2 अप्रैल की हिंसा को चार साल पूरे:दो लोगों की हुई थी मौत केवल आरोप तय हो सके गवाही शुरू होना बाकी
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ 2 अप्रैल 2018 को ग्वालियर में हुई जातिगत हिंसा को चार साल पूरे हो गए। इस घटना में दो लोगों, दीपक जाटव और राकेश टमोटिया की मौत हो गई थी। इस मामले की रिपोर्ट पुलिस थाना थाटीपुर में दर्ज की गई थी। गौर करने वाली बात ये है कि इस मामले में अभी तक केवल आरोप तय हो सके हैं।
इस मामले में कोर्ट कई बार गवाहों को तलब कर चुका है, लेकिन अभी तक कोई गवाही देने नहीं पहुंचा है। यहां बता दें कि इस मामले में शहर के पुलिस थाना मुरार में 8, थाटीपुर में 5, सिरोल में 6, गोले का मंदिर में 11, विवि, झांसी रोड और जनकगंज में 1-1 एफआईआर दर्ज हुई थी।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के चलते एसटी-एससी एक्ट में संशोधन किया था। इसके विरोध में 2 अप्रैल 2018 को देशव्यापी बंद किया गया था। इस दौरान अन्य वर्गों के साथ एसटी-एससी लोगों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किए गए थे। 2019 में कांग्रेस सरकार ने एक सर्कुलर जारी किया, जिसमें एसटी-एससी वर्ग के खिलाफ दर्ज प्रकरणों को वापस लेने की बात कही गई।
इस पर तत्कालीन ग्वालियर कलेक्टर ने न्यायालय को पत्र लिखा। इसके बाद गैर संज्ञेय अपराध से जुड़े केस वापस ले लिए गए। संज्ञेय अपराध के प्रकरणों को खत्म करने की अनुमति न्यायालय से नहीं मिल सकी है। 2 अप्रैल की हिंसा से जुड़े प्रकरणों में कोविड के चलते लगभग डेढ़ साल तक सुनवाई बाधित रही। सूत्रों के अनुसार कुछ मामले ऐसे हैं, जिनमें पुलिस ने खात्मा रिपोर्ट लगा दी तो कुछ में समन जारी करने के बाद भी गवाह न्यायालय नहीं पहुंच रहे। वहीं, कुछ मामले ऐसे भी हैं, जिसमें साक्ष्य पेश करना अभी बाकी है।
फरियादी आरोप से मुकरे
गैर इरादतन हत्या के मामले में फरियादी और उसका बेटा आरोप से मुकर चुके हैं। कुछ की गवाही शेष है। इसके अलावा हत्या के मामले में अभी केवल आरोप तय हो सके हैं। साक्ष्य के लिए गवाहों को बुलाया था, लेकिन वे नहीं आए। उन्हें फिर से समन जारी किया गया है। -ओपी शर्मा, विशेष लोक अभियोजक (विशेष न्यायालय, एट्रोसिटीज)