अब पानीदार बुंदेलखंड …… बाघों के घर से निकालेंगे 220 किमी लंबी नहर, पहली और आखिरी बार देखिए… केन-श्यामरी नदी का संगम, अब यह बांध में जलमग्न हो जाएगा
बूंद-बूंद पानी को तरसता बुंदेलखंड 8 साल में पानीदार हो जाएगा। केंद्र सरकार द्वारा केन-बेतवा लिंक परियोजना स्वीकृत हो गई है। इस परियोजना से मध्यप्रदेश के 10 और उत्तरप्रदेश के 4 जिलों को फायदा होगा। कृषि और रोजगार के अवसर पैदा होंगे। प्रोजेक्ट के तहत मुख्य बांध केन नदी पर ढोड़न गांव में बनेगा।
इसके अलावा तीन अन्य बांध बनाए जाएंगे। इनमें एक बांध बेतवा नदी विदिशा जिले में, दो बांध बेतवा की दो सहायक नदियों उर नदी, बीना नदी पर बनाए जाएंगे। इससे मप्र के 10 जिलों की 8.11 लाख हेक्टेयर जमीन सिंचित होगी। साथ ही 41 लाख लोगों को पेयजल मिलेगा। परियोजना का डीपीआर वर्ष 2008 में तैयार किया गया था। तब परियोजना की लागत 10 हजार करोड़ रुपए आंकी गई थी।
13 साल तक परियोजना अटकी रहने के कारण अब प्रोजेक्ट की लागत बढ़कर 44605 करोड़ रुपए हो गई है। सरकार ने इस परियोजना को राष्ट्रीय प्रोजेक्ट घोषित किया है। केन नदी पर ढोड़न गांव में मुख्य बांध का निर्माण किया जाएगा। इस बांध से 103 मेगावाट जल विद्युत और 27 मेगावाट सौर ऊर्जा भी पैदा की जाएगी। परियोजना की कुल लागत में से 90% राशि भारत सरकार जबकि 5-5 प्रतिशत राशि मप्र और उप्र सरकारें भुगतान करेंगी। प्रोजेक्ट के तहत मुख्य बांध केन नदी पर पन्ना टाइगर रिजर्व के अंदर ढोड़न गांव में बनाया जाएगा। इसी बांध पर बिजली बनाने की भी योजना है। ढोड़न बांध से मुख्य नहर निकलेगी। 220 किमी लंबी यह नहर छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी से गुजरते हुए झांसी जिले में बरुआसागर के पास बेतवा नदी में मिल जाएगी। इस नदी से हर साल 750 एमसीएम (मिलियन क्यूबिक मीटर पानी) बेतवा पर छोड़ा जाएगा। साथ ही इस नहर से मप्र छतरपुर, टीकमगढ़ और निवाड़ी जिलों के खेतों में सिंचाई की जाएगी। साथ ही केन नदी के पानी से ही दमोह और पन्ना जिलों को भी 90 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराया जाएगा।
विदिशा, शिवपुरी और बीना में बनेगा बांध
विदिशा की कोठा बैराज बहुउद्देशीय सिंचाई परियोजना केन बेतवा लिंक प्रोजेक्ट के सेकंड फेज का हिस्सा है। इसके तहत बेतवा पर बांध कोठा बैराज बांध का निर्माण होगा। केन बेतवा लिंक प्रोजेक्ट में उर नदी सिंचाई परियोजना को भी शामिल किया है। इन गांवों में शिवपुरी जिले के साथ ही सीमा से सटे दतिया जिले के गांवों को भी पानी मिलेगा। बीना संयुक्त सिंचाई एवं बहुउद्देशीय वृहद परियोजना पर मप्र सरकार 70 के दशक से सर्वे कर रही है। लंबे समय से अधर में अटकी परियोजना को केन बेतवा लिंक प्रोजेक्ट से फंड आवंटित किया है।
देश के 6 नामी संस्थानों ने बनाई डीपीआर
पन्ना टाइगर रिजर्व के घने जंगल में 2 साल रिसर्च, 40 किमी तक कोई होटल नहीं थी
पन्ना टाइगर रिजर्व के घने जंगल में रहकर काम करना एक चुनौती था। जंगल में 25 किलोमीटर तक कोई दुकान नहीं, 40 किलोमीटर तक कोई होटल नहीं ऐसे स्थान पर इंजीनियरों को दो साल से अधिक समय तक अध्ययन करने में परेशानी हुई थी। यह कहना है केन बेतवा लिंक परियोजना की डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार करने वाले राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण (एनडब्ल्यूडीए) के तत्कालीन सुपरिटेंडेंट इंजीनियर ओपीएस कुशवाह का। कुशवाह के नेतृत्व में ही केन बेतवा लिंक परियोजना के दोनों फेज के डीपीआर को तैयार किया गया है। यह रिपोर्ट 11 वॉल्यूम में प्रकाशित की गई है। इंजीनियर कुशवाहा ने दैनिक भास्कर के सवालों के बेबाकी से जवाब दिए।
Q केन बेतवा लिंक परियोजना का डीपीआर 13 साल पहले तैयार हुआ है। मौसमी परिवर्तनों के चलते अब तक हालात बदल गए होंगे। यह रिपोर्ट कितनी प्रासंगिक है?
A. डीपीआर में देश के 6 नामी संस्थान ने भाग लिया है। आईआईटी कानपुर, जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, सेंट्रल सोइल एंड मटेरियल रिसर्च स्टेशन नई दिल्ली, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी, सेंट्रल वॉटर कमीशन नई दिल्ली, एनडब्ल्यूडीए के विशेषज्ञों ने मिलकर तैयार की है। इसमें उप्र और मप्र जल संसाधन विभागों के इनपुट लिए हैं। परियोजना को अगलेे 100 साल के लिए डिजाइन किया है। 13 साल की देरी से प्रोजेक्ट पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
Q प्रोजेक्ट को विरोध करने वालों का दावा है कि केन नदी में इतना पानी ही नहीं है कि बेतवा नदी को दे दिया जाए?
A. केन नदी में एक मानसून सीजन में 6590 एमसीएम (मिलियन क्यूबिक मीटर) पानी आता है, जबकि ढोडन बांध की अधिकतम क्षमता 2853 एमसीएम है। यह नदी में आने वाले कुल पानी से आधे से भी कम है। बनने के बाद यह बांध मानसूनी बारिश की शुरुआत में ही फुल हो जाएगा। इसमें से 750 एमसीएम पानी उप्र को दिया जाएगा।
Q केन बहुत बड़ी नदी नहीं है क्या इसका पानी नहर से 221 किमी दूर तक ले जाना संभव होगा ?
A. केन नदी की कुल लंबाई 427 किलोमीटर है, जबकि कैचमेंट एरिया 28 हजार 500 वर्ग किलोमीटर है। कैचमेंट एरिया का 87 फीसदी हिस्सा मप्र में है। यह कटनी, सतना, दमोह, सागर, पन्ना और छतरपुर जिलों में फैला है। इसे छोटी नदी कहना गलत है। यह पानीदार बड़ी नदी है। 221 किमी लंबी नहर कंक्रीट की होगी, जिसमें पानी आसानी से बहेगा। ढोड़न बांध से पन्ना टाइगर रिजर्व अगले 100 साल तक के लिए सुरक्षित हो जाएगा।