MP बॉर्डर के 7 जिलों से ग्राउंड रिपोर्ट ….. सीमावर्ती जिलों में सख्ती का दावा, हकीकत- यहां निगरानी तक नहीं, 3टी रणनीति भी नहीं दिखी
राजस्थान, महाराष्ट्र और गुजरात में कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट के केस निकलने के बाद राज्य सरकार ने इन राज्यों की सीमा से लगे जिलों में सख्ती बढ़ाने का दावा किया है। सरकार ने 3टी रणनीति पर काम करने की बात कही, लेकिन यहां न टेस्टिंग बढ़ी, न ट्रैकिंग शुरू हुई और न ही ट्रीटमेंट की व्यवस्थाएं पर्याप्त रूप से चल रही हैं।
सरकार बॉर्डर के जिलों में सख्ती का दावा कर रही है, लेकिन हकीकत यह है कि यहां निगरानी तक नहीं हो रही है। भास्कर टीम ने जब झाबुआ, बुरहानपुर, बैतूल, नीमच, मंदसौर, आगर मालवा और छिंदवाड़ा जिले के सीमावर्ती राज्यों के बॉर्डर की पड़ताल की तो दावा खोखला मिला।
सरकार का दावा है कि गुजरात-राजस्थान और महाराष्ट्र से आने वालों पर नजर रखी जा रही है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट है। न जांच बढ़ी, न सख्ती। बिना मास्क पहने लोगों को रोका तक नहीं जा रहा। बॉर्डर पर न कर्मचारी हैं, न इन दोनों राज्यों से आने वालों की जानकारी ली जा रही है। अफसर निर्देशों का इंतजार कर रहे हैं।
राजस्थान की सीमा से प्रदेश के 10 जिले लगते हैं। इनमें झाबुआ, रतलाम, मंदसौर, नीमच, आगर-मालवा, राजगढ़, गुना, शिवपुरी, श्योपुर और मुरैना शामिल हैं। गुजरात की सीमा से दो जिले झाबुआ और अलीराजपुर हैं। महाराष्ट्र की सीमा से 8 जिले बड़वानी, खरगोन, खंडवा, बुरहानपुर, बैतूल, छिंदवाड़ा, सिवनी और बालाघाट लगते हैं।
झाबुआ में बॉर्डर पर बेरोकटोक आ रहे वाहन
गुजरात बॉर्डर जिले में चार रास्तों से मुख्य रूप से मिलती है। मुख्य रास्ता बैतूल-अहमदाबाद हाईवे का है। पिटोल प्रदेश का पहला कस्बा है। यहां आरटीओ चेकपोस्ट है। पहले लॉकडाउन में सबसे ज्यादा सख्ती यहीं दिखी थी, लेकिन अभी यहां न कोई कर्मचारी है न वाहनों को रोका जा रहा है। निगरानी तो छोड़िए, बस, कार या दूसरे वाहनों से आने वालों के नाम, पते भी नहीं पूछे जा रहे।
इसके अलावा बॉर्डर राणापुर के पास, काकनवानी के पास हरिनगर और पतरा गांव के पास से भी है। ट्रेन की आवाजाही भी लगातार चल रही है। राजस्थान बॉर्डर बांसवाड़ा जिले से लगी हुई है। थांदला से कुशलगढ़ रोड और खवासा के आगे भामल से जाने वाला रास्ता मुख्य रूप से दोनों प्रदेश को जोड़ता है। थांदला-कुशलगढ़ मार्ग पर भी कोई कर्मचारी तैनात नहीं है। यहां नाका खाली है। थांदला बीएमओ का कहना है, हमारे पास अभी कोई नए निर्देश नहीं आए हैं। निर्देश मिलते ही हम कर्मचारी भेज देंगे।
मंदसौर में सीमाओं पर सख्ती नहीं
कोरोना संक्रमण के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन ने पड़ोसी राज्य राजस्थान में दस्तक दे दी है। वहां एक ही दिन में 9 मरीज मिले हैं। मंदसौर राजस्थान की सीमा से लगा है। ऐसे में यहां भी संक्रमण फैलने का खतरा मंडराने लगा है। प्रशासन द्वारा चेकिंग नहीं की जा रही है। जिले में लोगों से कोविड नियमों का पालन कराने के लिए अधिकारी सड़कों पर उतर गए हैं। हालांकि राजस्थान से लोगों काे बिना जांच जिले में प्रवेश देने से खतरे का अंदेशा है। जिला तीन तरफ से राजस्थान से जुड़ा है। एक तरफ राजस्थान के भवानीमंडी की ओर से लोग जिले में प्रवेश कर रहे हैं। रोक-टोक या संबंधित जांच नहीं होने से लोग बेधड़क प्रवेश पा रहे हैं।
