भिंड … वेदी प्रतिष्ठा और कलशारोहण का हुआ आयाेजन
बिना शिखर और कलश के मंदिर को पूर्ण नहीं माना जाता: गणाचार्य
- वासुपूज्य दिगंबर जैन मंदिर में गणाचार्य का 39वां मुनि दीक्षा कार्यक्रम आयोजित….
शहर के वासुपूज्य दिगंबर जैन मंदिर में बुधवार को सकल जैन समाज के द्वारा वेदी प्रतिष्ठा,कलशारोहण और गणाचार्य विराग सागर महाराज का 39वां मुनि दीक्षा कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरान श्रद्घालुओं ने गणाचार्य विराग सागर महाराज का पाद प्रक्षालन करते हुए जिनवाणी भेंट करते हुए आरती पूजन किया।
बुधवार सुबह 8 बजे बड़ी संख्या में श्रद्घालु हाथों में पूजा की सामग्री लेकर मंदिर पहुंचे। धार्मिक कार्यक्रम में सर्व प्रथम गणाचार्य विराग सागर महाराज के सानिध्य में मंदिर के गर्भगृह में जयपुर से बनकर आई संगमरमर की भगवान वासुपूज्य सहित16 अन्य तीर्थंकरों की प्रतिमा वेदी पर स्थापित की गई। साथ ही महाराज ने प्रतिमाओं के कान में सूर्यमंत्र का उच्चारण किया।
गणाचार्य का हुआ विहार
धार्मिक कार्यक्रम के बाद गणाचार्य विराग सागर महाराज ने ससंघ कुनैरा जिला इटावा के लिए शहर से पैदल विहार किया। कुनैरा में वे 10 से&n bsp;14 दिसंबर तक चलने वाले पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में शामिल होंगे। विहार के दौरान सैकड़ों श्रद्घालु गणाचार्य को उत्तर-प्रदेश की सीमा तक छोड़ने के लिए गए।
गणाचार्य की भेंट की जिनवाणी
कार्यक्रम के अंतिम चरण में श्रद्घालुओं ने गणाचार्य विराग सागर महाराज का 39वां मुनि दीक्षा दिवस मनाते हुए गणाचार्य का पाद प्रक्षालन करते हुए जिनवाणी भेंट की। साथ ही उनका आरती पूजन किया। वहीं बालिकाओं के द्वारा मंगलाचरण किया। वहीं महिला श्रद्घालुओं ने मंगल गीत गाए ।
कलश के मंदिर अधूरा रहता है मंदिर
गणाचार्य ने बताया कि जिस प्रकार से एक राजा मुकुट के बिना अधूरा होता है, उसी प्रकार मंदिर पर शिखर हो लेकिन कलश नहीं हो तो मंदिर अधूरा माना जाता है। उन्होंने कहा कि सारे जगत में प्रमुख रूप से देखा जाए तो गुरु की प्रधानता होती है, गुरु बिना जीवन शून्य होता है। जीवन का प्रारंभ गुरु से ही होता है। गुरु ही हमारे जीवन में प्रकाश लाते है।
समय समय पर साहस प्रदान करते है और उंगली पकड़कर चलना भी सिखाते है। हमारे गुरुवर आचार्य श्री विमल सागर महाराज थे। जिन्होनें सिर्फ अपने ही जीवन को प्रकाशित नहीं किया अपितु हमारे लिए भी उंगली पकड़कर मोक्ष को चलाया। प्रवचन के अंत में विराग सागर महाराज का पिच्छिका परिवर्तन समारोह कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
मंदिर पर स्थापित हुआ कलश
मालूम हो कि सकल जैन समाज द्वारा शहर के प्राचीन वासुपूज ्य दिगंबर जैन मंदिर का हाल ही में जीर्णोद्धार कराया गया था। जीर्णोद्धार के बाद बुधवार को धार्मिक कार्यक्रम के दौरान गणाचार्य विराग सागर महाराज ने जयपुर से बनकर आए अष्ठ धातु के कलश को मंदिर के शिखर पर स्थापित किया।