कराहल … सरकारी जमीन पर की सरसों की खेती:पौधरोपण के लिए स्वीकृत 100 बीघा पर किसानों ने बोई सरसों

सरकारी जमीन पर फसल बोने के बाद आदिवासी व पटेलिया समाज के कुछ किसान आपस में उलझ गए। जिसके बाद मामला तहसील और थाने तक आ पहुंचा। यहां नायब तहसीलदार झगड़े का निराकरण करने जब मौके पर पहुंचे तो जमीन ही सरकारी निकली। जिसे कुछ सालों पहले वृक्षारोपण के लिए आरक्षित किया गया था।

कराहल के गढ़ला में 100 बीघा सरकारी जमीन का पौधारोपण के लिए आरक्षित किया गया, लेकिन इसका आवंटन पंचायत को नही हो सका। उक्त भूमि पर गढ़ला गांव के आदिवासी समाज के किसानों व पटेलिया समाज के किसानों ने सरसों की फसल बो दी। उक्त फसल पर हक जताने दोनों समाजों के किसानों के बीच में विवाद हो गया। उक्त विवाद पहले थाने में पहुंचा और फिर थाने से तहसील। जब नायब तहसीलदार नवलकिशोर जाटव ने उक्त भूमि के संबंध में पटवारी से रिपोर्ट मांगी तो सामने आया कि उक्त भूमि सरकारी है।

जिस पर उक्त किसानों ने कब्जा किया हुआ है। इसके बाद नायब तहसीलदार पुलिस बल के साथ गढ़ला गांव पहुंचे और पहले आपस में उलझ रहे किसानों को शांत कराया। साथ ही सरसों की फसल उजाड़ने के आदेश दिए। लेकिन किसानों ने नायब तहसीलदार से समय मांगते हुए कहा कि वह फसल काटकर आधी-आधी बांट लेंगे और उक्त भूमि पर दोबारा कब्जा नही करेंगे। इसके बाद नायब तहसीलदार जाटव ने पटवारी को मूंझरी डैम में गई वन विभाग की जमीन के बदले में उक्त भूमि को देने का प्रस्ताव मांगा। अब उक्त भूमि को राजस्व विभाग वन विभाग के सुपुर्द करेगा।

वन विभाग को देंगे भूमि

गढ़ला पंचायत में 100 बीघा सरकारी भूमि वृक्षारोपण के लिए आरक्षित की गई थी, लेकिन इस पर आदिवासी व पटेलिया समाज के किसानों ने सरसों बो दी। जिसे लेकर उनके बीच विवाद चल रहा था और इस विवाद को गुरूवार को मौके पर पहुंचकर शांत कराया। अब उक्त भूमि को मूंझरी डैम में गई वन भूमि के बदले में वन विभाग को दी जाएगी।

नवल किशोर जाटव, नायब तहसीलदार, बरगवां तहसील कराहल

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *