हमारी नई पीढ़ी कंफ्यूज है …. पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ बोले- हमारी हर बात की जिम्मेदार सरकार नहीं है; समाज भी समझे अपना कर्तव्य
राष्ट्रवादी विचारक पुष्पेन्द्र कुलश्रेष्ठ ने बुधवार को कहा कि हमारे सामने सभी विमर्श सत्ताओं के इर्द-गिर्द है। सत्ता से नुकसान-लाभ उठाने वाले लोग यह सोचते हैं कि कहीं वह नाराज न हो जाए। हम अपनी नयी पीढ़ी को भारत के सही इतिहास को बता नहीं पाए। हमारी नई पीढ़ी कंफ्यूज है। आजादी के समय भारत में 80 प्रतिशत गुरुकुल थे। राष्ट्र ने नालंदा और तक्षशिला की संस्कृति को देखा-समझा नहीं है। वह सत्ता की ओर देखता है। चाणक्य का रूप विश्वविद्यालयों में स्थापित नहीं किया गया। यह कार्य समाज का है सत्ता का नहीं है।
गुरुकुल समाज से चलता है। हमारी हर बात की जिम्मेदार सरकार नहीं है। नागरिकों को अपने राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों को भी समझ कर नि:स्वार्थ भाव से समाज और परंपराओं की रक्षा के लिए काम करते रहना चाहिए।
शस्त्र और शास्त्र दोनों की शिक्षा दी जाए
वाराणसी स्थित काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) की महामना मालवीय मिशन इकाई द्वारा स्वामी विवेकानंद जयंती के अवसर पर बुधवार को वर्तमान राष्ट्रीय चुनौतियां एवं समाधान विषयक व्याख्यान का आयोजन वर्चुअल पटल पर किया गया। इससे पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ भी जुड़े थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महामना मालवीय मिशन इकाई के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रभुनारायण श्रीवास्तव ने कहा कि हमें वर्तमान समस्याओं और चुनौतियों को समझना अत्यंत आवश्यक है।
यह समस्या राजनीतिक और सांस्कृतिक विशेष है। जिहादी और वामपंथी विशेषकर हमें तोड़ते है। इससे भड़कना नहीं है, बल्कि समझना है। यह प्रयोग इसका समाधान स्वयं भगवान ने दिया है। गीता के अंतिम अध्याय में संजय ने कहा कि हमें शास्त्र एवं शस्त्र दोनों की समुचित शिक्षा लेनी चाहिए।
महिलाएं वैदिक परंपरा को आगे बढ़ाएं
महामना मालवीय मिशन के अध्यक्ष प्रो. उपेन्द्र कुमार त्रिपाठी ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने अपने समाज के युवाओं की अंतर्चेतना को जागृत किया। उनका लक्ष्य अध्यात्म और राष्ट्र था। विजय नाथ पांडेय ने महामना मालवीय मिशन में होने वाले राष्ट्र सेवा धर्मों का परिचय दिया। महामना मालवीय मिशन की सचिव प्रो. सुमन जैन ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने भविष्य की वह तस्वीर गढ़ी जहां स्त्री को ऐसी शिक्षा दी जाए जिससे वह निर्भर होकर अपने कर्त्तव्यों को समझे। महिलाएं रानी लक्ष्मीबाई, अहिल्याबाई, संघमित्रा जैसे वैदिक परंपराओं को आगे बढ़ाएं। कार्यक्रम का संचालन डॉ. प्रभाकर उपाध्याय ने किया।