ग्वालियर … शराब की 45 दुकानें हो सकती हैं नीलाम, निरस्त हो सकते हैं बार के लाइसेंस
दूसरे राउंड के ई-टेंडर में नहीं भाग ले रहे ठेकेदार….
ग्वालियर। आबकारी विभाग को वर्ष 2022-23 के लिए शराब दुकानों की नीलामी करना काफी भारी पड़ रहा है। बड़े ठेकेदार नीलामी में शामिल नहीं हो रहे हैं, इस कारण पहले दौर की नीलामी में ग्वालियर जिले की 112 शराब दुकानों में से सिर्फ 45 दुकानें ही नीलाम हो सकती है। सिंगल ग्रुप के बड़े ठेकेदारों की मोनोपॉली तोड़ने के लिए अब आबकारी विभाग की उनके बीयर बार पर नजर है। यदि दूसरे दौर की नीलामी में यह भाग नहीं लेते हैं तो उनके बार के लाइसेंस भी निरस्त किए जा सकते हैं। शासन ने ठेकेदारों की मोनोपॉली को खत्म करने के लिए एक जिले में एक ठेकेदार की जगह दो से तीन दुकानों के सिंगल ग्रुप बना दिए हैं, जिसको लेकर ठेकेदार नीलामी में शामिल नहीं हो रहे हैं।
ग्वालियर जिले के सिंगुल ग्रुप के बड़े ठेकेदार हैं जो लाइसेंसी शराब दुकानों के साथ बार भी संचालित कर रहे हैं। कई दुकानें ऐसी है जहां बिक्री काफी कम होती है तो वहां का स्टॉक ये ठेकेदार बार में अवैध रूप से बेच लेते हैं, इससे जो उनको काफी आमदनी होती है। इसलिए ये ठेकेदार नीलामी में शामिल नहीं हो रहे हैं, क्योंकि करोड़ों की दुकान लेने से बेहतर है 20 से 25 लाख रुपए में बार का लाइसेंस ले लो और उसकी आड़ में अवैध रूप से शराब भी बेच लेते हैं।
सिर्फ 40 फीसदी दुकानों की नीलामी
इस बार आबकारी नीति में बदलाव कर टुकड़ों में नीलामी की गई, इससे बड़े सिडीकेट की मोनोपॉली टूट गई। 17 समूहों में सिर्फ एक-दो पुराने ठेकेदार आए। उनको उम्मीद थी कि नए ठेकेदार आएंगे नहीं और अगले चरण में न्यूनतम की मुख्य दुकानों को लाइसेंस ले लिए, हालांकि कुछ पुराने ठेकेदारों ने नए नाम से दुकानें ले ली है, जिसके पास बार है।
आबकारी विभाग अब सिंगल ग्रुप के बड़े ठेकेदारों के यार पर शिकंजा कसने की तैयारी में है। दूसरे चरण की 67 शराब दुकानों के ई-टेंडर 24 फरवरी को खोले जाएंगे, यदि इसमें भी ये ठेकेदार शामिल नहीं होते हैं तो फिर आबकारी विभाग बार के लाइसेंस निरस्त करने की कार्रवाई कर सकता है। भोपाल में टेंडर में शामिल नहीं होने पर ठेकेदारों के खिलाफ आबकारी विभाग ने दुकानों का निरीक्षण कर बिक्री को रुकवा दिया था जिसका ठेकेदारों ने विरोध किया था।