जिले के दूसरी ओर प्रतापगढ़ से भी लोग प्रवेश कर रहे हैं। राजस्थान से जिले में प्रवेश के लिए लोग मुख्य मार्गों के अलावा अन्य ग्रामीण मार्गों का भी सहारा लेते हैं। स्वास्थ्य विभाग विदेश यात्रियों की लिस्ट के आधार पर सैंपल कर रहा है। विदेश से जिले में प्रवेश पर 9 लोगों के सैंपल लेकर क्वारैंटाइन किया गया है। एक टीम कंट्रोल रूम से मॉनिटरिंग कर रही है। वहीं, दूसरी टीम यात्रियों का सैंपल लेकर क्वारैंटाइन कर रही है। कलेक्टर गौतम सिंह का कहना है कि जिले में सैंपलिंग बढ़ाई जा रही है। बॉर्डर पर विदेश से आने वाले लोगों की आरटीपीसीआर जांच करके क्वारैंटाइन किया गया।
नीमच में भी बॉर्डर पर निगरानी और टेस्टिंग नहीं
नीमच जिले की सीमाएं भी चारों तरफ से राजस्थान से सीधी जुड़ी हैं। इसके आर्थिक, सामाजिक व राजनीतिक रिश्ते भी अत्यंत नजदीक के हैं। यहां से 5 हजार से ज्यादा लोगों का आवागमन जारी है। इस समय बॉर्डर पार करने वालों की जांच व निगरानी जरूरी है, लेकिन प्रशासन ने अभी तक ऐसी कोई व्यवस्था नहीं की है। नीमच में सबसे पहले कोरोना की एंट्री राजस्थान के रास्ते ही हुई थी। पहली बार में जो 4 लोग संक्रमित मिले थे, उनकी कॉन्टैक्ट हिस्ट्री में राजस्थान में रिश्तेदार से मिलना सामने आया था।
अभी भी राजस्थान से लोगों का आना जारी है, लेकिन कोई रोका-टोकी नहीं हो रही। रोज बस-ट्रेन व निजी वाहनों से भी 5 हजार से ज्यादा लोग आवाजाही कर रहे हैं। भास्कर टीम ने जब जिले से जुड़े नयागांव-निम्बाहेड़ा रोड व सिंगोली-कोटा मार्ग पर जाकर स्थिति देखी, तो दोनों बॉर्डर पर कोई तैनात नहीं था। किसी तरह की निगरानी व जांच का काम नहीं शुरू किया।
कलेक्टर मयंक अग्रवाल का कहना है कि टेस्टिंग बंद ही नहीं की है। राजस्थान बॉर्डर पर जांच की व्यवस्था की जाएगी। इसके अलावा विदेशों से आने वालों पर विशेष निगरानी की जाकर उनके सैंपल लिए जा रहे हैं। अन्य तमाम व्यवस्था की भी लगातार समीक्षा हो रही है।
छिंदवाड़ा-नागपुर बार्डर पर नहीं हो रही यात्रियों की चेकिंग
कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर को लेकर राज्य सरकार के अलर्ट जारी किया है, लेकिन इस अलर्ट का छिंदवाड़ा में असर नहीं दिख रहा है। जिले की सीमा से लगे नागपुर में प्रतिदिन 4 से 5 कोविड संक्रमित मरीज मिल रहे हैं, फिर भी नागपुर से छिंदवाड़ा के बीच ट्रेन और अन्य यात्री वाहनों से आ रहे लोगों की किसी भी तरह की जांच नहीं हो रही है।
महाराष्ट्र के अन्य जिलों सहित नागपुर से आने वाली एक दर्जन से ज्यादा वाहनों में प्रतिदिन सैंकड़ों यात्री सफर कर रहे हैं फिर भी जिले की सीमा पर बनाई गई चेकपोस्ट पर कोरोना सबंधी जांच नही की जा रही है। यही नहीं, नागपुर से छिंदवाड़ा के बीच चलने वाली पैसेंजर ट्रेन के यात्रियों की छिंदवाड़ा रेलवे स्टेशन थर्मल स्क्रीनिंग कर खानापूर्ति की जा रही है।
पैसेंजर ट्रेन के नागपुर से छिंदवाड़ा के बीच करीब 19 स्टॉपेज है, जहां किसी भी यात्री की स्क्रीनिंग नहीं हो रही है। कलेक्टर सौरभ सुमन ने कहा कि छिंदवाड़ा सीमा पर नागपुर से आने वाले हर वाहनों की जांच हो रही है। रेलवे स्टेशन में यात्रियों के कोविड संबंधी जांच की जा रही है।
आगर मालवा में बॉर्डर पर नहीं दिखी सजगता
