बिल्डर-बायर एग्रीमेंट पर उपभोक्ता आयोग का फैसला …12 साल बाद भी प्रोजेक्ट अधूरा, खरीदारों को पैसा जल्द लौटाने के आदेश

राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग ने 12 साल से अपने घर का सपना देखने वाले खरीदारों को बड़ी राहत दी है। आयोग ने यमुना एक्सप्रेसवे स्थित जेपी ग्रीन सिटी में द कोव प्रोजेक्ट के 60 खरीदारों की याचिका पर सुनवाई की। इस दौरान बिल्डर को खरीदारों का पैसा 3 महीने के अंदर 9 फीसदी ब्याज के साथ लौटाने का आदेश दिया है।

जस्टिस आरके अग्रवाल की अध्यक्षता वाली पीठ ने बिल्डर-बायर एग्रीमेंट को लेकर कहा कि बिल्डर एकतरफा करार की शर्तों से फ्लैट खरीदारों के हाथ नहीं बांध सकते हैं। वे ऐसा एग्रीमेंट नहीं बना सकते, जिसमें उनका तो फायदा हो, लेकिन ग्राहकों का नुकसान हो।

बिल्डर्स के एग्रीमेंट में उनका ही फायदा छिपा
कॉन्ट्रैक्ट में बिल्डर ने लिखा था कि समय पर किस्त न जमा कराने पर ग्राहक को 18 फीसदी ब्याज के साथ बकाया भुगतान करना होगा। वहीं, पजेशन में देरी होने पर बिल्डर को सिर्फ 5 रुपए प्रति वर्ग गज के हिसाब से जुर्माना देना पड़ता।

खरीदार 12 साल से कर रहे पजेशन का इंतजार
आयोग ने कहा कि यह साफ है कि ग्राहक के पास साइन करने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं था। ऐसा एग्रीमेंट अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस है। इसलिए कानूनी रूप से मान्य नहीं है। खरीदार पजेशन का 12 साल से इंतजार कर रहे हैं। प्रोजेक्ट अभी भी अधूरा है। खरीदारों को बिल्डर की दया पर नहीं छोड़ सकते।

पैसे मिलने पर पहले बकाया लोन चुकाएं
आयोग ने कहा कि बिल्डर ग्राहकों को 3 महीने के भीतर उनकी पूरी रकम 9 फीसदी ब्याज के साथ दे। अगर रकम देने में देरी हुई तो 10 फीसदी ब्याज देना होगा। आयोग ने खरीदारों को भी नसीहत दी है कि पैसे मिलने पर पहले बकाया लोन चुकाएं, उसके बाद बाकी बची राशि का खुद के लिए इस्तेमाल करें।

2010 में फ्लैट बुक किए, आज भी प्रोजेक्ट अधूरा
दरअसल, द कोव प्रोजेक्ट में फ्लैट बुक कराने वाली ममता मौर्या सहित 64 लोगों ने 2017 में आयोग को शिकायत दर्जी करवाई थी। याचिकाकर्ताओं ने 2010 में फ्लैट बुक किए तो 42 महीने में पजेशन देने का वादा किया गया था। बिल्डर बार-बार समय बढ़ाता रहा और प्रोजेक्ट आज भी अधूरा है। इसलिए सभी ग्राहकों ने अपनी रकम वापस मांगी थी।

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