डेडलाइन बीती, काम अधूरे …‘अमृत’ का दूसरा चरण लॉन्च; अभी पहले चरण के ही 12 बड़े काम आज भी अधूरे हैं, इनमें 3 भाेपाल के
अक्टूबर में अमृत (अटल मिशन फॉर रिजुवनेशन एंड अर्बन ट्रांसफार्मेशन) का दूसरा चरण लॉन्च हो चुका है, लेकिन प्रदेश में पहले चरण के ही 12 ऐसे बड़े काम हैं, जो समय बीत जाने के बावजूद अब तक अधूरे हैं। ये सभी काम वर्ष 2019 से लेकर मई-जून 2020 तक खत्म होने थे। इसमें तीन काम तो राजधानी भोपाल के ही हैं।
अमृत फेज-1 की प्रदेश में 24 बड़ी सीवरेज योजनाओं में से आधी ही अब तक पूरी हुई हैं। ये भी अपनी समय सीमा में पूरी नहीं हुईं। भोपाल के तीन सहित जबलपुर, सागर, दतिया, उज्जैन, गुना, कटनी, सिंगरौली, रीवा व सतना के काम अधूरे हैं। ये सभी मिलाकर करीब 2200 करोड़ रुपए की योजनाएं हैं।
भोपाल के कोलार में 2.77 लाख आबादी के लिए 162 करोड़ रुपए का काम 2018 से चल रहा है। इसे मई 2020 में खत्म होना था, लेकिन डेढ़ साल बाद भी यह पूरा नहीं हुआ है। इसका कारण बताया गया कि यहां सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के लिए जमीन आवंटन का मामला उलझा हुआ था। इससे काम में देरी हुई।
अब इसकी डेडलाइन मार्च 2022 तय की गई है। इसी तरह भोज वेटलैंड की करीब साढ़े छह लाख आबादी के लिए बनी 145 करोड़ रुपए और शाहपुरा लेक की 135 करोड़ रुपए की योजना भी एसटीपी प्लांट के भूमि आवंटन के कारण अटकी थी। इनकी डेडलाइन भी अब मार्च व जून 2022 है। अन्य शहरों में भी भूमि की उपलब्धता को लेकर समस्या रही।
उज्जैन, कटनी, सिंगरौली रीवा व सतना में ठेकेदारों की लापरवाही के कारण काम अटके। रीवा में काम नवंबर 2019 में पूरा होना था, लेकिन वहां मात्र 25 प्रतिशत काम हुआ है। इसी तरह सतना में दिसंबर 2019 तक का खत्म होना था, लेकिन वहां 22 फीसदी काम ही हो सका है।
जनता भी परेशान इनके काम पूरे नहीं होने से जनता को भी दिक्कत है। सबसे बड़ा उदाहरण भोपाल के कोलार क्षेत्र में देखा जा सकता है। यहां की जनता तीन साल से ज्यादा समय से सड़क के गड्ढों से परेशान है। जगह-जगह सीवरेज लाइन डालने के लिए सड़कें खोदी गई और उन्हें ठीक से रिपेयर भी नहीं किया गया। इसे लेकर आंदोलन भी हुए, लेकिन समस्या जस की तस है।