Uphaar Cinema Fire Case : साक्ष्यों से छेड़छाड़ मामले में कोर्ट आज सुना सकता है फैसला, 59 लोगों की हुई थी मौत
उपहार अग्नकांड में साक्ष्यों से छेड़छाड़ करने के मामले में कोर्ट आज फैसला सुना सकता है. कोर्ट ने कल अंतिम बहस पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. सुप्रीम कोर्ट ने असंल बंधुओं को काटी गई सजा और 30-30 करोड़ रुपए जुर्माने के बाद रिहा कर दिया गया था.
उपहार अग्निकांड (Uphaar Cinema Fire) से जुड़े साक्ष्यों से छेड़छाड़ मामले में कोर्ट (Court) शुक्रवार आज फैसला (Verdict) सुना सकता है. मामले में अन्य लोगों के साथ सुशील अंसल और गोपाल अंसल (Ansal Brothers) को नामजद किया गया था. पटियाला हाउस कोर्ट के मुख्य महानगर दंडाधिकारी पंकज शर्मा ने गुरुवार को अंतिम बहस पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. मामला में मुख्य उपहार मामले से जुड़े साक्ष्यों से छेड़छाड़ करने से जुड़ा है. उपहार अग्निकांड में 59 लोग मारे गए थे. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के अंसल बंधुओं को दो साल कैद की सजा सुनाई थी.
सुप्रीम कोर्ट ने असंल बंधुओं को काटी गई सजा और 30-30 करोड़ रुपए जुर्माने के बाद रिहा कर दिया गया था. इस राशि का प्रयोग दिल्ली में ट्रॉमा सेंटर बनाने में किया जाना था. मामले में अंसल बंधुओं के साथ कोर्ट स्टाफ दिनेश चंद शर्मा के अलावा पीपी बत्रा, हर स्वरूप पंवार, अनूप सिंह और धर्मवीर मल्होत्रा को नामजद किया गया था. पंवार और मल्होत्रा की मामले की सुनवाई के दौरान मौत हो चुकी है.
सूबत नष्ट करने की साजिश
मामले की सुनवाई के दौरान गुरुवार को वरिष्ठ अधिवक्ता विकास पाहवा ने उपहार हादसा पीड़ितों की ओर से कोर्ट को बताया कि अंसल बंधुओं और एसएस पंवार ने मुख्य उपहार केस में सीबीआई द्वारा जुटाए गए साक्ष्यों को नष्ट करने की साजिश रची थी. इनमें से चुनकर अहम दस्तावेजों को नष्ट कर दिया गया और उनमें काफी गायब हो गए.
हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका
इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने उपहार सिनेमा अग्निकांड के मुख्य मुकदमे में सबूतों से छेड़छाड़ के मामले में अभियोजन का सामना कर रहे रियल एस्टेट कारोबारी सुशील अंसल की याचिका को खारिज कर दिया था. इस याचिका में उनकी पैरवी करने वाले वकील के बदले जाने के चलते जांच अधिकारी से जिरह की अनुमति देने का अनुरोध किया गया था.
याचिका में कोई दम नहीं
हाईकोर्ट ने कहा कि गवाह को वापस बुलाने के लिए सिर्फ वकील बदला जाना आधार पर्याप्त नहीं है. उन्होंने कहा कि अंसल की याचिका में कोई दम नहीं है. न्यायामूर्ति योगेश खन्ना ने कहा कि याचिकाकर्ता ने पहले अपनी पसंद के वकील को नियुक्त किया था. उन्होंने एक नहीं बल्कि 18 गवाहों से जिरह नहीं करने का फैसला किया था, शायद इसलिए क्योंकि याचिकाकर्ता केवल साजिश के आरोप का सामना कर रहा है. ऐसी स्थिति में 18 गवाहों से जिरह नहीं करने जैसा निर्णय अनजाने में लिया गया नहीं हो सकता और शायद ये उनकी रणनीति का एक हिस्सा था.