अब अपराधियों की अंगुलियां बनेंगी फांसी का फंदा …..

देश में कहीं भी किया अपराध तो नेफिस पकड़ लेगा गला, प्रदेश में तीन महीने में फिंगर इंप्रेशन से 26 क्राइम की बंद फाइल खुलीं……

अपराधिक मानसिकता रखने वाले लोगों के लिए बुरी खबर है। अब उनकी गर्दन नापने के लिए नेफिस मतलब नेशनल ऑटोमेटिक फिंगर आईडेंटिटी सिस्टम पैर जमा चुका है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत देश के 18 राज्यों में इसे जनवरी 2022 से लागू किया गया है। इसमें घटना के बाद स्पॉट से मिले अपराधियों के फिंगर प्रिंट अपलोड किए जाते हैं। जैसे ही वो अपराधी देश में कहीं भी दूसरा अपराध करता है और वहां उसके फिंगर प्रिंट मिलते हैं तो पहला मामला अपने आप ट्रैस हो जाता है।
जनवरी से मार्च 2022 के बीच मध्य प्रदेश में नेफिस की मदद से 26 ऐसे क्राइम जिनकी फाइल बंद हो चुकी थी उनके अपराधियों की पहचान हुई है और केस वापस खुले हैं। ग्वालियर में साल 2021 में हुई एक चोरी का कनेक्शन गुजरात से जुड़ा है। यहां चोरी करने वाले ने गुजरात में चोरी की और वहां मिले फिंगर प्रिंट उसकी पहचान हो गई है।

क्या है नेफिस
-नेफिस (नेशनल ऑटोमेटिक फिंगर आइडेंटिटी सिस्टम) एनसीआरबी का प्रोजेक्ट है। इसके जरिए 18 राज्यों के वहां फिंगर प्रिंट टीम को मिले उसके सभी जिलों को सीधे एक दूसरे से जोड़ा गया है। इन राज्यों में कितने अपराधी सक्रिय हैं, उनका नाम पते के अलावा उनके फिंगर प्रिंट नेफिस सिस्टम के जुड़े सभी राज्यों की पुलिस ने उसमें अपलोड किए हैं। इसका फायदा होता है यह अपराधी इनमें से किसी भी राज्य में अपराध करता है तो चांस प्रिंट (घटना स्थल से अपराधी के अंगुल चिंह) लेकर नेफिस में में दर्ज किए जाते हैं। अपराधी का ब्यौरा सिस्टम में दर्ज होता है तो नेफिस से उसकी पहचान हो जाती है कि अपराधी कौन है। कहां का रहने वाला है।

जनवरी 2022 में लॉच किया गया है नेफिस
– पूरे देश के 18 राज्यों को नेफिस से कनेक्ट कर जनवरी 2022 में लॉन्च किया गया है। इसकी पूरी निगरानी एनसीआरबी करेगी। अभी तक क्या होता था। ऐसे मामलों में स्पॉट के फिंगर प्रिंट भोपाल भेजे जाते थे वहां से मैच के लिए अन्य जगह भेजे जाते थे। यदि मिलान हुआ तो ठीक है नहीं आरोपी का पता चलने मंे काफी समय लगता था। पर नेफिस में थंब या फिंगर का इंप्रेशन अपलोड करते ही पूरे देश में जहां भी यह सिस्टम लागू है वहां उसे रीड कर पल भर में मैच की डिटेल मिल जाती है। यदि फिंगर प्रिंट मैच हो जाते हैं तो अपराधी की पूरी कुंडली पुलिस के हाथ में होती है।

इन राज्यों को इसमें जोड़ा गया है
-अभी शुरूआती तौर पर देश के सभी बड़े राज्य इसमें शामिल किए गए हैं। जैसे मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब, तमिलनाडू, कर्नाटका, कोलकाता, आन्ध्रप्रदेश, दिल्ली आदि शामिल हैं। जल्द ही इसमें अन्य राज्यों और केन्द्रशासित राज्यों को शामिल किया जाएगा।

