48 साल से नहीं सोए ये रिटायर्ड अफसर:रीवा के 71 साल के मोहनलाल कहते हैं- 1973 में व्याख्याता बना तभी से उड़ गई नींद, दिल्ली-मुंबई तक इलाज कराया, सब हैरान
मेडिकल साइंस के मुताबिक व्यक्ति को स्वस्थ रहने के लिए 6 से 8 घंटे की नींद लेना जरूरी है। रीवा के चाणक्यपुरी कॉलोनी में रहने वाले रिटायर्ड ज्वॉइंट कलेक्टर मोहनलाल द्विवेदी (71) इस दावे को चुनौती देते हैं। मोहनलाल का दावा है कि वे पिछले 48 वर्षों से एक पल भी नहीं सोए हैं। इसके बावजूद उन्हें कोई परेशानी नहीं होती। उन्होंने दावा किया के वे दिल्ली और मुंबई में भी इलाज करवा चुके हैं। हालांकि, उनसे डॉक्टरों के परचे या फोन नंबर मांगा तो वे उपलब्ध नहीं करवा सके। उन्होंने कहा कि करीब 25 साल पहले इलाज कराया था।
मोहनलाल की दिनचर्या भी आम इंसानों की तरह है। उन्हें देखकर डॉक्टर भी हैरान हैं। यही नहीं, बेटी और पत्नी भी दो से तीन घंटे ही सोते हैं। एक्सपर्ट का कहना है कि मोहनलाल की जो स्थिति है, उस पर यकीन नहीं होता। सोना तो दिनचर्या का हिस्सा है, उसके बगैर कैसे स्वस्थ रह सकता है, वह भी इतने साल।
मोहनलाल द्विवेदी का जन्म 1 जुलाई 1950 को त्योंथर ब्लॉक के जनकहाई गांव में हुआ। गांव में शुरुआती शिक्षा लेने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए त्योंथर व रीवा आ गए। इस दौरान भी वह आम इंसान से कम ही सोते थे।
वह रोजाना करीब 2 से 3 घंटे की ही नींद लेते थे। मोहनलाल के मुताबिक, उनके पिता भी 2 से 3 घंटे ही सोते थे। 1970 को नर्मदा द्विवेदी के साथ विवाह हो गया। उनकी एक बेटी प्रतिभा द्विवेदी भी है। प्रतिभा नाम की तरह ही प्रतिभावान है। वह दोनों हाथ से बराबर फरार्टे से लिखती है। प्रतिभा के एक बेटी है, जबकि पति सीधी में इंजीनियर हैं।
लेक्चरर बनते ही नींद गायब
मोहनलाल ने बताया, वर्ष 1973 में उनकी लेक्चरर पद पर नौकरी लगी। कुछ दिन बाद जुलाई माह से उनकी नींद गायब हो गई। इसके बाद वे सरकारी नौकरी छोड़कर रीवा के टीआरएस कॉलेज आकर संविदा पर प्रोफेसर बन गए। फिर 1974 में MPPSC क्वालिफाई किया। सिवनी जिले के लखनादौन में बतौर नायब तहसीलदार जॉइन किया। 1990 में तहसीलदार, 1995 में एसडीएम और 2001 में ज्वॉइंट कलेक्टर बनने के बाद रिटायर हो गए।
ऐसी है दिनचर्या
- सुबह 4 बजे बिस्तर से उठकर छत पर टहलना, योगा, एक्सरसाइज
- सुबह 7 बजे स्नान
- सुबह 8 बजे से 10 बजे तक पूजा पाठ
- सुबह 11 बजे नाश्ता और भोजन
- दोपहर 12 बजे से शाम तक किताब पढ़ना
- शाम 7 से 9 बजे तक फिर पूजा पाठ
- रात 9 बजे खाना
- रात 10 बजे से टीवी देखना
- रात 12 बजे से बिस्तर में जागते हुए पड़े रहना।
7 जिलों में की नौकरी
