विश्व वेटलैंड दिवस आज ..हमारा बड़ा तालाब 11,900 करोड़ का; पानी, फिशिंग और वाॅटर स्पोर्ट्स से हर साल देता है 39 करोड़ 30 लाख
राजधानी को प्रदूषण से बचाने और 6 लाख लोगों को पानी पिलाने के साथ शहर को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने वाला हमारा बड़ा तालाब बेशकीमती है। यदि इससे हमें मिलने वाली सुविधाओं की कीमत जोड़ें तो तालाब कम से कम 11,900 करोड़ रुपए का है। इसके आसपास प्रॉपर्टी की कीमत अन्य क्षेत्रों के मुकाबले कम से कम 50% ज्यादा हैं।
यही नहीं, यह तालाब हर साल 39 करोड़ 30 लाख रुपए देता है। इसमें 25 करोड़ का पानी, 5 करोड़ का रिक्रिएशन व 2 करोड़ का मछली पालन शामिल है। वॉटर स्पोर्ट्स के केंद्र का किराया 7 करोड़ 30 लाख होता है। विश्व वेटलैंड दिवस पर अलग-अलग विषय के विशेषज्ञों से चर्चा करके यह कीमत निकाली गई। शहर के बीच में इतना बड़ा पेयजल स्रोत देश में किसी शहर में नहीं।
20 लाख पेड़ तालाब किनारे लगाए गए थे
25 साल पहले लगाए थे पेड़। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन को आधार बनाएं तो एक पेड़ 37.50 लाख का। 20 लाख पेड़ की कीमत 7500 करोड़ रुपए हुई।
30 एमजीडी पानी शहर तक लाने के लिए चाहिए 650 करोड़
बड़ा तालाब रोज 30 एमजीडी पानी सप्लाई करता है। इतना ही हम नर्मदा से ले रहे हैं। नर्मदा को शहर तक लाने के प्रोजेक्ट पर ही 350 करोड़ खर्च हुए। आज की तारीख में इस परियोजना की लागत 650 करोड़ है।
जंगल की कीमत 3750 करोड़ रुपए
हमारा तालाब अंतरराष्ट्रीय पहचान वाली रामसर साइट है। इसे वेटलैंड बनाने में कोलांस व उलझावन नदियों से शुरू होने वाला इसका कैचमेंट है। इसमें एक बड़ा हिस्सा जंगल व खेत का है। इस जंगल में 50 हजार पेड़ हैं। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार 50 साल से ज्यादा पुराने एक पेड़ की कीमत 75 लाख है।
5 करोड़ का रिक्रिएशन
बड़े तालाब के बोट क्लब से पर्यटन निगम हर साल लगभग दो करोड़ कमाता है। प्राइवेट बोटिंग व आसपास चलने वाले अन्य होटल-रेस्टोरेंट आदि को जोड़ लिया जाए तो कम से कम 5 करोड़ रुपए का रिक्रिएशन इस तालाब से होता है।
वॉटर स्पोर्ट्स का बड़ा केेंद्र
बड़ा तालाब हमारे वॉटर स्पोर्ट्स का बड़ा केंद्र है। यदि इतना बड़ा तालाब किराए पर लेकर वॉटर स्पोर्ट्स कराया जाए तो एक दिन का किराया 20 हजार चुकाना होगा। यह हमारे पास 365 दिन है। केवल किराए की ही कीमत 7 करोड़ 30 लाख रुपए है।
और इनकी कीमत तो आंकी ही नहीं जा सकती
- 265 प्रकार की हजारों बर्ड्स हैं यहां
- 200 हेक्टेयर जमीन पर खेती को फायदा