राजपूतों का पावर शो बना हीरक जयंती समारोह, केसरिया संगम से निकले यह सियासी संकेत

जयपुर में 22 दिसंबर को भवानी निकेतन के केसरिया झंडा लिए राजपूत समाज के लोग सबसे बड़े सगंठन श्री क्षत्रिय युवक संघ के 75 साल पूरे होने के जश्न पर एकत्रित हुए. इस दौरान बीजेपी-कांग्रेस के कई नेता पहुंचे.
राजस्थान की राजधानी जयपुर बुधवार 22 दिसंबर को राजपूतों के अनोखे संगम का गवाह बनी, जहां दो बीघा में फैला हुआ भवानी निकेतन का प्रांगण भगवा पगड़ी और ओढ़नी पहने पुरुषों और महिलाओं से खचाखच भरा हुआ दिखाई दिया.एक छत के नीचे लाखों की संख्या में केसरिया झंडा लिए राजपूत समाज के लोग सबसे बड़े सगंठन श्री क्षत्रिय युवक संघ के 75 साल पूरे होने के जश्न पर एकत्रित हुए.

राजपूतों ने 25 साल बाद राजस्थान में इस तरह का शक्ति प्रदर्शन किया है. जयपुर में आयोजित हीरक जयंती समारोह में राजपूत समाज के अलावा करीब दो दर्जन बिरादरी के राजनेता और सामाजिक लोग पहुंचे.

राजस्थान में अगले विधानसभा चुनाव के लिए अभी भी दो साल बाकी हैं, लेकिन राजस्थान में राजपूत समुदाय ने बुधवार को शंखनाद करके अपनी राजनीतिक अहमियत और ताकत दिखा दी. समुदाय ने सत्ता के गलियारों में अपनी राजनीतिक जागृति और एकता का संदेश भेजा. समारोह में केंद्र और राज्य सरकार से भाजपा और कांग्रेस सरकारों के मंत्री और विधायकों ने भाग लिया.

एक मंच पर जुटे भाजपा और कांग्रेसी नेता

समारोह में जहां केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और विपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ जैसे भाजपा नेताओं ने आरएसएस से होने के चलते एक अलग लगाव महसूस किया वहीं कांग्रेस से मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास और संघ नेता धर्मेंद्र राठौर ने भगवान राम और ‘क्षत्रिय धर्म’ पर जोर दिया.

वहीं कांग्रेस नेताओं ने राज्य की नौकरियों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के लिए कोटा लागू करने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को श्रेय देने का मौका भी नहीं छोड़ा. इसके अलावा धर्मेंद्र राठौर ने मोदी-सरकार से केंद्र सरकार की नौकरियों में ईडब्ल्यूएस लागू करने की मांग की. केंद्रीय मंत्री शेखावत ने कांग्रेस के दो नेताओं के बयानों का जवाब देने से परहेज किया. उन्होंने कहा कि एक मजबूत समाज के निर्माण के लिए युवाओं में मूल्यों और लोकाचार को बढ़ावा देने की जरूरत है.

वहीं विपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने गैर-आरक्षित श्रेणी में समुदाय के लिए ईडब्ल्यूएस कोटा हासिल करने में संगठन और उसकी शाखा ‘प्रताप फाउंडेशन’ की भूमिका को याद किया. उन्होंने कहा कि मैंने अपने जीवनकाल में लोगों का इतना बड़ा जमावड़ा कभी नहीं देखा.

प्रताप फाउंडेशन के संयोजक महावीर सिंह सरवाड़ी ने समारोह में कहा कि पहली राज्य विधानसभा (1952-67) में 160 में से 57 राजपूत विधायक थे लेकिन आज, केवल 17 हैं. इस अवसर पर संगठन ने 32 साल के अंतराल के बाद भगवान सिंह रोलसाहबसर से लक्ष्मण सिंह बैन्याकबास को मुखिया की कमान सौंपी. इस आयोजन में राज्य भर से राजपूतों की प्रभावशाली उपस्थिति देखी गई.

वहीं संगठन के नए प्रमुख, लक्ष्मण सिंह बैन्याकबस ने संस्थापक स्वर्गीय तनसिंह को याद करते हुए कहा कि तनसिंह 1952 और 1979 के बीच दो बार सांसद और दो बार के विधायक थे. रामायण और गीता के उदाहरणों का हवाला देते हुए, उन्होंने लोगों के चरित्र निर्माण पर जोर दिया.

15 फीसदी सीटों पर राजपूतों की निर्णायक भूमिका

राजस्थान में राजपूत समुदाय की आबादी 8 फीसदी है लेकिन विधानसभा सीटों के लिहाज से यह समुदाय 15 फीसदी विधानसभा सीटों पर चुनावी गणित बिगाड़ सकता है. राजपूत समुदाय हमेशा से ही अपनी चुनावी क्षमता के अलावा बाकी जातियों पर असर और चुनाव की हवा बदलने के लिए जाना जाता है. ऐसे में समारोह में दोनों दलों के सभी बड़े नेताओं की मौजूदगी यह साफ करती है कि चुनावों में राजपूतों को कोई नाराज नहीं करना चाहता है.

इसके अलावा कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री महेश जोशी, सुखराम बिश्नोई, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, महासचिव चंद्रशेखर, और पूर्व मंत्री अरुण चतुर्वेदी सहित कई अन्य राजपूत सांसद, विधायक और दोनों दलों के नेता मौजूद रहे.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *