ग्वालियर … खाद्य विभाग की लापरवाही पर उठाए सवाल ….. ग्वालियर सहित कई जिलों में खाद्य पदार्थों के सैंपल लेने, जुर्माना वसूलने में बरती लापरवाही
भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) ने बुधवार को जारी वार्षिक रिपोर्ट में ग्वालियर, मुरैना सहित प्रदेश के कई जिलों में खाद्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। रिपोर्ट में खाद्य पदार्थों से लेकर दूध तक के सैंपल लेने, उसकी रिपोर्ट देने से लेकर कारोबारियों पर जुर्माना करने और उसे वसूलने तक में लापरवाही बरते का जिक्र किया गया है। रिपोर्ट में बताया है कि वर्ष 2014 से लेकर वर्ष 2019 तक दोषी खाद्य कारोबारियों पर 5 करोड़ 53 लाख रुपए का जुर्माना लगा था, लेकिन विभागीय अधिकारी इनमें से 3.64 करोड़ रु. की वसूली तक नहीं कर पाए।
रिपोर्ट में भोपाल, खरगौन, उज्जैन, होशंगाबाद, इंदौर, सतना जिले भी शामिल हैं। कैग का मानना है कि मप्र शासन ने खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 के क्रियान्वयन को लेकर ग्राउंड पर कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की। जिसके कारण इस अधिनियम के तहत दोषी पाए जाने वाले खाद्य कारोबारियों पर केस दर्ज करने और उनके खिलाफ जुर्माने की कार्रवाई करने और उसे वसूल करने तक में लगातार देरी हुई है।
रिपोर्ट में बताया है कि सैंपल लेने के बाद फूड लैब से उसकी जांच होने और उसकी रिपोर्ट से संबंधित खाद्य कारोबारियों को अवगत कराने में 2 दिन से लेकर 286 दिनाें तक की देरी हुई। दोषी खाद्य कारोबारियों पर अभियोजन की कार्रवाई शुरू करने में 4 से 35 महीने की देरी हुई।शेष|पेज 3 पर