भोपाल में पुलिस कमिश्नर सिस्टम ….. 1 जनवरी से शुरू होंगी पुलिस की दो कोर्ट, जोन के बाहर के प्रकरणों की भी सुनवाई कर सकेंगे अफसर
भोपाल पुलिस कमिश्नर ने न्यायिक कार्य का विभाजन कर दिया है। शहर में फिलहाल इसके लिए दो एसीपी रहेंगे। एसीपी (ज्युडिशियल) यानी सीएसपी रैंक के अफसर। दोनों एसीपी की कोर्ट पुलिस मुख्यालय के सामने एसएएफ मुख्यालय में बनाई जा रही है। फिलहाल, दो ही कोर्ट से शुरुआत करने का निर्णय लिया गया है। इसके बाद धीरे-धीरे कोर्ट की संख्या बढ़ाई जाएगी।
आदेश के अनुसार डीसीपी-1 ( मतलब, एसपी) और डीसीपी-2 के क्षेत्र में आने वाले सभी थानों के IPC की धारा 107, 116 CRPC के प्रकरणों की सुनवाई एसीपी (न्यायिक कार्य-1) करेंगे। ऐसे ही डीसीपी-3 और डीसीपी-4 के क्षेत्र में आने वाले सभी थानों के दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 107, 116 सीआरपीसी के प्रकरणों की सुनवाई एसीपी (न्यायिक कार्य-2) करेंगे। दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 108 से 110 के जोन-1 के प्रकरणों की सुनवाई एडिशनल डिप्टी पुलिस कमिश्नर (मतलब, एएसपी) जोन-2 करेंगे।
ऐसे ही जोन-2 के प्रकरणों को एडिशनल डिप्टी पुलिस कमिश्नर जोन-3 करेंगे। जोन-3 के प्रकरणों को एडिशनल डिप्टी पुलिस कमिश्नर जोन-4 और जोन-4 के प्रकरणों को एडिशनल डिप्टी पुलिस कमिश्नर जोन-1 सुनेंगे। भोपाल में मजिस्ट्रियल अधिकारों का विभाजन दिल्ली की तर्ज पर किया गया है। वहां भी किसी एक जोन के अधिकारी को दूसरे जोन के प्रकरणों की सुनवाई करने के अधिकार दिए गए हैं। मकसद है कि संबंधित फरियादी को न्याय मिल सके। इधर, नए कंट्रोल रूम में स्थित साइबर क्राइम का दफ्तर पुराने डीआईजी आफिस में शिफ्ट कर दिया गया।
इस जोन में यह थाने
जोन-1: टीटी नगर, कमला नगर, रातीबड़, जहांगीराबाद, बजरिया, ऐशबाग, हबीबगंज, शाहपुरा, अशोका गार्डन।
जोन-2: गोविंदपुरा, पिपलानी, अवधपुरी, एमपी नगर, अरेरा हिल्स, अयोध्या नगर, मिसरोद, कटारा, बागसेवनियां।
जोन-3: कोतवाली, तलैया, श्यामला हिल्स, शाहजहांनाबाद, टीला जमालपुरा, कोहेफिजा, हनुमानगंज, मंगलवारा, गौतम नगर।
जोन-4: निशातपुरा, गांधी नगर, छोला मंदिर, बैरागढ़, खजूरी, कोलार, चूना भट्टी, महिला थाना, अजाक, ट्रैफिक, क्राइम ब्रांच।
इन धाराओं की सुनवाई
धारा-107: किसी व्यक्ति द्वारा शांति भंग करना। यानि सार्वजनिक शांति भंग करने की संभावना।
धारा-116: अपराध के लिए उकसाने का काम।
धारा-108: माहौल बिगाड़ने की कोशिश करना।
धारा-110: अपराध को आदत बना लेना।