मोहनलाल ने करीब 7 जिलों में सेवाएं दीं। रीवा के बाद वह सिवनी जिले के लखनादौन, बालाघाट, शहडोल, पन्ना, सतना, सीधी आदि जिलों सेवाएं दे चुके हैं। वह अपने सेवाकाल में 10 घंटे ऑफिस में वर्क करते थे। वे सुबह 10 बजे से एसडीएम कोर्ट में बैठ जाते थे। फिर वह रात 8 बजे ही उठते थे। ऐसे में साथी बाबू व क्लर्क परेशान रहते थे कि सर, कब घर जाएं।
दिल्ली और मुंबई के डॉक्टर भी हैरान
मोहनलाल बताते हैं कि शुरुआत में कई दिनों तक यह समस्या किसी को नहीं बताई। वह रात-रातभर चुपचाप बिस्तर में पड़े रहते थे। आंखों में न जलन होती थी और न ही शरीर की अन्य क्रियाओं में अंतर आया। कुछ दिन बाद खामोशी तोड़ी। पहले झाड़-फूंक करवाई। घर के लोग भूत-बयार की आशंका करते थे। फिर भी नींद नहीं आई, तो डॉक्टरों से इलाज कराना शुरू किया। लगातार दो-तीन साल तक दिल्ली, मुंबई के हॉस्पिटल, जबलपुर और रीवा के मानसिक रोग विशेषज्ञ, मेडिसिन के डॉक्टरों ने कई प्रकार की जांचें कराई, लेकिन रिपोर्ट शून्य रही। आखिरी बार 2002 तक चिकित्सकों के संपर्क में रहे, पर निदान नहीं मिला।
नौकरी के दौरान कई जगह जासूसी भी हुई
मोहनलाल ने बताया, जब वे पन्ना में पदस्थ थे। उस दौरान साथी लोग रात में जासूसी करते थे। कहते थे कि संयुक्त कलेक्टर सोते हैं कि नहीं। क्योंकि लोगों को विश्वास नहीं होता था। साथ ही, वह जिस काम को बोलकर ऑफिस से घर जाते थे, रात को पूरा कर सुबह कार्यालय पहुंच जाते थे। पन्ना के बाद सीधी जिले में रहे। वहां भी लोग जासूसी करते थे। उनका कहना है, नींद न आने से वे प्रशासनिक सेवा को बखूबी अंजाम देते थे। दावा किया, अपने कार्यकाल के दौरान काम पेंडिंग नहीं रखते थे।
24 घंटे जागना नई बात नहीं
मोहनलाल ने बताया, एक बार मैं टीवी देख रहा था। देखा कि कैलिफोर्निया का रहने वाला मुझसे 4 साल छोटा एक शख्स भी है, वह भी नहीं सोता है। हमारे पिता भी कम सोते थे। इसी तरह, मेरी पत्नी और बेटी भी कम सोती है। भगवान राम के 14 वर्ष के वनवास के दौरान लक्ष्मण जी भी एक पल नहीं सोए थे। वे तो भोजन भी नहीं करते थे। मैं तो खाना-पीना खाता हूं।
डॉक्टर के जवाब पर काउंटर वार
दैनिक भास्कर ने जब संजय गांधी हॉस्पिटल के सीएमओ डॉ. यत्नेश त्रिपाठी से बात की, तो वह बोले- ऐसा कतई नहीं हो सकता। यह जांच का विषय है। कैसे एक आदमी 48 साल से बिना सोए जिंदा है। इस पर मोहनलाल द्विवेदी बोले- डॉक्टर साहब को जानकारी नहीं है। वह आएं और हमारे साथ रहें, तब जवाब मिलेगा। जब दिल्ली-मुंबई के डॉक्टर हार गए हैं, तो वह क्या चीज हैं।
इधर, श्याम शाह मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. मनोज इंदुलकर ने कहा, निद्रा का माइंड में एक केंद्र होता है। जहां से निकलने वाले हार्मोन में जब कमी होने लगती है, तो यह स्थिति उत्पन्न होती है। इसकी वजह से निद्रा रोग होने की संभावना बढ़ जाती है। हालांकि मेडिकल साइंस के लिए नई चुनौती नहीं है। कुछ आनुवांशिक बीमारियां भी हो सकती हैं।