UP: लखीमपुर हिंसा में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा को राहत, हत्या की FIR दर्ज करने की अर्जी खारिज; जानिए क्या है पूरा मामला

सीजेएम कोर्ट ने कहा क‍ि पत्रकार रमन कश्यप की हत्या के मामले में पहले से ही मुकदमा दर्ज है और उसकी विवेचना जारी है. ऐसे में अन्य किसी प्राथमिकी का औचित्य नहीं बनता है.

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर हिंसा मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा को बड़ी राहत मिल गई है. उनके खिलाफ हत्या की FIR दर्ज करने की मांग वाली याचिका सीजेएम कोर्ट से खारिज हो गई है. कोर्ट ने कहा क‍ि पत्रकार रमन कश्यप की हत्या के मामले में पहले से ही मुकदमा दर्ज है और उसकी विवेचना जारी है. ऐसे में अन्य किसी प्राथमिकी का औचित्य नहीं बनता है.

बता दें, बीती 3 अक्टूबर को लखीमपुर के तिकुनिया में हुई हिंसा में 4 किसानों और एक स्थानीय पत्रकार रमन कश्यप समेत 8 लोगों की मौत हो गई थी. पत्रकार के भाई की तरफ से यह अर्जी दाखिल की गई थी.

14 लोगों के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराने को दी गई थी अर्जी

लखीमपुर हिंसा में मारे गए पत्रकार रमन कश्यप के भाई ने हत्या का आरोप लगाते हुए केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी, उनके पुत्र आशीष मिश्रा समेत 14 लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए धारा 156 (3) सीआरपीसी के तहत सीजेएम कोर्ट में अर्जी दाखिल गयी थी. अर्जी पर एक दिसंबर को सुनवाई तय थी. वादी के अधिवक्ता ने एक दिसंबर को सीजेएम कोर्ट में अर्जी पर बहस करते हुए मुकदमा दर्ज कराए जाने के आदेश पारित करने की याचना की थी.

सीजेएम चिंताराम ने वादी के अधिवक्ता की बहस सुनकर आदेश के लिए 6 दिसंबर यानी सोमवार की तारीख तय की थी, लेकिन सोमवार देर शाम तक फैसला नहीं आया. सीजेएम ने मामले में फैसले के लिए 7 दिसंबर यानी मंगलवार की तारीख तय की. मंगलवार को आदेश सुनाते हुए सीजेएम ने अर्जी को खारिज कर दिया.

क्या है लखीमपुर खीरी हिंसा

दरअसल, लखीमपुर खीरी में 3 अक्टूबर को यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का दौरा था. यहां तिकुनिया में तीन कृषि कानून के विरोध में किसान प्रदर्शन करने के लिए इकट्ठे हुए थे. आरोप है कि इसी दौरान केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र के बेटे आशीष मिश्र की कार ने सड़क पर चल रहे किसानों को कुचल दिया. इसमें 4 किसानों की मौत हो गई थी. इसके बाद गुस्साए किसानों ने कार के ड्राइवर समेत 4 लोगों की पीट-पीट कर मार डाला. मरने वालों में 2 बीजेपी, 1 ड्राइवर और एक स्थानीय पत्रकार भी था.

कैसे पड़ा टेनी नाम?

टेनी के पिता अंबिका मिश्र को पहलवानी का शौक था. वो प्यार से अजय मिश्र को टेनी कहा करते थे. दिनेश कहते हैं, अंबिका जी घर में अजय जी को प्यार से टेनी-टेनी कहा करते थे, जैसे हम अपने बेटे को पट्टू कहते हैं. ये नाम बचपन से उनके साथ जुड़ गया और फिर वो इलाके में इसी नाम से मशहूर हो गए. उन्होंने कभी अपने आपको इस नाम से अलग नहीं किया.

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