कम वेतन के लोगों को नौकरी पर रखना गलत नहीं है, सही ट्रेनिंग जरूरी
इस सोमवार को मेरे पड़ोसी इंटरनेट के लिए एयरटेल की ऑप्टिक फाइबर सर्विस इंस्टॉल करवा रहे थे। कंक्रीट के नीचे दबी पुरानी केबल खींचकर निकालने में दो कर्मचारियों की सांसें फूल गईं थीं, इसी की जगह ऑप्टिक लाइन डालनी थी। मुझे पता है ये बहुत मेहनत का काम है। चूंकि ये काम उसी फ्लोर पर हो रहा था, जहां मैं रहता हूं। ऐसे में कई बार जाकर काम देख रहा था। लगभग दो बजे मैंने देखा कि उनमें से एक आदमी सीढ़ियों पर बैठकर लंच कर रहा था और दूसरा भोजन के बाद सीढ़ी पर ही बोतल से हाथ धो रहा था।
पहले तो मुझे बुरा लगा कि कुछ लोगों को ऐसी असहज जगहों पर भोजन करना पड़ता है। पर कायदे संवेदनाओं से ऊपर हैं। आपात स्थितियों को छोड़कर अमूमन रहवासी ऊंची इमारतों में सीढ़ियों का इस्तेमाल नहीं करते। और दूसरी बात, किसी भी हालत में कोई सीढ़ियों पर ये सोचकर हाथ नहीं धो सकता कि गर्मी में ये सूख जाएंगी। ये असभ्य है। उनकी हरकत से साफ जाहिर हो गया कि उनके कर्मचारी कितने अप्रशिक्षित हैं।
कल्पना करें आपकी कंपनी का एक कर्मचारी यूनिफॉर्म पर कंपनी का बड़ा-सा लोगो लगाए, किसी के सामने के दरवाजे पर हाथ धोए? मुझे लगभग उबकाई-सी आ गई और तेज आवाज में मैंने उन्हें रुकने के लिए कहा, इससे मेरे पड़ोसी का भी ध्यान गया, जो मेरे दो दशक से पड़ोसी हैं। अपनी हरकत पर पकड़ाए दोनों कर्मचारियों ने उन्हें आता देखकर गलती को राजनीतिक रंग देने की कोशिश की। उन्होंने माफी नहीं मांगी, बल्कि यह कहने की जुर्रत दिखाई कि अगर आप कहते हैं तो हम काम बंद कर देते हैं।
उन्हें पता था कि मैं पड़ोसी से अपने संबंध के कारण ऐसा नहीं कहूंगा। मैंने एयरटेल के सीनियर मैनेजमेंट में से एक अंशुमान चौधरी को फोन किया और बताया कि सार्वजनिक व्यवहार के मामले में निचले कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने में उनकी अक्षमता का असर कैसे उनकी ब्रांड इमेज पर पड़ रहा है। वह सहमत हुए और इस पर कार्रवाई का वादा किया। एक घंटे बाद ग्राहक संपर्क विभाग के प्रमुख जितेंद्र का फोन आया, उन्होंने मुझसे वादा किया कि संबंधित व्यक्ति को हटा देंगे।
मैंने उनसे कहा कि ऐसा मत करिए क्योंकि इन दिनों नौकरी मिलना आसान नहीं हैं। बल्कि कहा कि अपने कर्मचारियों की साइट विजिट के दौरान उनके सार्वजनिक व्यवहार की फिर से ट्रेनिंग पर ध्यान दें। कुछ हफ्ते पहले मेरे साथ इसी तरह का अनुभव बिग बाजार डिलीवरी सर्विस के साथ हुआ था। डिलीवरी बॉयज दिखने में मोटे-तगड़े लगते हैं (शायद इतना सामान उठाने के कारण) पर व्यवहार में बहुत खराब होते हैं। जब आप उनसे बहस करें, तो उनका सख्त लुक और विनम्र होने से इंकार आपको डराता है।
दूध के पैकेट पहुंचाने वाली टीम को ही लें। सुबह कम समय में ज्यादा से ज्यादा घरों तक पहुंचने के लिए वे बाहर गेट पर टंगे बैग में पैकेट डालने के बजाय दरवाजे पर पैकेट फेंककर चले जाते हैं। जब मैंने इसे अपनी आंखों से देखा, तो कोविड के बाद बिग बाजार से बना रिश्ता पूरी तरह तोड़ दिया।
पिरामिड में निचले स्तर पर काम करने वाले कम तनख्वाह के कर्मचारियों के साथ बिजनेस चलाने में कुछ भी गलत नहीं है। पर याद रखें कि वे ही चेहरे हैं, जो रोजाना सीधे ग्राहकों के साथ डील करते हैं। जब निचले स्तर के कर्मचारी आपकी अनुपस्थिति में ग्राहकों से मिलते हैं, तो कभी-कभी उनका व्यवहार आपकी छवि बिगाड़ सकता है और जिसकी कीमत आप सोच भी नहीं सकते।
फंडा यह है कि कम वेतन के लोगों को नौकरी पर रखना गलत नहीं है, पर ग्राहकों के सामने सही व्यवहार की ट्रेनिंग ना देकर एचआर विभाग सैलरी से बचाए पैसों से कहीं ज्यादा कंपनी को नुकसान करा देता है।