bhopal….कहीं भारी न पड़ जाएं ये नाकाफी इंतजाम …. बच्चों के लिए सिर्फ 32 वेंटिलेटर, 703 बेड, मरीज ज्यादा हुए तो भगवान ही मालिक है
कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन की दुनिया में दस्तक के साथ ही देश में तीसरी लहर का अंदेशा मजबूत होने लगा है। इसी को देखते हुए मप्र सरकार ने भी तैयारियां तेज कर दी हैं। लेकिन ये तैयारियां नाकाफी हो सकती हैं। राजधानी भोपाल की बात करें तो यहां प्रशासन ने 51 जिला अस्पतालों में 5200 मरीजों को एक साथ इलाज देने के इंतजाम किए हैं। इनमें 1500 आईसीयू बेड हैं।
दूसरी लहर में कोरोना का डेल्टा प्लस वैरिएंट 100 दिन में जितना फैला था, ओमिक्रॉन उतना सिर्फ 15 दिन में फैला है। ऐसे में यदि भोपाल में हर दिन 500 नए संक्रमित आए तो 5200 बेड सिर्फ 10 दिन में भर जाएंगे। यदि बच्चे गंभीर रूप से संक्रमित हुए तो शहर के अस्पतालों में सिर्फ 32 पीडियाट्रिक वेंटिलेटर हैं और 703 बेड रिजर्व हैं। इनमें से 458 आईसीयू बेड हैं, जबकि 251 ऑक्सीजन सपोर्ट वाले बेड हैं। जीएमसी में 50 पीडियाट्रिक डॉक्टर हैं। यहां सभी विभागों में कुल 75 डॉक्टर्स की कमी है। ये सभी डॉक्टर्स पिछली लहर में कोविड ड्यूटी कर चुके हैं।
2 अस्पतालों में 1403 मरीज भर्ती हो सकेंगे, बिना लक्षण वालों के लिए अलग सेंटर
स्वास्थ्य विभाग ने हमीदिया, एम्स में कोविड मरीजों के लिए अलग से वार्ड बनवा दिए हैं। यहां कोविड मरीजों को इलाज मिलेगा। सरकारी होम्योपैथी मेडिकल कॉलेज में 33 बेड रिजर्व किए गए हैं। यहां कोविड केयर सेंटर बनाया है, जिसमें बिना लक्षण वाले मरीजों को रखा जाएगा।
एम्स, हमीदिया हॉस्पिटल में 1403 मरीज एक समय में भर्ती होकर इलाज करा सकेंगे। इन अस्पतालों में नए कोविड वार्ड मरीजो की संख्या बढ़ने पर शुरू किए जाएंगे। यह व्यवस्था कोरोना के अलावा दूसरी बीमारियों के मरीजों को स्पेशिएलिटी ट्रीटमेंट मुहैया कराने के कारण दी गई है।
एक्सपर्ट कमेंट
मरीज 10 दिन में डिस्चार्ज हुआ तो बेड का संकट
- कोरोना की दूसरी लहर में रोज 300 नए संक्रमित भोपाल में मिल रहे थे। इनमें से करीब 50 मरीज भोपाल और 150 मरीज प्रदेश के दूसरे शहरों के थे, जो भोपाल के अस्पतालों में भर्ती हुए थे। फिलहाल प्रशासन ने करीब 4 हजार पलंग कोविड मरीजों के लिए अलग-अलग अस्पतालों में चिन्हित किए हैं, जो तीसरी लहर आने के 15 से 20 दिन में फुल हो जाएंगे। अस्पताल में भर्ती मरीज 10 से 12 दिन में स्वस्थ होकर डिस्चार्ज होता है। यह सामान्य थ्योरी है। लेकिन, ऐसा सभी कोविड संक्रमितों के साथ नहीं होता। – डॉ. डीके पाल, रिटायर, प्रोफेसर एवं एचओडी, पीएसएम डिपार्टमेंट, गांधी मेडिकल कॉलेज, भोपाल
बड़ों के आईसीयू- हर तीसरे पलंग पर वेंटिलेटर लगा
राजधानी के 51 अस्पतालों के आईसीयू में भर्ती होने वाले गंभीर कोविड मरीजों के लिए 400 वेंटिलेटर रखे गए हैं। आईसीयू में औसतन हर तीसरे पलंग पर एक वेंटिलेटर रहेगा। ताकि कोविड मरीज की सेहत बिगड़ने पर इमरजेंसी में वेंटिलेटर सपोर्ट पर संबंधित का इलाज हो सके।
आशंका ये है कि, संक्रमित बच्चों की संख्या बढ़ेगी
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार दूसरी लहर में शहर में रोज औसतन 300 नए केस मिले। इनमें 12% बच्चे थे। यदि तीसरी लहर में भी 12% ही बच्चे संक्रमित हुए तो हमीदिया, एम्स जैसे अस्पतालों के पीडियाट्रिक वार्डाें में 15 दिन में नो बेड के हालात बन जाएंगे।
देश में दहशत का हाल
कर्नाटक के डाॅक्टर स्वास्थ्य मंत्री का दावा- डेल्टा जितना खतरनाक नहीं है ओमिक्रॉन
कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री डीके सुधाकर ने साेमवार काे कहा है कि बेंगलुरू आए दाे दक्षिण अफ्रीकी नागरिकाें में से एक का सैंपल डेल्टा वैरिएंट से अलग है। हम केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और आईसीएमआर के संपर्क में हैं। मंत्री ने कहा कि विदेशी नागरिक (63) की काेविड रिपाेर्ट बताती है कि वह किसी अलग काेराेनावायरस के संपर्क में आया है।
खुद एक मेडिकल प्राेफेशनल सुधाकर ने कहा कि उन्हाेंने दक्षिण अफ्रीका में अपने साथी डाॅक्टराें से बात की है और उनका कहना है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट डेल्टा जितना खतरनाक नहीं है। यह संताेषजनक बात है। उन्हाेंने बताया है कि यह फैलता तेजी से है लेकिन इसका संक्रमण गंभीर नहीं है।
दूसरी ओर दक्षिण अफ्रीकी मेडिकल एसोसिएशन की अध्यक्ष एंजेलीक कोएट्जी ने कहा कि इस वैरिएंट में हल्की बीमारी देखी जा रही है। मांसपेशियों में दर्द और एक दिन के लिए थकान या बीमार रहना जैसे लक्षण हैं। हालांकि इसमें संक्रमित की गंध या स्वाद की क्षमता खत्म हाेने की परेशानी का सामना नहीं कर रहे हैं।
डब्ल्यूएचओ ने कहा, ओमिक्रॉन पर और अध्ययन की जरूरत, सावधानी बरतने की भी चेतावनी दी
डब्ल्यूएचओ ने ओमिक्रॉन वैरिएंट के दुनिया भर में फैलने की चेतावनी देते हुए इसे बड़ा खतरा कहा है। कुछ क्षेत्राें में यह गंभीर रूप ले सकता है। डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि अब तक इससे माैत की सूचना नहीं है। पूर्व संक्रमण और वैक्सीन से पैदा हाेने वाले बचाव काे चकमा देने के संबंध में इस वैरिएंट पर और शाेध की जरूरत है। कम टीकाकरण वाले देशाें में इसके गंभीर परिणाम हाे सकते हैं।