Gwalior…. सिंधिया का नया पैंतरा विरोधी चारो खाने चित…:पहली बार ज्योतिरादित्य सिंधिया ने झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की समाधि पर पहुंचकर किया नमन, हिंदूवादी विरोधियों की बोलती की बंद

  •  अभी तक सिंधिया घराने से कोई भी महाराज ने ऐसा नहीं किया….

ग्वालियर में रविवार शाम केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने वो कर दिया जो सैकड़ों सालों सिंधिया घराने का कोई भी महाराज नहीं कर पाया। वह चुपचाप भीड़ से अलग होकर झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की समाधि पर पहुंचे और उन्हें हाथ जोड़कर नमन किया। यहां उन्होंने पुष्प भी अर्पित किए। यह वह क्षण था जिसने उनके हिंदूवादी आलोचकों के मुंह बंद कर दिए हैं। जब से सिंधिया भाजपा में आए थे एक सवाल खड़ा था क्या वह रानी लक्ष्मीबाई की समाधि पर जाएंगे। रविवार को सिंधिया घराने के मुखिया और केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बड़े ही सहज ढंग से यह कार्य कर दिया।
यह तो किसी से छुपा नहीं है कि जब भी सन 1857 की क्रांति और झांसी की रानी वीरांगना लक्ष्मीबाई की बात होती है तो सिंधिया परिवार की भूमिका एक विरोधी के रूप में आती थी। उन पर हमेशा से गद्दारी करने का आरोप होता था। चुनावों में भी हिंदू वादी संगठन उनके लक्ष्मीबाई के साथ गद्दारी के मुद्दे को हवा देते थे। जबसे वह भारतीय जनता पार्टी के दल में शामिल हुए हैं तो यही कयास रहते थे कि वह लक्ष्मीबाई की समाधि पर आएंगे क्या। लगातार भाजपा के हिंदूवादी कुछ नेता उन पर सवाल खड़े कर रहे थे। पर रविवार को एक दिन के प्रवास पर आए केन्द्रीय मंत्री व सिंधिया ने अपने आलोचकों का मुंह हमेशा के लिए बंद कर दिया है। सारी बंदिश और भ्रम तोड़ते हुए रविवार शाम वह अचानक अपने समर्थक ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर के साथ झंासी की रानी लक्ष्मीबाई की समाधि पर पहुंचे और हाथ जोड़कर उनको नमन किया। इतना ही नहीं 2 मिनट वहां रूक कर प्रार्थना की और पुष्प अर्पित कर पुष्पांजलि दी। कुछ देर वहां ठहरने के बाद वह निकल गए।
एलीवेटेड रोड के निरीक्षण के बाद अचानक पहुंच गए
– जब से ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भाजपा की सदस्यता ली है तो एक ही सवाल था कि ज्योतिरादित्य क्या झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की समाधि पर जाएंगे। सभी काे लगा था कि सिंधिया कभी ऐसा नहीं करेंगे, लेकिन रविवार को उन्होंने आलोचकों की बोलती बंद कर दी है। एलीवेटेड रोड का निरीक्षण करने के बाद वह मीडिया को अलग थलग छोड़कर वीरांगना की समाधि पर पहुंच गए।

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