मध्य प्रदेश में 26 बंद क्राइम केस में मिली सफलता
जनवरी से यह प्रोजेक्ट लागू हुआ है। जनवरी, फरवरी और मार्च मंे मध्य प्रदेश में इसका अच्छा रिस्पोंस मिला है। प्रदेश में 26 ऐसे मामले में अपराधियों का सुराग लगा है जिन मामलों की क्राइम फाइल को पुलिस बंद कर चुकी की है। जब इन मामलों में सुराग मिला तो पुलिस को भी जांच की दिशा मिली और कुछ मामलों में पुलिस खुलासा कर चुकी है। नेफिस के कुछ रोचक मामले इस प्रकार हैं।
केस-1
– ग्वालियर के थाटीपुर विवेक नगर में साल 2021 में चंद्रमोहन चाणक्य के घर चोरी की वारदात हुई थी। चोरी में गहने-नकदी के साथ ही काफी सामान चोरी गया था। इस मामले में थाटीपुर पुलिस ने केस दर्ज किया था। स्पॉट पर फिंगर प्रिंट टीम ने स्पॉट की जांच कर कुछ फिंगर प्रिंट अलमारी व दरवाजों के हैंडल से उठाए थे। साल 2021 के इस मामले में सालभर पुलिस ने चोर को तलाशा, लेकिन चोर हाथ नहीं आया। इसलिए पुलिस ने माल, मुल्जिम का पता नहीं होने का हवाला देकर केस में फाइनल रिपोर्ट लगाकर उसे बंद कर दिया। फिंगर प्रिंट डीएसपी डॉ. जीएस तिवारी ने बताया चंद्रमोहन के यहां चोरी की सूचना पर फिंगर प्रिंट टीम ने स्पॉट का निरीक्षण किया था। वहां से चोर के फिंगर प्रिंट उठाए थे। उन्हें नेफिस सिस्टम में अपलोड किया था। थाटीपुर पुलिस के वांटेड चोर ने गोटरी, गुजरात में भी चोरी की वारदात को अंजाम दिया। वहां भी पुलिस को फिंगर प्रिंट मिले थे जिसे नेफिस पर लिए चोर की सीधे हाथ की उंगली का प्रिंट मैच कर गया। गोटरी पुलिस ने उसे नेफिस पर अपलोड किया तो चोर की पूरी कुंडली मिल गई। आरोपी इंसावली सैय्यद निवासी दतिया है।

केस-2
– प्रदेश के विदिश जिले में एक ऑटो चालक की हत्या हुई थी। इस अंधे कत्ल का खुलासा करने के लिए पुलिस ने काफी प्रयास किए, लेकिन कोई सुराग हाथ नहीं लगा रहा था। इस पर ऑटो से कुछ संदेहियों के फिंगर प्रिंट मिले थे। जिसे विदिशा पुलिस ने नेफिस पर अपलोड किया था। कुछ समय बाद प्रदेश के इटारसी में एक वारदात में मिले फिंगर प्रिंट से यह मैच हो गए। वहां अपराधी की पहचान हो गई थी। इससे विदिशा के मामले में क्लू मिला। उस अपराधी को उठाया तो पूरी गैंग का खुलासा हुआ और ऑटो में हत्या का खुलासा हो सका। इस तरह से यह नेफिस का ही कमाल था कि जिस हत्या के मामले में पुलिस आरोपी की तलाश विदिशा में कर रही थी वह इटारसी में मिला है।

पुलिस का कहना
एसएसपी ग्वालियर ने बताया कि यह नेशनल ऑटोमेटिक फिंगर आईडेंटिटी सिस्टम से अपराधियों की पहचान शहर व प्रदेश के बाहर जाकर भी हो सकेगी। इससे जो अपराधिक एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में जाकर अभी तक बच जाते थे उनके खिलाफ भी प्रभावी रूप से कार्रवाई की जा सकेगी।

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