फिरोजाबाद के चूड़ी उद्योग पर मंदी की मार … मांग घटने से 24 से अधिक कारखाने बंद, सैकड़ों मजदूर बेरोजगार; चुनाव में चेकिंग भी बन रही वजह

चूड़ियों का शहर कहे जाने वाले फिरोजाबाद में चूड़ी उद्योग संकट के दौर से गुजर रहा है। विधानसभा चुनाव में मांग घटने, कच्चे माल के दाम बढ़ने की वजह से कई इकाइयों में उत्पादन ठप हो गया है। अघोषित बंदी से शहर भर की करीब 2 दर्जन इकाइयां इस समय बंद पड़ी हैं। सैकड़ों मजदूर बेरोजगार हो गए हैं।

चूड़ियों के करीब 150 कारखाने

फिरोजाबाद को सुहाग नगरी के नाम से भी जाना जाता है। इस शहर में चूड़ियों के करीब 150 कारखाने हैं। इन कारखानों में हजारों मजदूर काम करते हैं। ताज संरक्षित क्षेत्र (टीटीजेड) में आने के कारण इस क्षेत्र में कोयला चलित भट्टियों पर रोक लगी है। यहां नेचुरल गैस के जरिए काम किया जाता है। कोरोना की तीसरी लहर में भी कारखानों में चूड़ी उत्पादन लगातार जारी रहा, लेकिन देश भर में चूड़ियों की डिमांड न होने के कारण कारखानों में चूड़ी का स्टाक जमा हो गया।

घट गई चूड़ियों की मांग

चूड़ी उत्पादन में प्रयोग होने वाली नेचुरल गैस के साथ रॉ मटेरियल के रेट लगातार बढ़ते रहे हैं, जिससे उद्यमियों की नींद उड़ गई है। प्रमुख चूड़ी उद्यमियों की मानें तो देश भर में चूड़ियों की डिमांड कम होने से 25-30 कारखानों में काम पूरी तरह बंद हो गया है। चूड़ी उद्योग संगठन व डायरेक्टर द ग्लास इंडस्ट्रियल सिंडिकेट के हनुमान प्रसाद गर्ग बताते हैं, इस समय चुनाव का माहौल है। ऐसे में पुलिस जगह-जगह चेकिंग कर रही है।

कैश सीमा बढ़ाने की मांग

माल का कैश लेकर जाने या लाने के दौरान चेकिंग में पकड़े जाने का भय रहता है। चुनाव आयोग ने मात्र 50 हजार की लिमिट रखी है, जो चूड़ी उद्योग के लिए काफी कम है। देश भर में चूड़ियों की डिमांड काफी घट गई है। इससे शहर में 2 दर्जन से अधिक कारखाने बंद हो गए हैं। चूड़ी उत्पादन कम करने को बीच में कारखाने बंद करने पड़ रहे हैं। चूड़ी उद्योग को बचाने के लिए सरकार को पहल करनी होगी।

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