How fight malnutrition: उधार के भवन में प्रदेश के 54 हजार आंगनबाड़ी केंद्र
– तीन हजार केंद्रों में शौचालय तो हैं पर पीने का पानी का इंतजाम नहीं
सतना। सीलन, उधड़ा प्लास्टर और सामने जमा गंदा पानी। यह स्थिति उन आंगनबाड़ी केंद्रों की है, जिनपर कुपोषण का दंश मिटाने की जिम्मेदारी है। आलम यह है कि बास मारते कमरों में सामान रखने की ही जगह नहीं है। यह स्थिति एक दो नहीं बल्कि 54 हजार आंगनबाड़ी केंद्रों की है, जो उधार के भवनों में संचालित हो रहे हैं। इस पर भी 6 हजार केंद्र तो ऐसे भी हैं, जिनमें पीने के पानी का भी इंतजाम नहीं है।
प्रदेश में उधार के भवनों के भरोसे कुपोषण से जंग लड़ी जा रही है। 54 हजार आंगनबाड़ी केंद्रों के पास भवन नहीं होने से स्कूल और पंचायत भवन के कोने से लेकर किराए के मकान में संचालित हो रहे हैं। जहां बच्चों के बैठने की तो दूर आवंटित सामान रखने तक की जगह नहीं है। 6 हजार ऐसे भी केंद्र हैं जहां अब तक पीने के पानी का इंतजाम नहीं हो पाया है।
सतना का एक आंगनबाड़ी केंद्र जहां सामने फैला पानी मार रहा सड़ांध
प्रदेश में 97 हजार आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं। जो संसाधन, जगह और सुविधा के गंभीर अभाव से जूझ रहे हैं। हाल ही में सरकार ने केंद्रों को गोद लेेने के लिए पूरे प्रदेश में मुहिम शुरू की थी। लेकिन यह रस्मी ही साबित हुई है। किसी भी जिले में आंगनबाड़ी केंद्रों की दशा सुधारने की पहल नहीं की गई है। नेताओं व समाजसेवियों ने कुछ सामग्री दान करके अपने कत्र्तव्य की इतिश्री कर ली है। सरकार की ओर से अब तक 43 हजार केंद्रों को ही भवन मुहैया कराया गया है। बाकी 54 हजार से अधिक केंद्र उधार के भवनों में संचालित किए जा रहे हैं।
कमरे में सामान रखें या बच्चों को बैठाएं
अधिकतर आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थिति यह है कि बमुश्किल एक कमरा उन्हें मिल पाया है। कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं की मुश्किल यह है कि कमरे में सामान ठूंसे या बच्चों को बैठाएं। ग्रामीण इलाकों की स्थिति और भी अधिक खराब है। जिन्हें पोषण आहार भी उसी एक कमरे के केंद्र में बनवाना पड़ता है। शहरी क्षेत्र में पका खाना पहुंचाने की व्यवस्था है।
अधिकतर आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थिति यह है कि बमुश्किल एक कमरा उन्हें मिल पाया है। कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं की मुश्किल यह है कि कमरे में सामान ठूंसे या बच्चों को बैठाएं। ग्रामीण इलाकों की स्थिति और भी अधिक खराब है। जिन्हें पोषण आहार भी उसी एक कमरे के केंद्र में बनवाना पड़ता है। शहरी क्षेत्र में पका खाना पहुंचाने की व्यवस्था है।
6 हजार केंद्रों में पीने का पानी नहीं
सरकार का दावा है कि 91 हजार आंगनबाड़ी केंद्रों में पीने के पानी की व्यवस्था है। लेकिन दिलचस्प है कि शौचालय 94 हजार केंद्रों में होने की बात कही गई है। यानी की 3 हजार ऐसे केंद्र हैं जहां शौचालय तो हैं पर पीने के पानी का इंतजाम सरकार नहीं कर पाई है।
सरकार का दावा है कि 91 हजार आंगनबाड़ी केंद्रों में पीने के पानी की व्यवस्था है। लेकिन दिलचस्प है कि शौचालय 94 हजार केंद्रों में होने की बात कही गई है। यानी की 3 हजार ऐसे केंद्र हैं जहां शौचालय तो हैं पर पीने के पानी का इंतजाम सरकार नहीं कर पाई है।
फैक्ट फाइल
97 हजार कुल आंगनबाड़ी केंद्र
43 हजार के पास अपना भवन
24 हजार सरकारी स्कूल में संचालित
21 हजार किराए के मकान में
44 सौ पंचायत भवनों में
91 हजार में पीने का पानी उपलब्ध
94 हजार के पास शौचालय
97 हजार कुल आंगनबाड़ी केंद्र
43 हजार के पास अपना भवन
24 हजार सरकारी स्कूल में संचालित
21 हजार किराए के मकान में
44 सौ पंचायत भवनों में
91 हजार में पीने का पानी उपलब्ध
94 हजार के पास शौचालय