इंदौर…. नं.1 शहर की विडंबना …… सिर्फ कागजों में अपडेट होती रही इंदौर विकास योजना-2021; 12 साल में 1 जोनल प्लान तक न बना सके

इंदौर विकास योजना-2021 की अवधि समाप्त हो चुकी है, लेकिन इन 12 सालों में भी शहर के लिए एक जोनल प्लान तक न बन सका। आखिरी बार जुलाई 2018 में बैठक हुई थी। दो जोनल प्लान के ड्राफ्ट बने भी, लेकिन मंजूर नहीं हुए। अब फिर से 2035 के इंदौर को ध्यान में रखकर मास्टर प्लान को रिवाइज किया जा रहा है। टीएनसीपी एक्ट 1973 में शहरों का विकास जोनल प्लान बनाकर किए जाने का प्रावधान है, लेकिन 1993 में 73वें-74वें संविधान संशोधन में जोनल प्लान बनाने की जिम्मेदारी नगरीय निकायों को दी गई।

जोनल प्लान; बड़े स्तर की प्लानिंग, कम से कम 10 हेक्टेयर क्षेत्र का लैंडयूज दर्शाते हैं

मास्टर प्लान में बड़े स्तर की प्लानिंग होती है। इसमें कम से कम 10 हेक्टेयर क्षेत्र का लैंड यूज दर्शाया जाता है। मास्टर प्लान में 60 से 220 फीट चौड़ी सड़कें प्रस्तावित रहती हैं। ग्रीन बेल्ट, आवासीय, व्यावसायिक और सार्वजनिक-अर्द्धसार्वजनिक सुविधाओं को बड़े स्तर पर प्रस्तावित किया जाता है। यही वजह है कि शहर की माइक्रो प्लानिंग के लिए जोनल प्लान बनाया जाता है। यह प्लान 75 हजार से 1 लाख की आबादी को लेकर बनाया जाता है।

नुकसान; जोनल प्लान न होने से अफसर नक्शों में मनमाना फेरबदल कर देते हैं

जोनल प्लान न होने से आमजन को पता ही नहीं है कि उनके क्षेत्र में सड़क, बिजली, पेयजल, सीवर सहित अन्य जनसुविधाएं कहां-कहां प्रस्तावित हैं और उनके प्लॉट के सामने कितनी चौड़ी सड़क गुजर रही है। प्लान नहीं होने पर नगर निगम के अफसर अपने हिसाब से सड़कों की लंबाई, चौड़ाई एडजस्ट कर देते हैं। कॉलोनी या क्षेत्र में सार्वजनिक सुविधाओं के लिए नाम मात्र के छोटे-छोटे खुले क्षेत्र छोड़कर खानापूर्ति की जाती है।

ऐसे चला रहे काम; अफसर ही प्रस्तावित लैंडयूज के हिसाब से नक्शे अनुमोदित कर रहे

जोनल प्लान बनाने की जिम्मेदारी संबंधित नगर निकाय की है, लेकिन उनके द्वारा जोनल प्लान न बनाए जाने पर टाउन एंड कंट्री प्लानिंग केे अफसर ही प्रस्तावित लैंडयूज के हिसाब से नक्शे अनुमोदित कर रहे हैं। उन्होंने अपने स्तर पर कोऑर्डिनेशन प्लान का एक कॉन्सेप्ट तैयार कर लिया है। बड़ी बात यह है कि कोऑर्डिनेशन प्लान का टीएंडसीपी एक्ट में कहीं कोई प्रावधान ही नहीं है।

कोऑर्डिनेशन प्लान में किस क्षेत्र में कितनी चौड़ी सड़क, पार्क, कम्यूनिटी हॉल, स्कूल आदि प्रस्तावित सुविधाओं को टीएंडसीपी के अधिकारी सार्वजनिक नहीं करते। असल में टीएंडसीपी के एक्ट में प्रस्तावित जोनल प्लान में सुविधाओं का प्रारूप तैयार कर आमजन से आपत्ति-सुझाव आमंत्रित किए जाते हैं। प्रारूप फाइनल होने पर ही इसे लागू किया जाता है। जोनल प्लान सार्वजनिक होने के बाद इसमें अधिकारी अपनी मनमर्जी से फेरबदल नहीं कर सकता।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *