इंदौर….. बैंकों ने और बढ़ा दिया जमीन पीड़ितों का दर्द ….. बगैर जांच भूमाफिया को दिए 49 करोड़ के लोन, पैसा फंसा तो अब प्लॉट अटकाए
भूमाफिया विरोधी मुहिम में अब पीड़ितों के लिए भूमाफिया के साथ ही बैंकों से भी कानूनी लड़ाई लड़ने की चुनौती खड़ी हो गई है। मजदूर पंचायत और सैटेलाइट हिल, दोनों ही मामलों में भूमाफियाओं ने 49 करोड़ का लोन ले लिया और बैंक यह जमीन अब पीड़ितों के पास जाने से रोकने के लिए जमीन पर अपना दावा लगा रहे हैं। जानकारों का कहना है लोन देने से पहले बैंक को अच्छे से जांच-पड़ताल करना थी। अब इन मामलों में संबंधित बैंक प्रबंधन पर भी बिना जांच लोन के लिए सीधे एफआईआर होना चाहिए।
सैटेलाइट हिल : बिके प्लॉट पर दूसरे ने लिया 40 करोड़ का लोन
सैटेलाइट हिल में कैलाश गर्ग और चंपू अजमेरा की खींचतान में सौ प्लॉटधारक उलझे हैं। गर्ग की कंपनी ने 40 करोड़ का बैंक लोन विविध बैंकों के कंसोर्टियम से उठा लिया। बैंक ने बिना सर्च रिपोर्ट और जांच के बिके हुए प्लॉट पर लोन दे दिया। बैंक ने जमीन पर कब्जे के लिए अपर कलेक्टर कोर्ट में कब्जा लगाया, तब प्लॉट धारकों को पता चला कि उनकी जमीन पर किसी और ने लोन ले लिया, तब आपत्ति लगी और बैंक कुर्की रोकी गई। इसमें बैंक सैटलमेंट के लिए कम से कम 20 करोड़ की राशि वापस मांग रहा है।
मजदूर पंचायत : संस्था की जमीन खरीदी, फिर 9 करोड़ का लोन
मजदूर पंचायत की जमीन में से पांच एकड़ पहले तो संस्था के तत्कालीन पदाधिकारियों ने केशव नाचानी को बेच दी। बाद में नाचानी ने इस जमीन पर 9 करोड़ का लोन ले लिया। यह लोन डिफाल्टर हो गया। संस्था की जमीन की अवैधानिक खरीदी-बिक्री में नाचानी पर एफआईआर हो गई। यहां जब सालों से पीड़ित 200 सदस्यों को प्लॉट देने की प्रक्रिया होने लगी तो बैंकों के साथ मिलकर नाचानी कोर्ट चला गया। बैंक इस जमीन पर अपना कब्जा जता रहा है, क्योंकि लोन डिफाल्ट हो चुका है। जमीन बैंक के पास जाती है तो 200 पीड़ितों की मुश्किल हो जाएगी।