भोपाल के तालाबों पर वेटलैंड रूल लागू, पर कई चुनौतियां:तालाबों के चारों ओर से अतिक्रमण हटाना मुश्किल; बड़ा तालाब के ही सैकड़ों नहीं हट पाए
भोपाल के 6 एकड़ से ज्यादा विस्तार वाले तालाबों पर वेटलैंड रूल्स लागू हैं। अब सौंदर्यीकरण, ईको सिस्टम बनाने जैसे कई काम होंगे। इससे तालाबों को नया जीवन मिलेगा। हालांकि इन्हें संवारने में कई चुनौतियां भी आड़े आ सकती हैं। वर्तमान में कई तालाब अतिक्रमण की जद में है। यहां तक कि कैचमेंट एरिया में भी अतिक्रमण हो चुके हैं। इन्हें हटाना मुश्किल रहेगा। वहीं, तालाबों में गंदगी भी मिल रही है। अफसरों के तालाब संरक्षण के तमाम दावों के बावजूद हकीकत जुदा है।
वेटलैंड रूल-2017 के दायरे में अब तक बड़ा और छोटा तालाब ही थे, लेकिन अब 6 एकड़ से ज्यादा क्षेत्रफल वाले तालाब भी इस दायरे में आ गए हैं। बड़ा व छोटा तालाब की तर्ज पर ही इन तालाबों का भी विकास होगा। वहीं, फुल टैंक लेवल (FTL) से 50 मीटर के दायरे में किसी भी तरह का निर्माण नहीं हो सकेगा। किनारों पर किसी भी प्रकार की गतिविधियों के संबंध में स्टेट वेटलैंड अथॉरिटी से अनुमति लेना होगी। फिलहाल सरकार 90 दिन के भीतर तालाबों का दायरा, कैचमेंट एरिया, ईको सिस्टम, पक्षियों की बसाहट आदि के बारे में रिपोर्ट तैयार करेगी और वेटलैंड अथॉरिटी को सौंपेंगी।
ये मौजूदा स्थिति
वर्ष 2017 में देशभर के करीब 130 तालाब चिन्हित किए गए थे। इनमें राजधानी का बड़ा व छोटा तालाब शामिल हैं। नियमानुसार तालाब के 50 मीटर के दायरे में निर्माण नहीं हो सकता, लेकिन बड़ा तालाब के कैचमेंट एरिया में दर्जनों कॉलोनियां बन गईं। खानूगांव, रातीबड़, कोहेफिजा, नीलबड़ समेत कई क्षेत्रों में सैकड़ों पक्के निर्माण कर लिए गए। कुछ साल पहले हुए सर्वे में 500 से अधिक अतिक्रमण सामने आए थे। इसी साल प्रशासन ने अवैध कब्जाधारियों पर कार्रवाई भी की थी। बड़ा और छोटा तालाब में सीवेज का पानी भी मिल रहा है, जो तालाब को प्रदूषित कर रहा है।
- मोतिया तालाब, लैंडिया तालाब, मुंशी खां तालाब के आसपास भी अतिक्रमण की समस्या है। वहीं गंदगी भरी हुई है। मुंशी खां तालाब के आसपास कई पक्के अतिक्रमण तक हो चुके हैं। आसपास के नालों से गंदा पानी तालाब में मिल रहा है।
- बड़ा तालाब की रामसर साइड के लिए विश्व बैंक से बजट आता है। बाकी तालाबों के लिए बजट एक बड़ी समस्या बनेगा।