स्मार्ट सिटी का सच ? …7 साल, 7 शहर; मध्यप्रदेश में 4042 करोड़ खर्च, लेकिन एक भी शहर पूरी तरह स्मार्ट नहीं बना, 2023 तक मुमकिन भी नहीं

25 जून 2015 को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत मप्र के भोपाल, इंदौर, जबलपुर को स्मार्ट बनाने का मिशन शुरू हुआ था। दो साल बाद इसमें ग्वालियर, सतना, सागर और उज्जैन भी जुड़ गए। लेकिन इन सात साल में इन शहरों में 4042.38 करोड़ रुपए खर्च हो जाने के बावजूद एक भी शहर पूरी तरह स्मार्ट नहीं बन पाया है।

भोपाल और इंदौर का तो ‘स्मार्ट’ होने लायक बजट भी लगभग खत्म हो गया है। एरिया बेस्ड डेवलपमेंट (एबीडी) हो या पैन सिटी प्रोजेक्ट दोनों में ही कोई भी ऐसा प्रोजेक्ट नजर नहीं आता, जिससे यह कहा जा सके कि यहां लोगों की जिंदगी स्मार्ट हो गई है। इन 7 शहरों में स्मार्ट सिटी मिशन के तहत 650 प्रोजेक्ट पूरे होने थे।

अब तक 386 ही पूरे हो पाए। 257 का काम जारी है। बाकी 7 अभी कागजों में हैं। ये प्रोजेक्ट दिसंबर 2020 में पूरे होने थे, लेकिन अब केंद्र ने डेडलाइन बढ़ाकर 2023 कर दी है। काम की जो रफ्तार है, उस हिसाब से इनका डेडलाइन तक पूरा होना मुश्किल लग रहा है।

बता दें कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट इस दावे के साथ शुरू हुआ था कि शहरों को उनकी समस्याओं के इको फ्रेंडली हाईटेक सॉल्यूशन मिलेंगे। भोपाल, इंदौर और जबलपुर तो उन 20 शहरों में शामिल हैं जिन्हें 20 शहरों की पहली सूची में शामिल किया गया था।

राजधानी- स्मार्ट सिटी के कामों में देश में नंबर 1, लेकिन जिस 342 एकड़ में स्मार्ट सिटी बनना थी, वो आज भी उजाड़
दो महानगर- राजबाड़ा प्रोजेक्ट की रफ्तार सबसे धीमी; जबलपुर में एबीडी एरिया के ज्यादातर क्षेत्र में सिर्फ गड्‌ढे ही गड्‌ढे

जमीनी हकीकत- ग्वालियर में 300 करोड़ के प्रोजेक्ट की रफ्तार धीमी, आईएसबीटी को अब भी टेंडर का इंतजार

  1. ग्वालियर में स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के कार्यो की रफ्तार बेहद धीमी है। स्मार्ट रोड सहित गोरखी में अंडरग्राउंड मल्टी लेवल पार्किंग और महाराज बाड़े पर पेडेस्टल जॉन बनाने का प्रोजेक्ट 300 करोड़ रुपए में एलएनटी कंपनी को दिया हुआ है। अंतरराज्यीय बस टर्मिनल (आईएसबीटी) को 25 एकड़ भूमि में 56 करोड़ की लागत से बनना। हालांकि अभी तक इसके लिए नए टेंडर की प्रक्रिया ही शुरू नहीं हो पाई है। इतना ही नहीं कारपोरेशन अभी भी वीर सावरकर मार्ग के प्रोजेक्ट को पूरा करने में लगा हुआ है।
  2. भोपाल के 73 में से 60 प्रोजेक्ट पूरे हो गए हैं। 77.63 करोड़ के 13 प्रोजेक्ट अभी भी अधूरे हैं फिर भी भोपाल स्मार्ट सिटी की रैंकिंग में नंबर 1 है।
  3. इंदौर में 176 में से 152 प्रोजेक्ट पूरे हो गए। लेकिन, एबीडी का राजबाड़ा प्रोजेक्ट कछुए की चाल से चल रहा है। यहां काम अक्सर ठप रहता है।

सतना की रफ्तार सबसे धीमी

  • उज्जैन- महाकाल मंदिर के आसपास स्मार्ट रोड के काम साल भर में भी पूरे हो जाएं तो बड़ी बात होगी।
  • जबलपुर- 117 में से केवल 63 प्रोजेक्ट पूरे हुए और एबीडी एरिया के ज्यादातर इलाके में केवल गड्ढे ही गड्ढे नजर आ रहे हैं।
  • सागर- चारों ओर सड़कों का निर्माण, धूल से लोग परेशान। ​​​​
  • ​​सतना- 80 फीसदी काम शुरू ही नहीं हुए।
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