MBBS के अनुसूचित जाति के छात्रों की स्कॉलरशिप में कटौती:MP में प्राइवेट कॉलेजों ने 2 लाख रुपए तक का बोझ डाला; भोपाल में इंदौर समेत प्रदेश भर के स्टूडेंट्स ने डेरा डाला, CM हाउस तक पहुंचे
मध्यप्रदेश में निजी मेडिकल कॉलेज में MBBS की पढ़ाई कर रहे अनुसूचित जाति के स्टूडेंट्स की स्कॉलरशिप में कटौती कर दी गई है। यह करीब 15% तक की गई है। ऐसे में कॉलेजों ने इसका बोझ छात्रों पर डाल दिया है। एक छात्र पर अब 1 लाख से लेकर 2 लाख रुपए तक का बोझ है। इससे परेशान भोपाल और इंदौर समेत प्रदेश भर के छात्र सोमवार को भोपाल पहुंचे। पहले उन्होंने सतपुड़ा भवन में उच्च शिक्षा अधिकारियों और फिर CM हाउस में एक आवेदन दिया। छात्रों की शिकायत पर अधिकारियों ने विश्वास दिलाया कि मामले की जांच की जाएगी। कॉलेजों को निर्देशित किया जाएगा, ताकि छात्रों पर इसका बोझ न पड़े।
छात्रों ने बताया कि मेडिकल प्रथम वर्ष के अनुसूचित जाति के छात्रों की स्कॉलरशिप में कटौती की गई। इसको लेकर 100 से ज्यादा छात्र सोमवार दोपहर सतपुड़ा भवन पहुंचे। MBBS प्रथम वर्ष के अनुसूचित जाति की स्कॉलरशिप 12 लाख 15 हजार रुपए है। सरकार ने 10 लाख 32 हजार 750 ही दिए हैं। अन्य छात्रों को 12 लाख 15 हजार रुपए ही दिए जा रहे हैं।
मध्य प्रदेश निजी विश्वविद्यालय आयोग विनियामक आयोग भोपाल द्वारा MBBS पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने वाले अनुसूचित जाति के छात्रों की छात्रवृत्ति (संशोधित शुल्क अनुसार) 12 लाख 15 हजार रुपए देने का लेख किया गया है। मध्यप्रदेश शासन का नियम है कि विनियामक आयोग भोपाल द्वारा जो फीस निर्धारित की जाएगी, उसका पूरा वहन मध्यप्रदेश शासन द्वारा किया जाएगा।
संचालक मेडिकल कॉलेज एजुकेशन की वेबसाइट पर जो फीस चार्ट अपलोड किया गया था, उसमें 12 लाख 15 हजार रुपए देने का जिक्र है। इसी के आधार पर छात्रों ने प्रवेश लिया था। कॉलेज द्वारा अनुसूचित जाति के छात्रों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति की कुल डिफरेंस राशि 1 लाख रुपए से लेकर 2 लाख रुपए की मांग की जा रही है।
विद्यार्थियों की आर्थिक स्थिति इतनी नहीं है कि वे घर से फीस दे सकें। दूसरे छात्रों की छात्रवृत्ति में कोई कटौती नहीं की गई है। अनुसूचित जाति के छात्रों के साथ पूरी तरह से भेदभाव है। इस प्रकार फीस नहीं मिलने के कारण कितने छात्रों की पढ़ाई पूरी नहीं होगी या कॉलेज छोड़ देंगे।
इसलिए कटौती की गई
शासन के अनुसार कोरोना के कारण कॉलेज नहीं लगने के चलते तय मापदंड के अनुसार 15% कटौती की गई है। इधर कॉलेज वालों का कहना है कि उन्हें इससे कोई लेना देना है। वह पूरी फीस लेंगे। सरकार ने जो कटौती की है, वह छात्रों को देना होगी।