कन्यादान को ना कहने वाली IAS तपस्या का इंटरव्यू …. शादी नहीं करना चाहती थीं; फिर हमसफर कैसे चुना, कन्यादान से नफरत क्यों, जानिए हर पहलू…
IAS तपस्या परिहार अपनी शादी में कन्यादान नहीं कराने को लेकर चर्चा में हैं। ……….. से बातचीत में उन्होंने कहा- कन्यादान शब्द ही बुरा लगता है। बेटियां दान करने की चीज नहीं होतीं। यह अचानक लिया गया फैसला नहीं था। तपस्या सेंधवा में SDM हैं। नरसिंहपुर के जोवा गांव से हैं। उन्होंने 12 दिसंबर को IFS ऑफिसर गर्वित गंगवार से शादी की है। गंगवार तमिलनाडु कैडर से थे। 26 नवंबर को उन्हें मध्य प्रदेश कैडर मिल गया। IAS तपस्या परिहार ने अफसर बनने, कन्यादान जैसी रस्म को ठुकराने पर बात की…
मेरे परिवार को भी यह अधिकार नहीं कि मेरा दान करे
तपस्या ने कहा- मेरा दान कैसे कोई कर सकता है। भले ही वह मेरा परिवार है, पर उन्हें भी ये अधिकार नहीं कि मुझे किसी को दान कर दें। कन्यादान के पीछे की सोच से ही परेशानी है। जहां तक मैं इसके बारे में सोच और समझ पाई हूं कि इसके पीछे का ख्याल रहता है कि कन्या को एक परिवार से दूसरे परिवार को सौंपा जा रहा है। मैं कैसे अपने परिवार को छोड़ दूं और उस परिवार को ही अपना परिवार मानूं। मैं तो दोनों परिवारों को छोड़ने वाली नहीं हूं।
गर्वित ने नजरिया बदल दिया
बचपन से जब बातें समझ में आने लगीं, तो घरवालों से कन्यादान के बारे में बात करनी शुरू की। शादी में इस तरह क्यों होता है कि बेटियां बड़ी हुईं तो उन्हें अपने ही परिवार से रिश्ता तोड़ना पड़ता है। यह सही नहीं लगता था। शादी का समय आया तो मैंने गर्वित और उसके परिवारवालों से बात की। उन्होंने भी हामी भर दी। मेरे घरवाले पहले से तैयार थे। यह बहुत ही पर्सनल डिसिजन था। हमें लगा नहीं कि कोई परंपरा तोड़ रहे हैं। हमारी शादी है, हमारे परिवारवाले राजी हैं। हमें जिस तरीके से जो रस्में करनी है, वैसा किया। पहले शादी नहीं करना चाहती थी, पर गर्वित से मुलाकात के बाद नजरिया बदल गया।
दादी चाहती थीं कन्यादान हो
मेरे परिवार वाले तो पहले से तैयार थे। दादी देव कुंवर परिहार (पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष) का मन था कि कन्यादान किया जाए। शादी के दौरान पंडित जी भी कन्यादान की रस्म कराना चाह रहे थे, लेकिन जब पंडित जी को बताया गया कि ये रस्म नहीं करनी है, तो वे भी मान गए। मेरे इस फैसले का कई लोग सपोर्ट कर रहे हैं। कुछ को बुरा भी लग रहा है। पॉइंट ये है कि ये मेरी शादी थी। मैं कहीं जाकर किसी को भाषण नहीं दे रही कि ऐसा करो। सभी अपने विचारों के लिए स्वतंत्र हैं।
शादी के बाद मायके में ही रिसेप्शन और विदाई
शादी के बाद मायके में रिसेप्शन भी एक नई पहल थी। सोचा ही नहीं था कि इसके बारे में भी लोग कहेंगे। हमारी शादी पचमढ़ी में 12 दिसंबर को बहुत ही सिलेक्टेड लोगों के बीच हुई थी। बहुत से ऐसे लोग थे, जिनके साथ हम शादी की खुशी शेयर करना चाहते थे। इस कारण गांव में रिसेप्शन रखा गया था। मेरी विदाई की रस्म भी मेरे कमरे से पापा के कमरे तक हुई। हमारा संयुक्त परिवार है। पापा व चाचा के हम पांच भाई-बहन हैं।
मसूरी में हुई गर्वित से मुलाकात
तपस्या ने बताया कि उनकी स्कूलिंग करेली (नरसिंहपुर) स्थित सरस्वती शिशु मंदिर से हुई। 8वीं से इंटरमीडिएट तक केंद्रीय विद्यालय नरसिंहपुर में चाचा-चाची और दादी के साथ रहकर पढ़ी। लॉ की पढ़ाई करने पुणे चली गई। पांच साल का कोर्स पूरा कर दिल्ली तैयारी करने चली गई। दूसरे प्रयास में 2017 में (परीक्षा व चयन 2018 में) 23वीं रैंक के साथ चयन हो गया। परिवार में नौकरी करनी वाली मैं पहली सदस्य हूं। हल्द्वानी (उत्तराखंड) के रहने वाले IFS अधिकारी गर्वित गंगवार से मुलाकात 2018 में मसूरी में ट्रेनिंग के दौरान हुई थी।