खुद्दार कहानी ….. निर्भया कांड के बाद भोपाल की समर ने महिलाओं के लिए शुरू की मुहिम, 10 हजार महिलाओं को दिला चुकी हैं रोजगार
भोपाल की रहने वाली समर खान महिलाओं और लड़कियों की मदद के लिए काम कर रही हैं। वे गरीब और कमजोर वर्ग की लड़कियों को मुफ्त में एजुकेशन और प्रोफेशनल ट्रेनिंग दिलाती हैं। साथ ही झुग्गी-झोपड़ी और डोमेस्टिक वॉयलेंस की शिकार महिलाओं के लिए आवास दिलाने के साथ ही उनकी शादी भी कराती हैं। कई महिलाओं को उन्होंने रोजगार से भी जोड़ा है। अब तक वे 10 हजार से ज्यादा महिलाओं की मदद कर चुकी हैं।
35 साल की समर खान ने सोशल वर्क में मास्टर्स की पढ़ाई की है। उनके पति एक NGO चलाते थे, शादी बाद वे भी उससे जुड़ गईं। तब वे कमजोर तबके के लोगों को वोकेशनल ट्रेनिंग दिलाने का काम करती थीं। इसमें सरकार की तरफ से भी उन्हें सपोर्ट मिलता था।
इस तरह शुरू हुई मुहिम
भास्कर से बात करते हुए समर बताती हैं कि करीब 10 साल पहले की बात है। मेरे यहां ट्रेनिंग ले चुकी एक लड़की की शादी महाराष्ट्र में हुई थी। उसकी शादी में हमने काफी सपोर्ट किया था। क्योंकि उसके पिता की डेथ हो चुकी थी, लेकिन शादी के बाद उसके साथ ससुराल में अच्छा व्यवहार नहीं हुआ। उसका पति उसके साथ मारपीट करता था। कुछ दिनों बाद वो भागकर भोपाल आ गई। यहां आने के बाद उसके घरवाले रखने के लिए तैयार नहीं थे।
वे बताती हैं कि हम लोग इस मामले को लेकर पुलिस के पास गए। वहां महिला बाल विकास गए। हालांकि कुछ खास फायदा नहीं हुआ। महिला के घर वाले रखने के लिए तैयार नहीं हुए और बाहर उसे रखने की जगह नहीं मिल रही थी। फिर हमने तय किया कि हम खुद ही ऐसी महिलाओं को रखने के लिए कुछ क्यों नहीं करते हैं। इसके बाद जहां हम ट्रेनिंग प्रोवाइड कराते थे, वही उस महिला को रहने की व्यवस्था कर दी। इसके बाद तो फिर ये मुहिम ही शुरू हो गई। पुलिस के पास भी इस तरह के जो केस आते थे, वे हमारे यहां उन महिलाओं को रख जाती थी।
निर्भया कांड के बाद नाम बदला, मकसद और मजबूत हुआ
समर कहती हैं कि कई बार ऐसा लगता था कि वर्क लोड ज्यादा है। खुद के लेवल पर इसे संभालना मुश्किल है, लेकिन 2016 में दिल्ली में निर्भया के साथ हुई घटना ने हमें झकझोर कर रख दिया। तब मुझे लगा कि इस काम को और अधिक बढ़ाने की जरूरत है। मुझे कमजोर होने की बजाय मजबूती से ये काम करना चाहिए। और उसके बाद हमने अपने ऑर्गनाइजेशन का नाम भी बदल दिया और निर्भया फाउंडेशन नाम रखा लिया।
अब महिलाएं बनीं सेल्फ डिपेंडेंट
समर कहती हैं 2016 के बाद हमारे यहां महिलाओं की संख्या तेजी से बढ़ी। ट्रेनिंग के लिए भी बड़ी संख्या में महिलाएं आने लगीं। इसमें झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाली लड़कियां भी शामिल थीं। फिर हमने तय किया कि क्यों न इन महिलाओं को बड़े लेवल पर ट्रेनिंग दी जाए और उसके बाद रोजगार से भी जोड़ा जाएं। उसके बाद हमने महिलाओं को अगरबत्ती बनाने, सैनिटरी पैड्स बनाने, सिलाई-बुनाई और ब्यूटी पार्लर की ट्रेनिंग देने लगें। इसका महिलाओं को फायदा भी हुआ। वे अब अपनी जरूरतों के लिए किसी के आगे हाथ फैलाने की बजाय सेल्फ डिपेंडेंट हो गईं।
कैसे करती हैं महिलाओं की मदद
समर ने अपने पति के साथ मिलकर निर्भया होम नाम से एक महिला आश्रम तैयार किया है। इसमें गरीब और डोमेस्टिक वॉयलेंस की शिकार महिलाओं को रखा जाता है। यहां उन्हें मुफ्त रहना-खाना और वोकेशनल कोर्सेज की ट्रेनिंग दी जाती है। इसके अलावा जिन महिलाओं को जरूरत होती है, उनकी काउंसिलिंग भी की जाती है। अगर पुलिस की मदद की जरूरत होती है तो उसे वह भी प्रोवाइड कराया जाता है। फिलहाल उनके यहां 30 महिलाएं हैं जिन्हें सभी सुविधाएं वे मुफ्त में प्रोवाइड कराती हैं।
इतना ही नहीं वे झुग्गी झोपड़ी में रहने वाली लड़कियों और डोमेस्टिक वॉयलेंस की शिकार महिलाओं की शादी भी कराती हैं। अब तक वे 5 ऐसी महिलाओं की शादी करा चुकी हैं। समर बताती हैं कि हम लोग शादी से पहले उस लड़की और महिला की काउंसिलिंग करते हैं। फिर उसकी पसंद और नापसंद जानने की कोशिश करते हैं। इसके बाद लड़कों की तलाश की जाती है। जब कोई लड़का मिलता है और शादी के लिए तैयार होता है तो हम उसकी भी काउंसिलिंग करते हैं और यह जांचने की कोशिश करते हैं कि उसकी मानसिक स्थिति कैसी है और वह उस लड़की को अच्छे से रख पाएगा कि नहीं।
इसके साथ ही वे गरीब महिलाओं के बच्चों को एजुकेशन दिलाने के लिए भी काम करती हैं।
निर्भया विलेज बनाने का सपना
आगे समर एक निर्भया विलेज बनवानी चाहती हैं। जहां पर बच्चियों, युवतियों, महिलाओं को एक साथ रखा जाए और हर तरह की सुविधा उन्हें इस विलेज मे दी जाए। इस संस्था में करीब 8-10 लोग काम करते हैं। जो तमाम जरूरत की चीजों को मेंटेन रखने के लिए काम करते हैं। समर के साथ इस संस्था में उनके पति शेर अफजल खान भी भरपूर सपोर्ट करते हैं।