नोट छापने वाली BNP में चोरी में खुलासा … जमानत के लिए तरसा बर्खास्त अफसर, तीसरी अर्जी भी खारिज; वजह- वह खुद ‘बैंक कोतवाल’ था; केस में फैसला जल्द

जनवरी 2018 को बैंक नोट प्रेस देवास में हड़कंप मचता है। कारण डिप्टी कंट्रोलर मनोहर वर्मा को सुरक्षाकर्मियों ने 500-500 के नए नोट जूते में छिपाकर घर ले जाते पकड़ा था। ऑफिस के डस्टबिन और लॉकर से ही 26 लाख से ज्यादा कैश मिला था। घर की तलाशी में दीवान के अंदर रखे जूतों के डिब्बों और कपड़े की थैलियों से 64.5 लाख रुपए के नए-नए नोट मिले। BNP में नोट वेरिफिकेशन सेक्शन के हेड के पास से 200 और 500 के इतने नोट देखकर टीम के सदस्य भी हैरान थे। बैंक में इतनी कड़ी सुरक्षा के बाद भी यह अधिकारी नोट जूतों और कपड़ों में छिपाकर ले जाया करता था।

कहां और कब हुई चोरी

  • 18 जनवरी 2018 को देवास बैंक नोट प्रेस स्थित एनवीएस नोट वैरिफिकेशन सेक्शन में।

ऐसे हुआ चोरी का खुलासा

  • बीएनपी के कंट्रोल सेक्शन के डिप्टी कंट्रोल ऑफिसर मनोहर वर्मा नोट वेरिफिकेशन सेक्शन में पोस्टेड थे।
  • वे साथियों से दूरी बनाकर रखते थे, हमेशा ताक-झांक करने से उनकी गतिविधियां शंका पैदा करती थीं।
  • वरिष्ठ अधिकारियों तक बात पहुंची तो उन्होंने वर्मा के केबिन में लगे सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए।
  • सीसीटीवी कैमरे से भी वर्मा बचने की कोशिश करते नजर आए। बारीकी से देखने पर वे कपड़े और जूतों में कुछ छिपाते दिखे।
  • बीएनपी के अधिकारियों ने पुलिस के साथ मिलकर वर्मा को प्लांनिग के तहत घर जाते समय रोका।
  • चेकिंग करने पर जूते से 500-500 के नोट मिले। पुलिस की एक टीम ने घर पर दबिश दी तो नोटों के बंडल मिले।

क्लर्क से वरिष्ठ पर्यवेक्षक और फिर चोर बना

  • 1984 में क्लर्क के तौर पर काम में लगे वर्मा धीरे-धीरे प्रमोट होकर डिप्टी कंट्रोल ऑफिसर बन गए।
  • वे छपे नोटों को जांचने लगे, माइनर मिस्टेक पर भी नोटों को रिजेक्ट कर दिए करते थे
  • घर जाते समय इन नोटों को जूते और कपड़ों में छिपाकर घर ले जाया करते थे।
  • वरिष्ठ अधिकारी होने के चलते इनकी अन्य कर्मचारियों जैसी चेकिंग नहीं हुआ करती थी।

सबसे चौंकाने वाली बात…

  • बैंक नोट प्रेस में कर्मचारियों की चेकिंग के साथ साथ चप्पे-चप्पे पर हाई क्वालिटी वाले सीसीटीवी कैमरे लगे हैं।
  • आरोपी बीएनपी की सुरक्षा में सेंध लगाकर नोट चोरी करता रहा। वह उन नोटों की चोरी करता, जिसे वह खुद रिजेक्ट किया करता था।
  • मनोहर नोटों को रिजेक्ट करने के बाद नष्ट करवाने की जगह कोने में रखे डस्टबीन में फेंक दिया करता था। यहीं से उन्हें उठाता था।
  • रुपए ऑफिस की आलमारी और घर के दीवान के अंदर रखे जूतों के डिब्बों और कपड़े की थैलियों में भरे थे।

कितने रुपए मिले, कितने दिन में चुराए

  • बैंक नोट प्रेस से वर्मा ने तीन महीने में करीब 90 लाख 9 हजार 300 रुपए के नोट बीएनपी से चुराए।
  • वर्मा के केबिन से 26 लाख 59 हजार 300 रुपए और घर से 64 लाख 50 हजार रुपए मिले थे।

सुरक्षा पर सवाल…

  • बीएनपी की सुरक्षा का उत्तरदायित्व केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के अधीन होता है।
  • बीएनपी में नोट की छपाई, डिजाइन, कटिंग, पेकिंग, परिवहन सहित अन्य सभी काम कड़ी सुरक्षा में होते हैं।
  • इतनी सुरक्षा होने के बाद भी कैसे कोई व्यक्ति तीन महीने तक नोट छिपा कर अपने साथ ले जाता रहा।

तब क्या कार्रवाई हुई

  • आरोपी मनोहर वर्मा निवासी साकेत नगर गीताभवन को पुलिस ने तब गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। तब से वह देवास जिला जेल में बंद है।
  • तात्कालीन बीएनपी के महाप्रंधक एमसी वैल्लपा की कार्यप्रणाली को लेकर भी प्रश्न खड़े हुए थे। बाद में उन्हें भी पद से हटा दिया गया था।
  • जांच के लिए एसआईटी गठित हुई, जिसमें एडीशनल एसपी अनिल पाटीदार, सीएसपी तरुणेन्द्र सिंह बघेल, बीएनपी थाना टीआई उमरावसिंह,नाहर दरवाजा टीआई अमित सोलंकी, बीएनपी थाना सब इंस्पेक्टर आरके शर्मा, रूपेश वायस्कर सहित एक एएसआई और एक हेड कांस्टेबल शामिल किया गया।

केस में अब तक…

  • आरोपी वर्मा का केस कोर्ट में विचाराधीन है। कोरोना के सुनवाई ऑनलाइन हो रही है।
  • आरोपी की तीन बार जमानत अर्जी खारिज हो चुकी है। कोरोना काल में कुछ दिन वह पैरोल पर भी छूटा था।
  • केस में अधिकांश सबूत मोबाइल लोकेशन और सीसीटीवी कैमरों के जरिए ही जुटाए गए हैं।

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