ग्वालियर चंबल अंचल बना प्रदेश की राजनीति का पावर सेंटर

निगम-मंडलों में राजनीतिक नियुक्तियों में थोक के भाव जिस ढंग से यहां के नेताओं को तवज्जो दी गई उससे पूरा अंचल सुपर वीआइपी बन चुकाहै।

जब से सिंधिया ने कमल नाथ सरकार को गिराया है तब से ही ग्वालियर चंबल अंचल प्रदेश की राजनीति का पावर सेंटर बना हुआ है। लेकिन हाल ही में निगम-मंडलों में राजनीतिक नियुक्तियों में थोक के भाव जिस ढंग से यहां के नेताओं को तवज्जो दी गई उससे पूरा अंचल सुपर वीआइपी बन चुका है। दो-दो केंद्रीय मंत्री, केबिनेट मंत्री, राज्यमंत्री और मंत्री का दर्जा प्राप्त अब निगमों के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष। जितने वीआइपी उनसे कई गुना अधिक उनके दाए-बायें ‘हाथ”। कुल मिलाकर माहौल ऐसा है कि यदि कंकड फेकेंगे तो किसी ‘वजनदार” को ही लगेगा। इन सबके बीच असली मुसीबत तो यहां के अफसरों को हुई है। शासकीय कार्यक्रम या बैठक में इतना अधिक प्रोटोकॉल हो गया है कि कार्ड में नाम लिखते-लिखते और मंच पर कुर्सियां लगाते जगह छोटी पड़ जाए। खैर जो भी है इन दिनों यहां की दसों अंगुलियां घी में और सिर कढ़ाही में है। अब भी यदि यहां की विकास योजनाएं परवान न चढ़ी तो समझ लेना आपके वीआइपी कोई काम के नहीं।

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