बुलंदशहर में कैदी बना रहे सुंदर आर्ट:एक से बढ़कर दीवारों पर कर रहे कलाकारी, आर्ट म्यूजियम में कर रहे तब्दील
जिला जेल की दीवारें इस समय बंदियों की कला से जीवित हो उठी है। एक से बढ़कर एक कलाकारी इन दीवारों में जान फूंक रही हैं। जेल की दीवार जो देख रहा है, वह अपनी नजर नहीं हटा पा रहा है। सुंदर सुंदर पेंटिंग बंदियों के हुनर को बयां कर रही हैं। मानों यह कोई जिला जेल की दीवारें न होकर कोई आर्ट म्यूजियम हो।
बंदियों को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास
कारागार में निरुद्ध बंदियों को आत्मनिर्भर बनाकर उनके पुनर्वास के अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। ताकि वह कारागार से रिहा होने पर समाज की मुख्य धारा से जुड़कर, अपराध की दुनियां छोड़कर अपना व अपने परिवार का जीवन यापन कर सकें। इसके लिए कारागार में सिलाई कढाई, कम्प्यूटर प्रशिक्षण,साक्षरता से लेकर उच्च शिक्षा तक की शिक्षा की व्यवस्था, विद्युत उपकरण की मरम्मत, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण मरम्मत, कृषिकर्म, रसोये का कार्य, गमला निर्माण व नर्सरी का कार्य, जिम प्रशिक्षण, नाई का कार्य, नर्सिंग कार्य, फिजियोथैरेपी, ब्यूटीशियन का कार्य, मैसनटीचर का कार्य, फर्नीचर निर्माण, आटा चक्की प्रशिक्षण, बेकरी का कार्य के साथ-साथ इस समय पेंटिंग प्रशिक्षण का कार्य कराया जा रहा है।
बंदियों ने जेल की दीवारों में डाली जान
जेल अधीक्षक मिजाजी लाल ने बताया कि इस कार्य से जहां एक ओर बन्दी पेंटिंग कला सीख रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कारागार में चहुंओर सुंदर सुंदर पेंटिंग से कारागार की सुन्दरता में चार चांद लग रहे हैं। कारागार में सर्वत्र दीवारें सुंदर पेंटिंग से सजी हुई हैं।