पुलिस कमिश्नर सिस्टम को लेकर कवायद ….. भोपाल-इंदौर में जल्दी लागू करना चाहती है सरकार, मुख्य सचिव, DGP व ACS गृह के बीच ड्राफ्ट पर मंथन
- वर्ष 1999 में बने लंबित ड्राफ्ट का भी परीक्षण होगा
राज्य सरकार भोपाल और इंदौर में पुलिस कमिश्नर सिस्टम जल्दी से जल्दी लागू करना चाहती है। इसके ड्राफ्ट को लेकर मंगलवार को गृह विभाग के अफसरों के बीच बैठकों का दौर चला। इसके बाद देर शाम मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, पुलिस महानिदेशक (DGP) विवेक जौहरी तथा अपर मुख्य सचिव गृह डा. राजेश राजौरा के बीच ड्राफ्ट को लेकर मंथन हुआ। यह बैठक करीब एक घंटा चली।
सूत्रों का कहना है कि बैठक में यह तय किया गया कि प्रस्तावित ड्राफ्ट के साथ वर्ष 1999 में बने लंबित ड्राफ्ट का भी परीक्षण किया जाएगा। इसकी वजह यह है कि ड्राफ्ट में किए जाने वाले प्रावधानों को लेकर किसी तरह की कोई तकनीकी कमी ना रह जाए। इसलिए भी शासन स्तर पर ड्राफ्ट का बारीकी से परीक्षण किया जा रहा है ताकि मुख्यमंत्री सचिवालय को प्रस्ताव भेजने के बाद किसी प्रकार की अड़चन ना आए। मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि ड्राफ्ट को अंतिम रूप देने को लेकर कवायद तेज हो गई है। अधिकारियों ने नए ड्राफ्ट के साथ वर्ष 1999 में बनाए गए एक लंबित ड्राफ्ट का भी परीक्षण करने की चर्चा हुई है। इससे पहले दोपहर में पुलिस मुख्यालय की योजना शाखा के अधिकारी भी ड्राफ्ट को लेकर डीजीपी से चर्चा की है। ड्राफ्ट में अभी मजिस्ट्रियल अधिकार के ही प्रस्ताव भेजे गए हैं। आबकारी, नगर निगम, परिवहन से जुड़े अधिकार पुलिस ने ड्राफ्ट में शामिल नहीं किए हैं।
पुलिस सूत्रों का कहना है कि कुछ अधिकारों का प्रस्ताव बाद में भेजा जाएगा। इसकी वजह यह बताई जा रही कि अधिकार छिनने की आशंका के चलते आईएएस लाबी ड्राफ्ट का विरोध कर उसे अटकाने का प्रयास कर सकती है। बता दें कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 21 अप्रैल रविवार को भोपाल और इंदौर में पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू करने की घोषणा की थी। इसके अगले दिन सोमवार को पुलिस मुख्यालय ने ड्राफ्ट तैयार कर राज्य शासन को भेज दिया था।
इन अधिकारों की मांग
1. धारा 144 व कर्फ्यू: पुलिस खुद धारा 144 व कर्फ्यू लगाने का अधिकार।
2.धारा 151 (शांतिभंग): शांति भंग के आशंका के तहत किसी व्यक्ति को गिरफ्तार कर 14 दिनों के लिए जेल भेजने का।
3.107/16: निरोधात्मक कार्रवाई का अधिकार।
4. गुंडा एक्ट व गैंगस्टर एक्ट: इन मामलों में पुलिस को सीधे कार्रवाई का अधिकार।
5.कारागार: कारागार से जुड़े निर्णय लेने का अधिकार मिलेगा।
6.गिरोहबंद अपराध और समाज विरोधी काम: पुलिस इन मामलों में अब सीधे फैसले लेगी।
7.एनएसए: राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई करने का अधिकार।
8.धरना-प्रदर्शन: इनकी अनुमति देने न देने का अधिकार।
यह अधिकार अभी प्रशासन के पास ही रहेंगे
सूत्रों की मानें तो पुलिस ने परिवहन, आबकारी, नगर निगम के अधिकार नहीं मांगे हैं। इसके साथ ही बिल्डिंग परमिशन की एनओसी देना, शराब कारोबार का लाइसेंस का अधिकार भी प्रशासन के पास रहेगा। ड्राफ्ट में यह शामिल नहीं किए गए। सिस्टम लागू होने के बाद पुलिस मुख्यालय इन अधिकारों की मांग को लेकर बाद में ड्राफ्ट भेज सकती है।