राजस्थान की सीमा से लगे आगर मालवा जिले की बॉर्डर पर अब तक सख्ती दिखाई नहीं दी है। अब तक न तो बॉर्डर पर वाहनों और यात्रियों की जांच की जा रही है। जिले की सीमा राजस्थान के झालावाड़ से लगा है। हालांकि जिले में कई जगह से राजस्थान से मध्यप्रदेश में एंट्री की जा सकती है, लेकिन इंदौर कोटा राजमार्ग से मुख्यतः वाहनों का आवागमन होता है। इस मार्ग पर मध्यप्रदेश के चवली के समीप राजस्थान की इसी बार्डर पर कोरोना की दूसरी लहर के समय राजस्थान सरकार द्वारा मध्यप्रदेश से वाहनों की एंट्री पर बैन लगाकर सख्ती से आरटीपीसीआर रिपोर्ट की जांच की गई थी, लेकिन तब भी मध्यप्रदेश की ओर से ऐसी पहल देखने को नहीं मिली थी।
आगर मालवा जिला स्वास्थ्य अधिकारी एसएस मालवीय के अनुसार फिलहाल कोरोना से निपटने के पूरे इंतजाम विभाग की ओर से किए गए हैं। फिलहाल जिले में कोरोना का मरीज नहीं है।ऑक्सीजन की उपलब्धता वाले करीब 250 बेड्स बनाए हैं। अन्य देशों से जिले में आने वाले लोगों की जांच कराई जाएगी। उन्हें सात दिनों तक होम आइसोलेट किया जाएगा। फिलहाल अन्य राज्य से लगी सीमा पर जांच प्रक्रिया नहीं अपनाई जा रही है।
बुरहानपुर में बिना रोकटोक हो रहा आवागमन
बुरहानपुर के अंतिम गांव लोनी से महज दो किमी की दूरी पर महाराष्ट्र की सीमा शुरू होती है। यहां से बिना कोई रोकटोक वाहनों का आवागमन जारी है। आरटीपीसीआर टेस्ट फिलहाल नहीं हो रहे हैं। किसी भी प्रकार की वाहन चेकिंग भी नहीं है। लोनी आरटीओ बैरियर पर सभी वाहनों को बिना चेकिंग आने जाने दिया जा रहा था। यहां तैनात कर्मचारी ने बताया आगे महाराष्ट्र की सीमा पर चेकिंग चल रही है, लेकिन जब वहां जाकर रियलिटी चेक की गई तो यहां भी किसी भी प्रकार की चेकिंग नजर नहीं आई। यहां भी एक कर्मचारी तैनात था। पूछने पर बताया गया अभी किसी प्रकार की जांच नहीं की जा रही है।
बसें, चार पहिया वाहन, बाइक चालकों का आवागमन जारी
लोनी की ओर से महाराष्ट्र के रावेर, सावदा, जलगांव, भुसावल आदि शहरों में पहुंचा जाता है। जहां से दिनभर बसों, चार पहिया वाहन के अलावा लोगों का बाइक से आना-जाना भी चालू है। यहां से कानपुर जा रहे मोहम्मद अजहर ने कहा यहां जांच नहीं हो रही है। जब कोरोना के मरीज अधिक आते हैं, तब जांच होती है।
कलेक्टर प्रवीण सिंह ने कहा – सभी के लिए सेकेंड डोज जरूरी है। महाराष्ट्र के केस की स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। बगल के जिले अमरावती, बुलढाणा, जलगांव में केस रिपोर्ट नहीं हुए हैं। जैसे ही हमें लगेगा कि वहां केस बढ़ रहे हैं या सावधानी बरतना है तो बार्डर पर चेकिंग चालू कर देंगे। अभी वहां केस नहीं हैं, इसलिए वैक्सीनेशन और मास्क पर जोर दे रहे हैं।
बैतूल में न जांच, न स्क्रीनिंग, बेखौफ आ रहे लोग
महाराष्ट्र में नए वेरियंट की एंट्री के बाद भी सीमा से सटे बैतूल में कोरोना को लेकर लापरवाही जारी है। महाराष्ट्र की तरफ से आने वाले तीन प्रमुख मार्गों पर न तो कोई निगरानी है और न स्क्रीनिंग। यही वजह है कि लोग बेखौफ महाराष्ट्र से आवाजाही कर रहे हैं। गौनापुर चौकी यहां पहले पुलिस की जांच चौकी हुआ करती थी, परिवहन और वन, मंडी विभाग की जांच का बहुत पुराना स्थल है।
यहां महाराष्ट्र से आने-जाने वाले यात्री वाहनों की परिवहन जांच होती है, जबकि वनोपज और कृषि जींसों की भी पड़ताल की जाती है। महाराष्ट्र के वरूड की तरफ जाने वाला यह मार्ग एक समय मेजर डिस्ट्रिक्ट रोड एमडीआर – 15 कहलाता था, लेकिन एक साल पहले ही इसे नेशनल हाईवे में मर्ज कर एनएच 347 ए बना दिया गया है। पहली और दूसरी लहर के बाद यहां स्वास्थ्य प्रशासन ने स्क्रीनिंग, सैम्पलिंग जैसी व्यवस्थाएं की थी।