के सबसे बड़े केआरजी कॉलेज में कंडम घाेषित इमारत में फॉल्स सीलिंग पर 25 लाख रुपए खर्च और पुताई पर 7 लाख रुपए खर्च करने का मामला सामने आया है। कॉलेज के पूर्व कर्मचारी विकास दुबे ने आरटीआई द्वारा खरीदी एवं संधारण से संबंधित 1245 पेज के बिल प्राप्त किए हैं।

इससे खुलासा हुआ है कि 27 अप्रैल 2015 को तत्कालीन कलेक्टर पी.नरहरि ने कॉलेज परिसर में कॉरिडोर की इमारत को कंडम घोषित किया था। उसमें प्राइवेट फर्म से 25 लाख रुपए में फॉल्स सीलिंग कराई गई है। पुताई का काम 7 लाख रुपए से कराया गया है। सरकारी इमारत होने के कारण दोनों काम पीडब्ल्यूडी को करना थे, लेकिन निजी फर्मों से कराया गया। यही नहीं नैक की ए प्लस ग्रेड प्राप्त कॉलेज में 186 ट्रॉली कचरा निकालना दिखाकर बिलों का भुगतान किया गया है। इस मामले में शिकायतकर्ता विकास दुबे का कहना है कि मैं इस मामले की लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू में शिकायत कर रहा हूं।

हमने कुछ भी गलत नहीं किया
विकास दुबे को नौकरी से निकाल दिया था तो उनकी मानसिक स्थिति खराब हो गई है। इसलिए बेवजह शिकायत करते हैं। हमारे यहां पर हर काम चाहे संधारण हो, सफाई या सामान खरीदी हो, मेरे हिसाब से सब नियमानुसार हुआ है। कुछ भी गलत नहीं किया है।
-डॉ. एमआर कौशल, प्रभारी प्राचार्य, केआरजी कॉलेज

कचरा फिंकवाने किया ~3.24 लाख का भुगतान

  • जिन बिलों पर लगाई थी रोक, उनका कराया भुगतान: वर्ष 2017 में केआरजी कॉलेज को बेहतर मैनेजमेंट के लिए ग्रेडिंग एजेंसी नैक द्वारा ए प्लस ग्रेड दिया गया था, लेकिन जून 2018 में अलग-अलग तारीखों में 1200 रुपए प्रति ट्रॉली के हिसाब से कचरा फिंकवाने के बिल तैयार हुए। उस समय प्राचार्य डॉ.केएस सेंगर थे, जिन्हें गड़बडिय़ों की वजह से टर्मिनेट कर दिया गया था। इसी वजह से इन बिलों के भुगतान पर रोक लग गई। इन्हीं बिलों का भुगतान वर्तमान प्रभारी प्राचार्य डाॅ.एमआर कौशल ने फरवरी 2021 में करा दिया। कुल 186 ट्रॉली कचरा फिंकवाने के लिए 3 लाख 24 हजार 800 रुपए का भुगतान केडीएस इंटरप्राइजेस को किया गया।
  • बाजार दर से तीन गुना अधिक कीमत पर सामान खरीदा: दिसंबर 2020 से जुलाई 2021 के दौरान 33 हजार रुपए प्रति नग के हिसाब से 35 कूलर खरीदे। 40 से 70 हजार रुपए नग के हिसाब से डेढ़ टन के 15 एसी खरीदे गए। 2 स्मार्ट क्लास बनवाईं। हर क्लास को तैयार कराने के लिए भुगतान 4 लाख 79 हजार 990 रुपए का हुआ है। जबकि 4 स्मार्ट क्लास पहले से ही बनकर तैयार हैं। 46 हजार से लेकर 99 हजार रुपए तक के 40 डेस्कटॉप खरीदे गए। 45 हजार रुपए नग के हिसाब से 30 लैपटॉप खरीदे गए। इसके अलावा बड़ी संख्या में आरओ, वाटर कूलर, अलमारियां, कुर्सी, टेबल आदि फर्नीचर खरीदा गया है। यह सभी सामान बाजार रेट से दो से तीन गुना महंगा है। शरन ब्रदर्स, अल ग्रोथ इंटरप्राइजेस, मोहित सेल्स कॉर्पोरेशन, खुशी एसोसिएट, याशिका इंटरप्राइजेस, सनराइज सिस्टम के जिन बिलों में जीएसटी जोड़ी गई, फाइनल बिल में जीएसटी हटाकर राशि का बिल तैयार हुआ।

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