मियां-बीवी में तकरार अच्छी है… खटर-पटर से सुलझती है उलझन की डोर, जानिए रिश्ते में लड़ाई क्यों जरूरी है
वैसे तो कोई भी लड़ाई बिल्कुल भी अच्छी नहीं होती। जब किसी से बकझक हो जाए, तो स्ट्रेस होता है, मूड ऑफ हो जाता है और गुस्सा तो बहुत ही ज्यादा आता है। उस पर अगर यह तकरार मियां-बीवी के बीच हो, जो एक घर, एक कमरे में रहते हैं, तो फिर दिमाग कहता है, ‘इससे बुरा हो भी क्या सकता है?’ बहरहाल हर लड़ाई बुरी ही नहीं होती। कुछ नोकझोंक अच्छी भी होती हैं, जो नजदीकियां बढ़ाती हैं। पति-पत्नी में बातचीत या किसी मुद्दे पर बहस क्यों जरूरी है, बता रही हैं फैमिली काउंसलर पीयूष भाटिया।
क्या कपल का एक दूसरे से अलग सोचना बुरा है?
फैमिली काउंसलर पीयूष कहती हैं कि दो अलग व्यक्ति की पसंद कितनी भी मिलती हो, लेकिन ये समझना जरूरी हैं कि दो अलग-अलग दिमाग किसी भी तरह से एक जैसा नहीं सोच सकता। सामने वाले कि सोच को समझना और उसे स्वीकार करते हुए आगे बढ़ना सबसे ज्यादा जरूरी है।
जिनसे आप करते हैं प्यार, उनसे क्यों होती है लड़ाई?
जब हम किसी से बहुत गहरे रिश्ते में जुड़े होते हैं, तो हमारा मन जानता-समझता है कि चाहे कुछ भी हो जाए, सामने वाला इंसान हमसे दूर नहीं जाएगा। यही वजह है कि हम अपने तर्क, इच्छाएं, आशा और परेशानियां उस शख्स के आगे खुलकर रख देते हैं। जिन बातों से पार्टनर इतेफाक नहीं रखता, उस पर कई बार बहस हो जाती है।
पार्टनर के संग बहसबाजी अच्छी है, क्या ये बात सच है?
फैमिली काउंसलर पीयूष बताती हैं कि पार्टनर के बीच किसी मुद्दे को लेकर अगर दो अलग पहलुओं पर बात होती है, तो वह अच्छा होता है। ‘एबल आर्गुअर्स’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक किसी भी कपल के बीच हुए सकारात्मक चर्चा से रिश्ते बेहतर होते हैं।
घटती हैं शिकायतें – जब आप रिश्ते में एक दूसरे से बातें करते हैं, तो शिकायतों का बोझ लगातार गिरता जाता है। मन में एक दूसरे के खिलाफ कोई गुब्बार नहीं रहता, ना ही रिश्ते में घुटन महसूस होती है।
कम होता है स्ट्रेस – दुनिया के ज्यादातर लोग इसलिए परेशान होते है, क्योंकि कोई उन्हें सुनने वाला नहीं होता। जब आप पार्टनर से बातें करते हैं या नाराजगी जताते हैं, इन सबके बीच कहीं न कहीं आप अपना मन हल्का कर रहे होते हैं। जिससे मेंटल स्ट्रेस में कमी आती है।
अच्छा रहता है मूड – किसी भी रिश्ते में मन की बात और शिकायतें बाहर आ जाने से मन हल्का हो जाता है। जिसकी वजह से रिश्तों में शिकायत नहीं बचती। इसका फायदा यह होता है कि रिश्ते में हमेशा एक फ्रेश स्टार्ट होने की गुंजाइश बनी रहती है।
बढ़ता है सोचने-समझने का दायरा – पार्टनर्स जब एक दूसरे के साथ से किसी मुद्दे पर बहस करते हैं, तो इससे उनकी बॉन्डिंग बढ़ने के साथ-साथ एक ही मुद्दे पर कई तरह के पहलुओं को जानते समझते हैं। इससे कहीं न कहीं दोनों के सोचने-समझने का दायरा भी बढ़ता है।